Top 20 Best Hindi Story for Kids | बच्चों के लिए हिंदी कहानी | Moral Stories in Hindi

यंहा पर हम आपके लिए Top 20 Best Hindi Story for Kids , बच्चों के लिए हिंदी कहानी लेकर आये हैं इस कहानी से बच्चो के अंदर नैतिक विकाश होगा। Moral Stories in Hindi वाली कहानियों के अंदर बच्चों को सच्चाई, ईमानदारी, समर्पण, सहानुभूति, और उच्चतम मानवीय मूल्यों का महत्व समझाया जाता है। अतः इन सारे बातो को देखते हुए Hindi Story for Kids आपके लिए आये हैं।

बच्चों के लिए हिंदी कहानियाँ बच्चों की बुद्धिमता और ज्ञान का विकास करती हैं। ये कहानियाँ अद्भुत प्रेरणा से भरी होती हैं और बच्चों को समस्याओं का समाधान ढूंढने, स्वतंत्र मतलब विचार करने और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करती हैं।

भाषा और संवाद कौशल का विकास: हिंदी कहानियों का पठन और सुनना बच्चों की भाषा और संवाद कौशल का विकास करता है।

 

साधु और सांप की कहानी Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है, एक गांव में एक साधू रहते थे। वह साधू अपनी आश्रम में साधना और ध्यान करते रहते थे। एक दिन, उन्होंने अपने आश्रम के बगीचे में देखा कि एक सांप (सर्प) अपनी चपेट में कुछ जानवर ले जाने की कोशिश कर रहा था। साधू ने देखा कि वह जानवर बहुत डर कर चिल्ला रहा था।

साधू ने सांप से पूछा, “यह क्या कर रहे हो, और वह जानवर इतना डर क्यों रहा है?

सांप ने जवाब दिया, “प्रिय मुनि, मैं भूखा हूँ और मुझे भोजन चाहिए। मैं उस जानवर को खाने के लिए पकड़ना चाह रहा हूँ, लेकिन वह डर से चिल्ला रहा है।”

साधू ने समझाया, “सांप भोजन के लिए अन्य विकल्प ढूंढने की कोशिश करो। यह जानवर डर से चिल्ला रहा है क्योंकि वह अपने जीवन की सुरक्षा के लिए लड़ रहा है। हम सभी जीव जन्तु अपने जीवन की सुरक्षा के लिए लड़ते हैं।”

साधू ने आगे कहा, “तुम सांप हो, तुम्हारे पास अन्य जीवों को खाने के लिए विकल्प हैं जैसे कि पक्षी, छोटे-छोटे जानवर और फल-फूल। यदि तुम अपनी भूख बुझाना चाहते हो, तो इनका सहारा लो। वे तुम्हें अनहोनी से बचा सकते हैं और तुम्हारी भूख मिटा सकते हैं, बिना किसी जीव को नुकसान पहुंचाए।”

सांप ने साधू की सलाह सुनी और उसने अपने भोजन की तलाश में अन्य विकल्पों की ओर ध्यान दिया। उसने देखा कि आश्रम के बगीचे में एक साही (मोर) बैठा हुआ था। सांप ने साही को अपनी दिशा में बुलाया और कहा, “हे साही, क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो? मैं भूखा हूँ और मुझे भोजन चाहिए। क्या तुम मुझे कुछ खाने की सलाह दे सकते हो?”

साही ने ध्यान से सांप को देखा और कहा, “देखो सांप, तुम मेरे लिए खतरनाक हो सकते हो, लेकिन मैं भी अपने आप को सुरक्षित रखना चाहता हूँ। मेरे पंख और धूप में शोभा बदलाने के अलावा मुझे तुम्हारी मदद करने का तरीका नहीं पता। लेकिन तुम बाग के दूसरे हिस्से में रहने वाले छोटे-छोटे जानवरों से मिलो

सांप ने साही की सलाह मानी और वह बाग के दूसरे हिस्से में रहने वाले छोटे-छोटे जानवरों के पास गया। वहां उसने एक खरगोश, एक साधूकंजूस (मूंगूस), और एक नीलगाय को देखा।

सांप ने ध्यान से इन जानवरों को देखा और कहा, “नमस्ते दोस्तों, मैं भूखा हूँ और मुझे भोजन चाहिए। क्या तुम मुझे कुछ खाने की सलाह दे सकते हो?”

