स्त्री का घर दर्द भरी कहानी Sad Emotional Story in Hindi Short

आज की कहानी हैं एक लव स्टोरी पर आधारित हैं जिसमे एक लड़की अपनी मर्जी से शादी कर लेती हैं और बाद में उसको पछतावा होने लगता हैं। उसके पति से उसका नहीं बनता हैं, वह चाहकर भी घर पर नहीं बता पा रही थी, लेकिन बित्त्ते समय में कुछ ऐसे घटना होता हैं जिसमे सब कुछ बदल जाता हैं। आखिर ऐसा क्या होता हैं? जानिये इस। इस कहानी का शीर्षक हैं sad emotional story in hindi short जिसमे प्रेम करने के बाद जब शादी हो जाती हैं तो क्या दुःख और दर्द होता  यहीं इस कहानी में पढ़ने को मिलेगा, जो बहुत ही इमोशनल हैं।

 

रात का समय था और मुझे डर लग रहा था। इस वक्त मायके जाकर सबको क्या बताऊंगी के रात के इस पहल में अकेली क्यों आई हूँ और मेरा पति कहा है जबकि मेरा पति कैसे आता। मैं तो उस से लड़ झगड़कर आ गई थी। उस व्यक्ति ने मुझे एक बार भी नहीं रोका था, बल्कि साफ साफ कहा था कि तुम जा तो रही हो लेकिन याद रखना। वापस भी तुम्हें खुद ही आना पड़ेगा। मैं तुम्हे लेने नहीं आऊंगा।

इतने काँटेदार शब्द थे न। उसके और बोलने का ढंग तो, इससे भी ज्यादा खतरनाक था। मेरे तो आंसू ही नहीं रुक रहे थे। बदनामी का एहसास मुझे अंदर से काट रहा था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अपनी मर्जी की शादी करने के बाद भी मेरा गुज़ारा नहीं हो रहा था। शायद सच कहते हैं लोग प्यार मोहब्बत कुछ भी नहीं होता, सब कुछ पैसा ही होता है। जब इंसान की इच्छाएं पूरी ना हो तो उसका प्यार से दम घुटने लगता है। और मेरी इच्छा है तो जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही थी।

मुझे आज भी वो दिन याद है जब माँ और भाई ने मुझसे कहा था कि अच्छे से सोच लो, तुम जिससे व्यक्ति से शादी करने जा रही हो, उसके पास इतनी दौलत नहीं है। वो तुम्हें इतनी खुशी नहीं दे सकेगा जितनी तुमने यहाँ देखी है, लेकिन मुझ पर तो सिर्फ प्यार का बहुत सवार था। शादी के बाद आयुष का आदेश था। मुझे एहसास होने लगा कि मैंने गलती की है और इसकी शुरुआत उसी दिन से हुई थी जब मैंने जीन्स टॉप पहना था।

मेरे पति ने देखकर ये कहा था कि यह तुमने क्या पहने लिया है? हालांकि मैं पहले भी ऐसे कपड़े पहनती थी। उसने मुझे नहीं रोका था, लेकिन अब हम इस वक्त मेरे पति के दोस्त के घर है। शादी की दावत पर जा रहे थे। मैंने हैरत से अपने पति को देखा, जिसके चेहरे पर मायूसी थी। मैंने कहा की मैं तो शोर्ट कपड़े पहनती ही रहती हूँ, आज कौन सा मैंने पहली बार पहने है? और उसने साफ साफ मना कर दिया की अब तुम मेरी पत्नी हो।

मुझे ऐसे कपड़े पसंद नहीं है। कपडा अभी बदल लो,  मैं तो कुछ बोल ही नहीं पायी। मुझे उस दिन एहसास हुआ था कि मर्द की फितरत कितनी दोगली होती है, उसे महबूबा मोरन चाहिए होती है और पत्नी घुंघट में छुपी हुई। मैंने गुस्से में कपड़े चेंज कर लिए, लेकिन मेरा मूड पूरी तरह खराब हो चुका था।

