Love Story Kahani | लव स्टोरी कहानी

आज के यह लव स्टोरी कहानी, Love Story Kahani एक लड़का और लड़की के ऊपर आधारित हैं, जो दोनों एक इंस्ट्यूट  में पढ़ते हैं। इसी बिच दोनों का प्यार हो जाता हैं। लड़की के घर का इस्थिति भी अच्छ नहीं हैं, इसी कारण से वह जॉब करने के लिए टाइपिंग सिखने के लिए इंस्ट्यूट में पढ़ती हैं। लेकिन खुदा को कुछ और मंजूर था उन दोनों के साथ एक बड़ा घटना घट जाता हैं। आगे के जानकारी के लिए इस कहानी को पूरा पढ़े हमें यकीं हैं की आपको यह कहानी जरूर पसंद आएगा।

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टाइपिंग कोचिंग सेंटर में विजय का पहला दिन था वो अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए नियमावली कुश्ती का पड़ रहा था। तभी उसकी निगाह अपने कैबिन के गेट की तरफ गयी। कजरा रे नैना वाली एक सांवली सी लड़की उसके कैबिन की तरफ आ रही थी।

लड़की उसके बगल वाली सीट पर आकर बैठ गई। टाइप राइडर को ठीक किया और टाइप करने में मशगूल हो गई। विजय का मन टाइप करने में नहीं लगा। वो किसी भी हालत में उस लड़की से बाते करना चाह रहा था। लव स्टोरी उसके दिमाग में हेल चूका था वो टाइप राइटर पर कागज लगाकर बैठ गया और लड़की को देखने लगा। लड़की की उंगलियां टाइपराइटर की रिपोर्ट पर ऐसे पड़ रही थी जैसे हारमोनियम बजा रही हो।

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क्या देख रहे हो? थोड़ी देर बाद लड़की गुस्से से बोली आपको टाइप करते हुए देख रहा हूँ। यहाँ क्या करने आये हो? ऐसे टाइप सीखेगा लड़की के स्वर में तल्खी बरकरार थी। विजय ने कहा, मेरा आज पहला दिन है, इसलिए मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है।

आप टाइप कर रही थी, तो मैं देखने लगा कि आपकी उँगलियाँ कैसे पड़ती है। कीबोर्ड पर आपको टाइप करते हुए देखकर लगा कि मैं भी सीख ही जाऊंगा, यदि इसी तरह मुझे ही देखते रहे। तो आपकी मनोकामना कभी पूरी नहीं होगी। लड़की ने कहा। लड़की ये कहकर फिर टाइप करने में जुट गई।

विजय भी कीबोर्ड देखकर टाइप करने लगा, टाइप करने में उसका मन नहीं लग रहा था। वो बेचैनी सा महसूस कर रहा था। 10 मिनट बाद ही उसने रीबन फंसा दिया। लड़की ने कहा रिबन तो फसेगा ही जब ध्यान कहीं और होगा लड़की उसके टाइप्राइटर को थोड़ा अपनी ओर खींच कर रिवन ठीक करने लगी। लड़की बोली जाकर लव स्टोरी कहानी पढ़ो पागल 

 

हैलो ठीक हो गया, लड़की ने कहा। लड़की फिर टाइप करने में लग गई लेकिन विजय का मन टाइप करने में नहीं लगा। वो लड़की से बात करने की ताक में ही लगा रहा। मन नहीं लग रहा है। अचानक लड़की ने उससे पूछा  क्या तुम सिख गए? हाँ, लगता है की सीख भी नहीं पाऊंगा। विजय ने बात बढ़ाने के लिए सवाल कर दिया, सरिता अच्छा नाम है, बहुत अच्छा नाम है, लेकिन मुझे इस नाम से नफरत है।