खरगोश ने उसे एक खास खाने की सलाह दी, “हे सांप, तुम खेतों के पास जाओ और घास का सेवन करो। घास तुम्हारे लिए आसान और पौष्टिक भोजन होगी।”

साधूकंजूस ने इस पर जोड़ते हुए कहा, “हाँ, सांप भोजन के लिए खेतों में घास की खोज कर सकते हो। लेकिन सावधान रहो, क्योंकि कुछ किसान तुम्हें हानि पहुंचा सकते हैं।”

नीलगाय ने भी अपना सुझाव दिया, “हे सांप, तुम जंगल में सैर करें और पेड़-पौधों की पत्तियों का सेवन करो। यह तुम्हें ऊर्जा देगी और भोजन के रूप में सही रहेगी।”

सांप ने धन्यवाद कहकर उन सभी जानवरों का साथ दिया। उसने खरगोश की सलाह मानते हुए खेतों की ओर रवाना हुआ। वह खेतों में घास की खोज करने लगा और बहुत जल्दी ही अपनी भूख मिटा ली। वह खुश था कि उसे खरगोश ने एक अच्छा खाना सुझाया था जो उसके लिए सुरक्षित था।

दिन बिताते हुए सांप ने अपने बगीचे में साधु के पास वापस जाकर बताया, “पूज्य मुनिजी, मैंने आपकी सलाह मानते हुए खरगोश की सलाह ध्यान में रखते हुए खेतों में घास का सेवन किया। मुझे अपनी भूख मिटाने में सफलता मिली और मैंने किसी जीव को कोई हानि नहीं पहुंचाई।”

साधू ने प्रसन्नता से कहा, “बहुत अच्छा, सांप। तुमने सही रास्ता चुना और दूसरे जीवों के साथ सहयोग किया। यह संदेश देता है कि हम सभी प्रकृति के हिस्से हैं और हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।”

सांप ने अपनी कहानी को जारी रखते हुए कहा, “जब मैं खेतों में घास का सेवन कर रहा था, तो खरगोश मुझे खतरों से बचाने के लिए चेतावनी देता रहा। इसके बाद, मैं जंगल में चला गया और नीलगाय से पेड़-पौधों के बारे में सीखा। जब मैंने सहयोग और समझदारी का उपयोग किया, तो मैंने अपनी भूख मिटा ली और दूसरे जीवों को कोई हानि नहीं पहुंचाई।”

साधू ने अभिनंदन करते हुए कहा, “तुमने यह समझ लिया है कि सहयोग और समझदारी हमें सबके साथ भाईचारे के रूप में रहना सिखाते हैं। जब हम सभी प्राणियों का सम्मान करते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं, तो हम समरसता और शांति का संगठन करते हैं।”

यह कहानी हमें यह बताती है कि हमें सभी प्राणियों के साथ सहयोग करना चाहिए और हमेशा समझदारी से चलना चाहिए। हम एक दूसरे के साथ भाईचारे और समझदारी के भाव को स्थापित करके परस्पर सहायता कर सकते हैं। जब हम एकत्र होकर समरसता और प्रेम की भावना से काम करते हैं, तो हम एक सदैव खुशहाल और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करते हैं।

सांप ने इस बात को समझा कि जीवों के बीच विभिन्न रूपों का भोजन हो सकता है और उन्हें हर एक का सम्मान करना चाहिए। यह हमें अनुभव कराता है कि हम सभी प्राणियों के साथ संघर्ष नहीं करने की बजाय सहयोग और आपसी समझ के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

इस कहनी से हमें क्या शिक्षा मिला? 

इस कहानी से हमें एक यह शिक्षा मिला की Hindi Story for Kids से जीवन में हमें आपसी सहयोग की आवश्यकता होती है और हमें एक-दूसरे के साथ समझदारी और समरसता के साथ रहना चाहिए। इस प्रकार, हम सभी का भला होता है और हम एक खुशहाल, अंतर्द्वंद्विता मुक्त और प्रेमपूर्ण समाज का निर्माण कर सके हैं।

दुखों से मुक्ति Moral Stories in Hindi

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एक समय की बात है, एक गांव में एक युवक रहता था जिसका नाम आदित्य था। आदित्य बहुत खुशनुमा और जीवन्त स्वभाव के धनी थे, लेकिन एक दिन अचानक एक दुखभरा समाचार सुनकर उनकी खुशियों की घटना हो गई। उनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी। वे दुःखी और तनावग्रस्त हो गए और उनके जीवन में अचानक अंधकार छा गया।