एक तो घर में AC भी नहीं था। गर्मी से मेरी जान निकल रही थी। अगर मैं ज़रा खुश हुई थी तो वो खुशी भी उसने मुझसे छीन ली थी और फिर मेरा गुस्सा उस वक्त आसमान को छूने लगा जब मैंने ड्राइवर को फ़ोन करके अपने घर से बुलाया की हम दोनों को मेरे पति के दोस्त के घर ड्रॉप कर देगा।

sad emotional story in hindi short

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लेकिन मेरे पति ने मुझसे पूछे बिना ही उसे वापस भेज दिया और साफ शब्दों में कहा कि मेरे दोस्त ने मेरी हैसियत को जानते हैं, मैंने तुमसे शादी की है। तुम्हारी दौलत से नहीं, अब जैसे मैं रहता हूँ, तुम्हे भी वैसे ही रहना पड़ेगा और फिर हम  बिना AC के टैक्सी में बैठ कर गए। मेरी हालत में कुछ अटक चुका था। आज तो उमड़ उमड़ कर बाहर आ रहे थे। मैं मुश्किल से उन आंसुओं का गला घोंटने में लगी हुई थी।

हम कब पहुंचे कुछ पता ही नहीं चला। मेरे पति ने मुझे जैसे किसी सपने से जगाया और जैसे ही मैं टैक्सी से बाहर निकली मेरी आंखें फटी की फटी रह गयीं। हम एक आलीशान बंगले के सामने खड़े थे। मुझे पता ही नहीं था कि मेरे पति का कोई दोस्त इतना अमीर भी था। मैंने हैरत से अपने पति की तरफ देखा जो अब टैक्सी वाले को किराया दे रहा था। उसके बाद उसने दरवाजे पर बेल बजाई।

मैंने फौरन अपने हुलिए की तरफ देखा। सादा सी साड़ी में मैं उस आलीशान घर में जाने के काबिल नहीं थी। अब मुझे गुस्सा आ रहा था की मैंने वो कपड़े क्यों उतारे थे? और फिर गार्ड ने दरवाजा खोल दिया। उसने अच्छे से हमारा वेलकम किया और एक नौकर हमें लेकर अंदर आ गया जितना बाहर से खूबसूरत था, अंदर से इतना ही दिलकश था। हर चीज़ में खूबसूरती झलक रही थी। मुझे फौरन अपना मायका याद आ गया।

जब मैं अपने प्यार के लिए छोड़ आई थी, मेरा दिल टूट गया था और फिर मेरे पति का दोस्त बाहर आया। उसके साथ उसकी पत्नी भी थी। दोनों को देखकर मैं हैरान रह गई थी। वो दोनों एक दूसरे के संग इतनी खूबसूरत लग रहे थे। उस लड़की ने बहुत ही मॉडर्न कपड़े पहन रखे थे। दोनों ने फूल देकर हमारा वेलकम किया। मुझे अपना आप मिटता हुआ सा लगने लगा। मैं आज तक बड़ी बड़ी शादियों और पार्टियों में गयी थी और लाखों लाखों के कपड़े पहनती थी। पर इस वक्त में बिल्कुल वैसी ही लग रही थी जैसे हमारे घर की नौकरानी।

अंदर का माहौल इतना ठंडा था की मुझे कुछ देर बाद ही ठंड लगने लगी। मैं तो उन सब चीजों की आदी थी। गर्मी तो मैंने कभी देखी ही नहीं थी। मेरा पति अपने दोस्त से हँस हंसकर बातें कर रहा था और उसकी पत्नी खाने पीने का इंतजाम देखने चली गई। मेरे पति के दोस्त ने कहा कि भाभी आप बहुत अच्छी लग रही है उसने आँखों में आंख डालकर कहा, अभी भी मोहब्बत करने वाली औरतें दुनिया में मौजूद है।