विजय ने पूछा। क्यों? अब कोई एक कारण हो तो बता ये कहते हुए सरिता अपनी सीट से उठीं और पर्स कंधे पर टांगे हुए कैबिन से बाहर निकल गई। विजय उसे जाते हुए देखता रहा। उसके जाने के बाद उसने टाइपराइटर पर नजर डाली टाइपराइटर उसे उदास लगा उसे शायद सरिता से प्यार होने लगा था। साला टाइपराटर को लव स्टोरी कहानी, Love Story Kahani पढ़ना चाहिए तभी इसका ख्याल हटेगा सरिता के ऊपर से।

इसी दिन से विजय हवा में उड़ने लगा। रातों को छत पर घूमने लगा। तारे गिनता और उनसे बातें करता चांदनी रत में बैठकर कविताएं लिखता गर्मी की धूप उसे गुनगुनी लगने लगी।  अब लव स्टोरी कहानी, Love Story Kahani विजय पढ़ने लगा। दुनिया गुलाबी हो गयी तो जिंदगी गुलाब का फूल आँखों से नींद गायब हो गई थी, वो ही ख्यालों में पैदल ही कई कई किलोमीटर घूम आता था। इस स्थिति के बारे में उसने अपने एक दोस्त को बताया तो उसने कहा तुम्हें प्यार हो गया है।

दोस्त की बात सुनकर उसे बहुत अच्छा लगा। अगले दिन विजय ने सरिता से कहा आप पर एक कविता लिखी है, चाहता हूँ कि आप इसे पढ़ें। सरिता ने कहा ये भी खूब रही, जान ना पहचान तू मेरा मेहमान कितना जानते हैं आप मुझे जो भी जानता हूँ उसी के आधार पर लिखा हूँ।

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सरिता उसके लिए कविता पढ़ने लगी। कविता के नीचे उसने विजय की जगह सागर लिखा था। सरिता ने उसे देखा और कागज विजय की तरफ बढ़ा दिया। विजय ने कहा, मैं चाहता हूँ कि आप इसे टाइप कर दें, इससे छपने के लिए भेजना है। सरिता कुछ नहीं बोली। कागज़ को सामने रखकर टाइप करने लगी, विजय उसे देखता रहा। इस बात का आभास सरिता को भी था की विजय उसे ही देख रहा है।

लेकिन उसमें कोई विरोध करने की बजाय उसे पूछा, आप कवी है?

हाँ बनने की कोशिश कर रहा हूँ?

कवी भगोड़े होते हैं। सरिता ने उसकी ओर देखते हुए कहा।  सरिता ने फिर कहा कवी अपने सुख के लिए कविता को लिखता हैं , रास्ते के समय में वो कविता के बारे में सोचता है मगर उसके बाद वो कविता को उसके हाल पर छोड़ देता है। कविता जब संकट में होती है। कवि कविता के पक्ष में खड़ा नहीं होता।

विजय ने पूछा ये आप कैसे जानती हैं? मैं समझती हूँ कि आदमी की जिंदगी भी एक कविता है। मेरी ज़िंदगी भी एक कविता है, मेरी ज़िंदगी मुझे अच्छी नहीं लगती। इसलिए कविता भी मुझे अच्छी नहीं लगती। अरे वाह आप तो कवी है? पूजा ने कहा। हाँ। अभी आपने जो कहा वो तो कविता है। सरिता ने कहा नहीं कविता नहीं, कविता का प्रलाप है, उसकी वेदना जो उस कवि के कारण उपजी है।

जिसने मेरी जिंदगी की रचना की। इतना कहकर सरिता कैंपेन से बाहर चली गयी और वो जो सोचता रहा की कैसे है ये? आज उन्होंने बहुत अधिक बातें की। उनके वार्तालाप को देखकर टाइप इन्स्टिट्यूट चलाने वाली मैडम ने उनके पास आकर कहा कि आजकल तो तुम काफी खुश था। बदले में सरिता भी मुस्कुराई, विजय मुस्कुराया, तो क्या मेरे प्यार की गंध इसे भी लग गई?