आदित्य ने दुख और असामान्यताओं में डूबते हुए दिन बिताना शुरू कर दिया। वह अकेले रहने लगे और उसकी प्रेरणा, ऊर्जा और खुशियाँ सब कुछ उससे छीन ली गईं। जीवन उसके लिए अब बस एक निराशा का मंजर बन गया।

एक दिन, जब वह जंगल में टहल रहा था, उसने एक वृक्ष के नीचे एक बूढ़े साधु को बैठे देखा। साधु ने उसकी आँखों में दुख को देखा और अपना हाथ आदित्य की ओर बढ़ाया।

साधु ने कहा, “बेटा, तुम बहुत दुःखी लग रहे हो। क्या मुझे बता सकते हो कि तुम्हारा दुःख कारण क्या है?”

आदित्य ने साधु की ओर देखते हुए अपनी दुःखभरी कहानी साझा की। उन्होंने कहा, “महात्मा जी, मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई है और इससे मेरे जीवन में अचानक अंधकार छा गया है। मुझे उनकी आवाज, उनका स्पर्श और उनकी प्यारी मुस्कान की याद आती है। मैं तनहा हूं, अपने लक्ष्यों को खो चुका हूं और खुशी का एहसास नहीं कर पा रहा हूं। मेरा दिल दुखी हुआ है और मैं दुःख से मुक्ति चाहता हूं।”

साधु ने आदित्य की ओर आदरपूर्वक देखा और कहा, “बेटा, दुःख और विपत्ति जीवन का अविचित्र हिस्सा हैं। यह आयेगा और जायेगा, लेकिन हमारा जीवन कैसे प्रतिक्रिया करता है, यह हमारे हाथ में है। दुःख के बीच भी खुशी की किरणे होती हैं, और तुम्हें उन्हें ढूंढ़ने की आवश्यकता है।”

 

आदित्य आश्चर्यचकित हो गए और पूछा, “कृपया मुझे बताइए, महात्मा जी, कैसे मुझे दुःख से मुक्ति मिल सकती है और खुशहाली की ओर कैसे आगे बढ़ाऊँ

साधू ने प्रसन्नता के साथ कहा, “बेटा, दुःख से मुक्ति प्राप्त करने के लिए तुम्हें अपनी मनस्थिति को परिवर्तित करने की आवश्यकता है। दुःख एक अनुभव है, लेकिन उसके बावजूद हम खुशहाल रह सकते हैं।”

फिर उन्होंने आदित्य को कुछ महत्वपूर्ण बातें समझाई। साधू ने कहा, “पहले, तुम्हें अपने अंतरंग ध्यान को नियंत्रित करना सीखना होगा। ध्यान लगाने के लिए तुम ध्यानाभ्यास, योग या ध्यान की तकनीकों का उपयोग कर सकते हो। इससे तुम्हारी मनस्थिति स्थिर होगी और तुम दुःख के समय भी शांत और स्थिर रहोगे।”

“दूसरे, तुम्हें सभी चीजों के लिए आभार प्रकट करना चाहिए। जीवन में हमें जो भी मिलता है, उसे स्वीकार करना चाहिए। यह हमें आनंद और संतोष प्रदान करेगा और हमारे दुख को कम करेगा।”

“तीसरे, तुम्हें अपनी सेवा में लगना चाहिए। दूसरों की मदद करने और सेवा करने से हमारे आत्म को संतुष्टि मिलती है और हमारे दुख कम होते हैं।

साधू ने कहा, “तथा, आदित्य, तुम्हें अपने दुख को साझा करने का व्यवस्थित तरीके से करना चाहिए। दोस्तों, परिवार के सदस्यों या अन्य किसी को अपनी मन की बातें सुनाने का प्रयास करो। यह तुम्हें आराम और सहयोग प्रदान करेगा और तुम्हारे दुख को हल्का करेगा।”

धीरे-धीरे, आदित्य ने साधू के बताए गए संदेशों को अपने जीवन में उतारा। वह ध्यानाभ्यास करने लगा, आभार प्रकट करने का अभ्यास किया और सेवा करने का मार्ग अपनाया। वह अपने दोस्तों और परिवार के साथ अपनी अनुभवों को साझा करने लगा।

समय बितते हुए, आदित्य ने धीरे-धीरे अपने दुख से मुक्ति प्राप्त की। वह दुखी स्थिति से बाहर निकलकर पुनः खुशहाली के रास्ते पर चल दिया। उनका मन पुनः प्रकाशमय हो गया और वह जीवन के हर पल का आनंद लेने लगा।