वरना आज कल तो औरतें पैसे? पर मारती है। उसकी बात से मुझे कुछ हुआ था, मैं चुपचाप बैठी रह गई। एक खुशगवार माहौल में हमने खाना खाया। मेरे पति का दोस्त थोड़ी थोड़ी देर बाद उससे बातें कर रहा था। वो कह रहा था की मैं कितने दिनों से आप लोगों की दावत करना चाहता था। लेकिन आपके पति के पास टाइम ही नहीं था और फिर मैंने अपने पति की तरफ देखा जो खामोशी से खाना खा रहे थे। Best Emotional Short Story in Hindi

मुझे महसूस हुआ कि जैसे वह जानबूझकर मुझे यहाँ नहीं लाना चाहता था। मेरे पति के दोस्त की पत्नी बिल्कुल किसी रोबोट की तरह थी। वो देखने पर बस मुस्कुरा देती थी। कुछ बोल ही नहीं रही थी। तकरीबन 3 घंटे हम वहाँ रहे, मेरा वहाँ से उठने को दिल नहीं चाह रहा था, लेकिन वापस तो आना ही था। हम लोग वापस आ गए।

मेरे पति के दोस्त और उसकी पत्नी ने मुझे गिफ्ट दिया था। वापस आकर मुझे उस छोटे से घर में अजीब सा एहसास हुआ था। मेरा दम घुटने लगा था, दिल कर रहा था की वापस उधर ही चली जाऊं, लेकिन अब तो मुझे यहीं रहना था। मेरे पति खामोशी से कपड़े बदलने चले गए। गर्मी इतनी थी कि कुछ ही देर में मुझे पसीना आने लगा। यहाँ AC तो क्या कूलर भी नहीं था?

मुझे अब अपने पति पर गुस्सा आ रहा था। उसने वो सब कुछ लेने से मना कर दिया था। जो मेरे घरवालों ने दिया था एक घर और गाड़ी लेकर मेरे पति के आत्म शांत हो गया था। मैं यहाँ जल रही थी। कुछ देर बाद मैंने भी चेंज कर लिया और जब मैंने गिफ्ट खोलकर देखा तो मेरी आंखें चुंगी आ गयी। उसमें ही खूबसूरत सा डायमंड का सेट था। मैं अभी उसकी खूबसूरती में गुम थी कि मेरे पति ने वो सेट मेरे हाथ से छीन लिया और कहा कि इतना महंगा गिफ्ट नहीं लेना ये हम उन्हें वापस करेंगे।

मैंने हैरत से अपने पति को देखा, उसके चेहरे पर गुस्सा था। मैंने सेट में ही फेंक दिया और सोने के लिए लेट गयी। लेकिन गर्मी इतनी थी कि सोया नहीं गया, जबकि मेरा पति थोड़ी देर बाद ही सो गया था। उसे आदत थी ऐसे रहने की, जबकि मुझे नहीं थी और फिर हमारे झगड़े बढ़ते गए। मुझे महसूस हुआ था कि मेरा पति बड़ा अजीब और सनकी सा था।

उसने मुझे जॉब करने से भी मना कर दिया था। ज़रा की मुझे बहुत अच्छी जगह से ऑफर हुई थी। मैंने अपने पति से कहा कि हम दोनों मिलकर जॉब करते हैं और अपना घर बनाएंगे। वो सब चीजें जिनकी हमें जरूरत है, लेकिन मेरे पति ने कहा कि मैं तुम्हें जॉब की अनुमति नहीं दे सकता। अब मुझे लगने लगा था कि उसने जैसे मुझे घर में कैद कर लिया। जब पागल हो रही थी मुझे छोटी छोटी जरूरतों के लिए पैसे चाहिए होते थे, जो मेरे पति के पास नहीं थे।

कभी बिजली नहीं होती तो कभी पानी बंद हो जाता था। 4 दिन में ही मेरी अक्ल ठिकाने आ गई। मोहब्बत का भूत मेरे सर से फ़ौरन उतर गया था। मैं तो अपने भाई से भी कुछ डिस्कस नहीं कर सकती थी। उसने पहले ही मुझे इस शादी से मना किया था और फिर उसी दिन मुझे माँ का फ़ोन आ गया। वो मुझे बता रही थी कि भाई और भाभी घूमने गए हुए थे। मेरा दिल दुख रहा था। भाई ने भाभी को अपनी मुट्ठी में किया हुआ था।