सरिता अगले दिन से ही एक सप्ताह तक  टाइपिंग स्कूल नहीं आई। विजय बहुत परेशान हो गया। विजय रोज़ आता रहा और निराश होकर वापस घर जाता रहा। आठवें दिन सरिता के आते ही वो पूछ बैठा की एक सप्ताह तक कहाँ थीं, आई क्यों नहीं ज़िन्दगी में बहुत दिक्कतें हैं। कहते हुए सरिता अपनी सीट पर बैठ गई।

विजय ने सवाल किया क्या हो गया? मेरी बहन जो बी ए कर रही है, किसी लड़के के साथ चली गई। दोनों बिना शादी के ही एक साथ रह रहे हैं। ऐसा क्यों किया? उसका कहना है कि यदि वो ऐसा ना करतीं तो उसकी शादी ही नहीं हो पाती।  हमारे घर की आर्थिक हालत इतना कहकर सरिता चुप हो गई।

विजय ने कहा, मुझे नहीं लगता कि आप की बहन ने गलत किया है। आजकल की युवा पीढ़ी विद्रोही हो गयी है, वो परंपराओं को तोड़कर सब कुछ खराब कर रहे हैं। सब समय के साथ, सब ठीक हो जाएगा सरिता ने कहा। कहा पर माँ तो नहीं समझती? हाँ, उनके लिए समझना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन आज कल सब चलता है। हमारा समाज बदल रहा है। बिना शादी के साथ रहना पश्चिमी परंपरा है, लेकिन अब ऐसा हमारे यहाँ भी होने लगा है। लव स्टोरी कहानी Love Story Kahani

हाँ बैठकर सपनों के राजकुमार का इंतजार करने से तो बेहतर ही है ना की जो हाथ थाम ले उसके साथ चल दिया जाए। चाहे 4 दिन ही सही। जिंदगी में बहार तो आएगी।

विजय को लगा कि कह दे कि फिर तुम मेरे साथ क्यों नहीं चली चलती? हम शादी कर लेते हैं। पर वो कह नहीं पाया। जानते हो, मेरी एक बहन बारहवीं में पढ़ रही है, उसका भी एक लड़के से प्रेम चल रहा है। वो तो नहीं दूसरे से शादी करने को तैयार हैं। अगले साल बालिग होते ही दोनों शादी कर लेंगे।

विजय के मन में आया कि कह दें कि अच्छा ही है, वह अपने आप पर खोज ले तो तुम्हे परेशानी नहीं होगी। वैसे भी 5000 की नौकरी में तुम कौन सा राजकुमार उन्हें दे दोगी? अच्छा है कि वह अपने अपने प्रेमियों के साथ भाग जाये। इन बातों बातों में 1 दिन सरिता ने उसे बताया था कि उसके पिता की मौत हो चुकी है और वो तीन बहन है, उसका कोई भाई नहीं है। बहनों में वही सबसे बड़ी है। वो एक ऑफिस में काम करती है। और उसे 5000 मासिक वेतन मिलता है तो दूसरी जगह काम पाने के लिए टाइपिंग सीख रही है।

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मैं भी सोचती हूँ कि बहन ने जो किया ठीक ही है। दूसरी जो करेगी वो भी अच्छा ही है। जीवन यदि संघर्ष है। तो करो। प्रेमी से पति बना व्यक्ति भी तोहफा दे सकता है। जीवन नरक बन सकता है। माता पिता का खोजा राजकुमार भी यही करता है। लेकिन माँ नहीं मानती सोचती बहुत है और तबियत खराब कर लेती है।

पुराने जमाने की हैं ना? मगर हद तो यह हो गई की वो मुझसे कहने लगी है तुम भी किसी के साथ भाग जाओ? मैं उन्हें इस हाल में छोड़कर किसके साथ सरिता रो पड़ीं?