 

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि दुःख और विपत्ति को जीवन से जुड़े हिस्से के रूप में स्वीकार करना हमारी सामर्थ्य और सहनशीलता को बढ़ात है। हमें इससे नहीं डरना चाहिए, बल्कि हमें इससे निपटने का तरीका सीखना चाहिए। हमें यह भी समझना चाहिए कि हम अकेले नहीं हैं। जब हम दुखी होते हैं तो हमें अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों, या सामाजिक संगठनों से सहायता माँगने का हक होता है।

इसके अलावा, हमें ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि जीवन के उतार-चढ़ाव हमेशा होते रहते हैं और हमें इनका सामना करना होता है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि दुख एक अनुभव है, जो हमें सीखने और बढ़ने का मौका देता है।

अंत में, जब हम अपने दुख से मुक्ति प्राप्त करते हैं, तो हमें यह भी समझना चाहिए कि हमें अपने आप से प्यार करना चाहिए और अपने जीवन के हर पल का आनंद लेना चाहिए। हमें स्वस्थ, संतुलित और खुशहाल रहने के लिए अपने शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बनाए रखना चाहिए।

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आत्मनिर्भर होना , Hindi Story for Kids बच्चों के लिए हिंदी कहानियाँ 

Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है, एक गांव में राहुल नाम का एक गरीब लड़का रहता था। राहुल के परिवार का आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर था। उनके पिताजी को बीमारी के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी थी और परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए राहुल को अपने उम्र से बड़े बच्चों की मदद करनी पड़ती थी।

एक दिन, राहुल एक पुरानी पुस्तक को बाज़ार में बेचते हुए चला गया। वह वापसी करते समय एक साधू को मिला जो उसे अपनी बेची हुई पुस्तक की कमाई देखकर पूछता है, “बेटा, तुम क्या कर रहे हो?”

राहुल ने कहा, “महात्मा जी, मैं इस पुस्तक को बेचकर अपने परिवार की मदद कर रहा हूँ। हमें आर्थिक समस्याओं से निपटना हो रहा है और मैं अपने आप को स्वयंसेवी बनाने की कोशिश कर रहा हूँ।”

साधू ने मुस्कान करते हुए कहा, “बेटा, तुम बहुत समझदार हो। आत्मनिर्भर होना जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। जब तुम स्वयंसेवी होते हो तो तुम्हारी मदद की जाने वाली चीजें तुम्हसे से नहीं होतीं, बल्कि तुम खुद अपनी मदद करते हो।”

राहुल ने साधू की बात से बहुत प्रभावित होकर सोचा कि वह अपनी ज़िंदगी के निर्णय खुद लेना चाहता है। वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपनी मदद करने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय निकालने लगा। वह गांव में अपनी सेवाएं प्रदान करने लगा और उसे आत्मनिर्भरता का एहसास हुआ।

उसकी सेवाओं का जवाब उसे धीरे-धीरे मिलने लगा और उसने अपने बचाए हुए पैसों से एक छोटी सी दुकान खोल ली। उसकी दुकान में वह सस्ते मूल्य पर सामान बेचता था और इस तरीके से वह आत्मनिर्भर बन गया था।

साधू ने राहुल को फिर से मिला और उसने देखा कि राहुल आत्मनिर्भर बन गया है। साधू ने उसे अभिनंदन किया और कहा, “बेटा, तुमने आत्मनिर्भरता का मतलब समझ लिया है। अब तुम अपने परिवार की मदद करने के साथ-साथ अन्यों की मदद भी कर सकते हो। यह तुम्हारी जीवन में खुशहाली लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

राहुल ने साधू के वचनों को गहराई से समझा और उन्हें अपने दिल में समाने का प्रयास किया। वह नई ऊर्जा और संकल्प के साथ अग्रसर हुआ और औरों की मदद करने का अवसर खोजने लगा।

राहुल ने देखा कि उसके आसपास बहुत से लोग थे जिन्हें उसकी सहायता की ज़रूरत थी। उसने गरीबों के लिए मुफ्त शिक्षा केंद्र खोला, जहां वह बच्चों को पढ़ाई के लिए मुफ्त सामग्री और साथ ही उन्हें आवश्यक शिक्षा सुविधाएँ प्रदान करने लगा।