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वैसे तो भाभी बहुत अच्छी थी लेकिन मेरा भाई उसकी मर्जी के बिना कुछ नहीं कर सकता था। मुझे नए कपड़े की जरूरत थी, मेरे पास कपडे के कम जोड़े थे, मुझे कुछ कपड़े खरीदने थे। मैंने बातों बातों में माँ से कहा था तो उन्होंने मेरे अकाउंट में पैसे भेज दिया। और मैं खुश हो गयी। फिर मैं फौरन शॉपिंग करने चली गयी, लेकिन जब वापस आई तो मेरा पति घर आ चुका था। उसने गुस्से से पूछा कि तुम मुझे बताए बिना कहा गयी थी।

मैंने साफ साफ कह दिया कि शॉपिंग करने गयी थी और मुझे डर भी लग रहा था। मेरे पति ने पैसों के बारे में पूछा तो मैंने कहा। उसकी माँ से लिए हैं। इस पर उसने अपने जबड़े बेच लिए। मैं जानती थी कि उसे गुस्सा आया था, लेकिन यह मेरे पैसे थे। उन पर मेरा हक था, वो घर से निकल गया। रात को आया तो उसके हाथ में कुछ कपड़े थे।

उसने वो कपड़े मेरी तरफ़ फेंकते हुए कहा की ये। किसी भिखारी को दे दो। मेरा दिमाग बिल्कुल खराब हो गया। मुझे अपने पति पर पागलपन का असर लग रहा था। मैं भी चुप न रह सकी और मैंने कहा की तुम पागल हो गए हो क्या? अगर तुम्हारा बस चले तो तुम तो मुझे यहाँ सांस भी न लेने दो। मेरा यहाँ दंग उड़ता है मेरी माँ के पैसों पर मेरा हक है, वो भी गुस्से से बोला तुम ही मुझसे शादी करना चाहती थी, मैंने तुमसे कुछ छुपाया नहीं था और मैं रोने लगी।

मैंने वो कपड़े उठाएं जो मैं खरीद कर लाई थी। जब मैं कमरे से निकलने लगी मेरे पति ने पीछे से कहा की जा तो रही हो। मगर आना भी खो दी है और मैं पता नहीं कैसे अपने घर तक पहुंची थीं। मैं आते ही अपनी माँ से लिपटकर रो पड़ीं। उन्होंने पूछा कि क्या हुआ है? पर मैं कुछ नहीं कह सकी। मैं चुपचाप अपने कमरे में आ गई। मुझे अपने पति से नफरत महसूस हो रही थी। मेरी मोहब्बत जैसे मर गयी थी। अपने कमरे में AC के साथ मुझे अच्छी नींद आई थी।

अगली सुबह भाभी ने मुझे आकर उठाया था, वो मुझसे शिकवा कर रही थी, हम भी रात को ही आये है। अरे भाभी से फौरन पूछा की भाई आप से इतनी मोहब्बत कैसे करते हैं? वो आपकी हर बात कैसी मानते हैं? यह सुनकर भाभी के चेहरे पर साया सा लहराया फिर उन्होंने कहा कि ये तो औरत के नसीब की बात है, किसी को सब मिल जाता है और किसी को सब मिलकर भी कुछ नहीं मिलता।

मुझे उनकी बातों पर हैरत हुई। उन्होंने मुझे कहा कि अपने पति के साथ हमेशा वफादार रहो। बस यही एक रास्ता है जिससे पति का दिल जीता जा सकता है और मैं सर झुकाये बैठी रहीं, किसी ने मुझसे कुछ नहीं पूछा। पूरा हतास हो चुकी थी। अपने मायके आए तब ना मेरे पति ने फ़ोन किया था ना मैंने। मैं यहाँ बहुत सुकून में थी। ससुराल के बारे में याद आते ही मेरी आत्मा काँप जाती थी। कभी कभी वो जाली व्यक्ति याद आता था क्योंकि मैं उस से मोहब्बत करती थी और फिर पूरे एक हफ्ते बाद मुझे एक अनजान नंबर से फ़ोन आया।