विजय की समझ में नहीं आया। की हो क्या गए और अब क्या करें? स्थिति को सरिता समझ गयी, तू खुद पर काबू किया और फिर से टाइप करने लगी। 10 मिनट बाद सरिता उठी और बिना बोले ही चली गई। विजय की इच्छा हुई कि वो उसके पीछे पीछे चला जाए लेकिन वो बैठा रहा। और उसे जाते हुए देखता रहा। आसमान में बादल घिर आए थे, इस कारण परिवेश में अंधेरा पसर गया था। रह रहकर आसमान में बिजली चमकती और बादल के रास्ते ऐसे मौसम में भी टाइपिंग स्कूल जाने के लिए तैयार था।

वो सरिता से मिलना चाहता था। जब वो घर से निकला तो बूंदाबांदी शुरू हो चुकी थी फिर भी वो तेज कदमों से टाइपिंग स्कूल की तरफ बढ़ने लगा। कुछ ही दूर गया। कि बारिश तेज हो गई। सड़क पर चल रहे लोग भागकर किसी छांव में खड़े हो गए पर वो अपनी मस्ती में भीगता हुआ चलता रहा, चलता रहा। इन्स्टिट्यूट पहुँचकर उसे पता चला की सरिता नहीं आई है। इतनी बारिश में आने की क्या जरूरत थी?

मैडम ने विजय से कहा अब सरिता यहाँ कभी नहीं आएगी। क्यों आपको कैसे पता? उसका फ़ोन आया था। उसने कहा कि अगर तुम आओ तो तुम्हे बता दूँ। वो कभी नहीं आएगी। विजय की आवाज धीमी होने लगी। विजय टाइपिंग स्कूल से बाहर आया, बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी। विजय घर की तरफ चल पड़ा। उसने सोचा कि वो सरिता के घर जाएगा। लेकिन उसके पास उसका पता नहीं था। लव स्टोरी कहानी Love Story Kahani

उसके घर का पता मैडम तो दे सकती है ये सोचकर वापस लौटा, लेकिन तब तक टाइप में स्कूल बंद हो चुका था। देखते हुए घर पहुंचा तब तक उसका शरीर बुखार से तपने लगा था। लगभग 15 दिन वह चारपाई पर पड़ा रहा। जब कुछ ठीक हुआ तो 20 वें दिन टाइम पे स्कूल पहुंचा।  ये सिलसिला 15 दिनों तक चला 16 वें दिन उसे मैडम मिली उसे देखते ही बोल पड़ी काफी कमजोर हो गया हो। विजय ने कहा। हाँ। उस दिन बारिश में भीगा तो बीमार हो गया था।

विजय मैडम से सरिता के घर का पता मांगा तो उसने एक कागज पर लिखा और विजय के हाथ में थमा दिया। मैडम को धन्यवाद बोलकर वैसे चल पड़ा। वो आज ही सरिता से मिलना चाहता था। जब वो मैडम के दिए हुए पते पर पहुंचा तो वहाँ ताला लगा था। पड़ोसियों से पूछने पर पता चला कि सरिता यही रहती थी, लेकिन अब मकान बेचकर चली गयी है।

कई लोगों से पूछने के बाद भी विजय को उसका नया पता नहीं मिला। बेचारा निराश होकर घर लौट आया। सरिता के इस व्यवहार से उसे काफी धक्का लगा। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की सरिता ने ऐसा क्यों किया? वो सरिता की याद में कविताएं लिखने लगा।

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1 दिन उसने एक सपना देखा और उसके भावों को कविता के रूप में कागज पर लिखा। विजय की इस कविता को पत्रिका में छपे एक महीनो से अधिक हो गया है। लेकिन उसके पास इस बार भी अब तक सरिता का कोई पत्र या फ़ोन नहीं आया है है। उसे उम्मीद है की एक ना 1 दिन सरिता उससे संपर्क जरूर करेगी।

जब से वह कविता प्रकाशित हुई है तब से वह फ़ोन की प्रति एक घंटी पर चौंक जाता है। यही नहीं हर रोज़ पोस्टमैन का बेसब्री से इंतजार करता है। अब उसके आने का समय खत्म हो जाता है। तो वो समुद्र में डूब जाता है और अपना प्राण त्याग देता हैं।

 

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