राहुल की सेवाओं ने गांव के लोगों के दिलों में एक नया उत्साह और आशा का जीवंत स्रोत जगाया। उन्होंने दूसरे गरीब बच्चों को भी पढ़ाई में मदद की शुरुआत की और उन्हें नौकरी के अवसर प्रदान करके उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार की।

राहुल की सफलता की खबर आसपास के शहर तक पहुँच गई और एक अमीर व्यापारी ने उसे अपनी कंपनी में काम करने के लिए नौकरी की पेशकश की। परंतु राहुल ने इस ऑफर को नकार दिया, क्योंकि वह अब आत्मनिर्भर हो चुका था और अपने कर्तव्य का पूर्णतया निर्वाह करने के लिए पूरी तरह से तैयार था। उसने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया और उसने एक छोटी सी दुकान खोल दी।

उसकी दुकान में वह अपनी स्वयं की उत्पादित सामान को बेचता था। उसके उत्पादों की गुणवत्ता बहुत अच्छी थी और जल्द ही वह अपने विस्तृत ग्राहक आधार के साथ सफल हो गया।

वह अपने व्यवसाय में सक्षम बन गया था और अब उसे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार देखने का समय आ गया था। उसने अपनी समृद्धि का उपयोग करके अपने गांव में ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना जारी रखा।

वह नहीं भूला कि उसकी सफलता का रहस्य उसकी आत्मनिर्भरता और कर्तव्य के प्रति अपने समर्पण के लिए था। उसने हमेशा अपने संघर्षों से डरना नहीं सीखा, बल्कि उनसे सीखा और उनसे अपना बढ़ता हुआ संघर्ष सामने रखता था।

 

इस कहानी से हमें क्या सिख मिली ?

राहुल की कहानी हमें यह सिखाती है कि आत्मनिर भर होना अपनी पहचान और स्वावलंबीता की प्राप्ति का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है। जीवन में संघर्षों और परेशानियों का सामना करके हम अपनी क्षमताओं को विकसित करते हैं और आत्मविश्वास का आदान-प्रदान करते हैं। राहुल ने अपनी आत्मगुणों का पूरा उपयोग करके स्वयं को संघर्षों के माध्यम से परिवर्तित किया और एक सफलतापूर्ण और सम्पन्न जीवन जीने की दिशा में अग्रसर हुआ।

यह कहानी हमें यह दिखाती है कि आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक रूप से ही सीमित नहीं होती है। Hindi Story for Kids यह अपनी मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति में भी समर्थ होने का मतलब है। जब हम अपने स्वयं के विकास और संघर्ष के माध्यम से आत्मनिर्भर होते हैं, तब हम अपने साथियों और समाज के लिए भी एक प्रेरणा बन जाते हैं।

तीखी मिर्ची नैतिक कहानियां , Moral Stories in Hindi

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एक गांव में एक शरारती लड़का रहता था जिसका नाम रामु था। रामु अक्सर दूसरों को परेशान करने और नाराजगी के लिए तीखी मिर्ची का उपयोग करता था। वह लोगों को डराने और परेशान करने में बहुत मज़ा लेता था।

एक दिन, गांव के वृद्ध आदमी बालक रामु के पास आए और उसे गलती से तीखी मिर्ची खिला दी। रामु तुरंत रोने लगा और वृद्ध आदमी ने उसे समझाया, “बेटा, तीखी मिर्ची दूसरों को तकलीफ देने के लिए नहीं होती। वह बदले की भावना पैदा करती है और दूसरों के दुःख का कारण बनती है।”

रामु ने गहराई से सोचा और उस आदमी से कहा, “दादाजी, मुझे माफ़ कर दो। मैं गलती कर रहा था। मैं तीखी मिर्ची का उपयोग छोड़कर दूसरों की मदद करने का निर्णय लेता हूं।”

रामु ने तत्पश्चात अपने व्यवहार में बदलाव लाया और अपने शरारती तत्वों को समझने के बजाय अपने गुणों का उपयोग करने लगा। वह गांव के वृद्ध लोगों के सेवा करने लगा और उनकी जरूरतों को समझने की कोशिश करता था। रामु ने गांव के स्कूल में ज्यादा समय बिताना शुरू किया और छात्रों को अध्ययन में मदद करने लगा। वह उन्हें अच्छे से पढ़ाई कराने और उनके संदेहों को दूर करने में मदद करता था।