मैंने वो आवाज पहचान ली थी। ये मेरे पति का वही दोस्त था जिसके घर में दावत पर गई थी। वह फिर से घर बुला रहा था। कह रहा था की उस दिन कुछ जरूरी बातें रह गई थी और शायद उसे भी अब तक का पता चल चुका था की मैं अपने घर आई हुई थी। मैंने बिना सोचे समझे हाँ कर दी। और अगले दिन में बताए गए टाइम से पहले ही अपनी लंबी गाड़ी में बैठकर वहाँ पहुँच चुकी थी अंदर खामोशी सी थी कोई भी नहीं था। कोई है मैंने पूछा  और फिर मुझे एक आवाज सुनाई दी।

दरवाजा खटखटाने की आवाज तभी मुझे एहसास हुआ की आवाज किचन के साथ बने कमरे से आ रही थी। मैंने जाकर दरवाज़ा खोला जो बाहर से बंद था। अंदर का मंजर देखकर मेरी आत्मा कापने लगी। मेरे पति के दोस्त की पत्नी रस्सियों से बंधी हुई थी। वह बहुत जख्मी थी। मैंने फौरन उसका मुँह खोला और फिर उसने कहा कि यहाँ से भाग जाओ, वह व्यक्ति जानवर है, तुम उसके जाल में मत आओ  सो भाग जाओ यहाँ से।

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और फिर उसने मुझे जो कुछ बताया था वह बहुत भयानक था। वो अमीर आदमी हैं, दरअसल एक स्मगलर और साइकोकिलर था। और वो अपनी पत्नी को रोज़ मारता था। पुलिस उसके पीछे पड़ी हुई थी, वहाँ से मैं अपने कमरे में आकर जैसे बेहोश हो गई। मैं बुरी तरह डर गयी थी। मैं अपने भाई को बताना चाहती थी ताकि वो उस लड़की की मदद करें। तभी मुझे अचानक उनके कमरे से बाहर भी के रोने की आवाज आई।

भाई भाभी पर चीख रहे थे। मुझे आज समझ आ गया था कि सब मर्द ऐसे ही होते हैं। मुझे अपना पति याद आया जो मुझ से मोहब्बत करता था, बस उसके पास पैसा नहीं था। मेरा दिल किया कि मैं यहाँ से भाग जाऊं। शाम होते ही मेरा पति मुझे लेने आ गया। लेकिन मुझे उसी के साथ जाना था। वो मेरा रक्षक था, घर से बाहर निकली तो हैरान हो गई बाहर एक चमकती गाड़ी थी।

मेरे पति ने बताया की ये गाड़ी उसे ऑफिस की तरफ से मिली है। उसने मुझसे माफी मांगी और मैं तो रो ही पड़ी थी। मैंने उसे सब बता दिया। उसने मुझे गले लगाया और कहा, पागल तुम तो बेवकूफ हो। फिर उसने मुझे बताया कि उसका दोस्त पकड़ा जा चुका था, उसका दोस्त नहीं था। बल्कि मेरे पति ने उसे जान बूझकर दोस्ती की थी ताकि उसके खिलाफ़ सबूत इकट्ठे कर सके और मुझे ये आज ही पता चला था कि मेरा पति एक सीक्रेट एजेंट था।

वो गरीब नहीं था, लेकिन अपने मिशन के लिए बना हुआ था। मिशन पूरा हो चुका था। मैंने फौरन ही ऊपर वाले का धन्यवाद किया जिसने मेरी आंखें खोल दी थी और वक्त रहते मुझे बचा लिया था।

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दोस्तों यह थी हमारी sad emotional story in hindi short आज की कहानी उम्मीद करते हैं की आपको पसंद आयी होगी। आपका क्या कहना है इस कहानी के बारे में? कॉमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताइयेगा। धन्यवाद।

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