रामु की सेवाओं की खबर गांव के लोगों तक पहुँच गई और उन्हें उसकी परिवर्तनशीलता और नेकी की उदाहरण मिली। धीरे-धीरे, लोग भी उसके प्रेरणादायी कार्यों में शामिल होने लगे। एक समूह बना और वे साथ मिलकर गरीबों की मदद करने, शिक्षा प्रदान करने और सामाजिक सुधार कार्यों में योगदान देने लगे।

जब रामु ने तीखी मिर्ची को छोड़ दिया और अपने दिल में नेकी के बीज बोने शुरू किए, तब उसकी जिंदगी में एक पूरी बदलाव आया। उसने अपने शरारती स्वभाव को परिवर्तित कर एक नेक, सदाचारी और सहानुभूति पूर्ण व्यक्ति के रूप में परिणित किया।

 

इस ख़ानी से हमें क्या सिख मिली ?

इस ख़ानी से हमें यह सिखाई जाती है कि हमारी असली मानसिकता और बदलाव हमारे गुणों के रूप में प्रतिबिंबित होते हैं। जब हम अपनी नकारात्मक और हानिकारक आदतों को छोड़कर नेकी की ओर प्रवृत्त होते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को सहायता और आदान-प्रदान करने के लिए तत्पर करते हैं।

रामु द्वारा प्रदर्शित बदलाव ने उसके साथी और समुदाय को प्रभावित किया और उन्हें उत्साहित किया कि वे भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उनकी मेहनत, लगन, और संघर्ष के फलस्वरूप गांव में एक पूरी बदलाव आया। लोग अब एक-दूसरे की मदद करते और प्रोत्साहित करते थे, और सामाजिक सुधार की ओर एकजुट हो गए।

Hindi Story for Kids यह तीखी मिर्ची की नैतिक कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम अपने बुरे और हानिकारक आदतों को छोड़कर सकारात्मकता और नेकी का पथ चुनते हैं, तो हम खुद को स्वयंसेवक, सहायक और आदर्श सिपाही के रूप में साबित कर सकते हैं। हम अपनी स्वार्थपरता को छोड़कर समाज के लिए उपयोगी बन सकते हैं।

 

 

बकरी का बच्चा और शेर का कहानी Hindi Story for Kids बच्चों के लिए हिंदी कहानियाँ।

 

Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

एक छोटे से गांव में एक गरीब किसान अपनी बकरी के साथ रहता था। बकरी उसकी दूल्हे के समान एक पशु थी और उसकी खाद्य संसाधनों का महत्वपूर्ण हिस्सा थी। एक दिन, बकरी ने एक खूबसूरत बच्चा को जन्म दिया। इस बच्चे को देखकर किसान को खुशी हुई और उसने उसे “मनोहारी” नाम दिया।

मनोहारी छोटा सा बच्चा था, लेकिन उसकी जिद्दी होंठों और खेलने की आदतें अपार थीं। उसे बकरी के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में घूमना और खेलना पसंद था। लेकिन कुछ समय बाद, किसान को मनोहारी की नकल बकरी के साथ बहुत परेशान करने लगी। वह उसके तंग कर दिए गए थे क्योंकि वह खेत में उन्हें बहुत मुश्किलों में डाल रहा था।

एक दिन, बकरी की चालाकी से मनोहारी खेत से बाहर निकल गया और अपने मित्रों के साथ खेलने चला गया। मनोहारी के अनुसार, यह एक अवसर था अपनी आजादी का आनंद उठाने का। मनोहारी खुशी से चल रहा था, लेकिन उसे खुद को बाहर आकर एक मुसीबत में फंसा हुआ पाया।

मनोहारी अचानक एक जंगली सिंह के सामने खड़ा हो गया। उसे अपनी कमजोरियों का अहसास हुआ और डर से विचलित हो गया। वह जिद्दी होंठों के बावजूद बिना किसी योग्यता और सामर्थ्य के अकेले खड़ा था। सिंह ने मनोहारी को देखा और उसे आपत्तिजनक तरीके से नजरंदाज करते हुए आगे बढ़ गया।

तभी एक बूढ़ी सांप वहां से गुजर रहा था। वह सांप मनोहारी की समस्या को समझ गया और उसकी मदद करने का निर्णय लिया। सांप ने मनोहारी को आश्वासन दिया कि वह उसकी सहायता करेगा।

सांप ने अपनी लम्बी और सुंदर ऊँचाई तक मनोहारी को ले गया, जहां पर सिंह उन्हें नहीं पहुँच सकता था। उसकी सामर्थ्य और बातचीत का महत्व समझकर, सांप ने मनोहारी को सिंह के सामने विश्वास और साहस दिया।

मनोहारी धीरे-धीरे अपनी आत्मविश्वास और सामर्थ्य को पहचानने लगा। वह खुद को एक बहादुर और साहसी बच्चा साबित करने के लिए तत्पर था। सिंह को देखते हुए उसने अपनी जिद और शास की हार नहीं मानी। मनोहारी ने अपने दिल में साहस और संकल्प की आग जलाई और वह सिंह के सामने डट कर खड़ा हो गई। वह अपनी वेलेट सामर्थ्य का प्रदर्शन करते हुए सिंह की निगाहों से टकराया और उसे दिखाने लगा कि उसकी छोटी उम्र के बावजूद उसमें भी बहुत साहस और ताकत है।

सिंह चकित हो गया और मनोहारी के सामर्थ्य को मान्यता देने लगा। उसने मनोहारी को अपनी ओर बुलाया और उससे कहा, “तू न केवल धीरे-धीरे साहसी बन रहा है, बल्कि तूने अपनी कमजोरियों को भी जीत लिया है। तूने मुझे अपनी नयी सोच और प्रगतिशील दिमाग का प्रमाण दिया है।”

मनोहारी को यह अनुभव मिला कि सच्चा साहस और स्वाभिमान हमें हमारी कमजोरियों के साथ निभाने की शक्ति देते हैं। वह अब अपनी जिद्दी होंठों का उपयोग सही समय पर करता और अपनी सामर्थ्य को विकसित करता था।

इस कहानी से हमें क्या सिख मिला?

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि अगर हम अपनी कमजोरियों को मान्यता दें और उन्हें परिवर्तन के लिए उपयोग करें, तो हम साहस, स्वाभिमान और स्वतंत्रता के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। चाहे हमारी कमजोरी शारीरिक हो या मानसिक, हमें उनका सामना करना और उन्हें परिवर्तन के लिए मेहनत करना होगा।

मनोहारी की यह कहानी दूसरों को प्रेरित करती है कि हमें अपनी सीमाओं को पार करने के लिए अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं को निरंतर विकसित करना चाहिए और स्वयं को सुधारने और परिवर्तन के लिए संकल्पित रहना चाहिए। इस तरीके से, हम स्वयं को आत्मनिर्भर बना सकते हैं और सफलता की ओर बढ़ सकते हैं।

बकरी के बच्चे मनोहारी ने अपनी संघर्षों और परिवर्तन की कहानी द्वारा हमें यह बताया है कि आत्मनिर्भरता सिर्फ आर्थिक मतलब नहीं रखती है, बल्कि यह एक मानसिक स्थिति भी है। हमें स्वयं के लिए ज़िम्मेदारी लेनी और खुद को संभालने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। इस तरह, हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक उपकरण बन सकते हैं।

जादुई छड़ी , Moral Stories in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक बच्चा का नामकरण समारोह  हो रहा था उस समारोह में शामिल होने के लिए वह बहुत उत्सुक था। यह बच्चा नामकरण का त्योहार पहली बार मना रहा था और वह अपने देश की बड़ी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा बनने के लिए इस अवसर का सम्मान करना चाहता था।

उसके पिता एक आदर्श आदमी थे और उन्होंने विशेष रूप से एक जादुई छड़ी बनवाई थी। इस छड़ी की खासियत यह थी कि जो भी इसे लेता था, उसकी सभी मांगें पूरी हो जाती थीं। छोटे बच्चे ने इस छड़ी की कथा सुनी थी और उसे बहुत पसंद किया था। उसे यकीन था कि यदि वह इस छड़ी को अपने पास ले आएगा, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।

बच्चा नामकरण के दिन, उसने बड़ी उत्साह के साथ अपने पिता से कहा, “पिताजी, क्या मैं वह जादुई छड़ी ले सकता हूँ?” पिता ने उसकी इच्छा को समझा और उसे उस विशेष स्थान पर ले गए, जहां छड़ी सुरक्षित रखी गई थी।

बच्चा धीरे-धीरे उस स्थान की ओर बढ़ा और उसे वह जादुई छड़ी दिखाई दी। उसकी आंखें चमक उठीं और उसने वह जादुई छड़ी आदब से उठाई। छड़ी की एक शानदार झलक ने उसे मोह लिया। वह छड़ी उसके हाथों में रखते ही चमत्कारिक तरीके से परिवर्तित हो गई।

उसकी खुशी की थर्राहट गांव के सभी लोगों तक गुंजी। लोग आश्चर्यचकित हो गए और देखने के लिए इकट्ठा हो गए कि यह कैसे संभव हुआ। बच्चा अपनी छड़ी को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग मांगें करने लगा। जिसकी भी मांग उसने पूरी की, वह अद्भुत रूप से प्राप्त होती गई।

लोग आश्चर्यचकित हो गए और यह जानने के लिए पूछने लगे कि इस जादुई छड़ी की रहस्यमयी शक्ति क्या है। बच्चा मुस्कुराते हुए उनसे बोला, “यह छड़ी मेरी ईमानदारी, साधारणता और दयालुता के बादलों को छूने की क्षमता रखती है। जो भी यह छड़ी लेता है, वह सच्चाई को पहचानता है और विश्वास के साथ अपने जीवन में सत्यापित करने के लिए उसकी मदद करता है।

इस छड़ी की शक्ति उसे स्वयं को स्वयंसेवक और निर्माता बनाने के लिए प्रेरित करती है। यह छड़ी हमें यह याद दिलाती है कि हमारी इच्छाएं पूरी करने का शक्तिशाली माध्यम हमारे अंदर ही मौजूद है। हमें आत्म-विश्वास, समर्पण और मेहनत से सच्ची सामर्थ्य और उच्चता की ओर प्रवृत्त करती है।

इस जादुई छड़ी की कथा बताते समय बच्चा ने उनसे कहा, “छड़ी की यह शक्ति हमारे अंदर ही है, हमें अपनी सामर्थ्य पर विश्वास करना चाहिए। हमें अपनी मेहनत और संघर्ष के माध्यम से अपने सपनों को प्राप्त करना होगा।”

 

इस कहानी से हमें क्या सिख मिला ?

इस कथा से लोगों ने एक महत्वपूर्ण सीख ली। वे समझ गए कि हकीकत में जादुई छड़ी नहीं होती, बल्कि यह हमारे अंदर की उदारता, निष्ठा और मेहनत की प्रतिफल है। वे स्वयं को सामर्थ्यशाली सिद्ध करने के लिए निरन्तर प्रयास करने लगे और जीवन में सफलता के मार्ग पर अग्रसर हुए।

 

नटखट बन्दर , Moral Stories For Kids in Hindi

Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

एक जंगल में एक नटखट बंदर रहता था। वह हर रोज़ जंगल के पेड़ों पर उछल-कूद करता और अपने मज़े लेता था। लोगों को उसकी शरारतें बहुत पसंद आती थीं और वे उसे देखने के लिए खास तौर पर उस जंगल में आते थे।

एक दिन, नटखट बंदर अपनी शरारतों में इतना लीन हो गया कि वह जंगल के एक बड़े पेड़ के ऊपर चढ़ गया और वहां फँस गया। वह पेड़ के ऊपर चढ़ने के लिए अपनी चालाकियों का इस्तेमाल करता था, लेकिन इस बार उसे वापस नीचे आने के लिए कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था। वह बेचारा फँस गया और कराहने लगा।

जंगल के अन्य जानवर उसकी मुसीबत देखकर उसकी मदद करने के लिए एकजुट हो गए। लेकिन कोई भी उसे नीचे उतारने में सफल नहीं हो सका। इस दौरान एक बुद्धिमान उल्लू वहां से गुज़र रहा था। वह बंदर की परेशानी देखकर हंसते हुए उसके पास उड़ा और बोला,

“ओहो बंदर, तू फिर से कैद हो गया! तूने फिर से शरारत करने का सोचा होगा।”

बंदर नाराजगी से बोला, “नहीं, यह मेरी शरारत नहीं है। मैं बस चाहता था कि तू मेरी मदद करें और मुझे नीचे उतारें।”

उल्लू बहुत ही खुश हो गया और बंदर के पास उड़ा और उसकी मदद करने के लिए आगे आया।  उल्लू ने बंदर को बताया कि उसे चाहिए कि वह उल्लू के पंखों की ताकत को पकड़े और उसे पीछे खींचें। बंदर ने विश्वास करते हुए उल्लू के पंखों को पकड़ लिया और उल्लू ने उसे सुरक्षित तरीके से नीचे उतार दिया।

बंदर धन्यवाद देते हुए बोला, “धन्यवाद, भगवान का आशीर्वाद है कि तू मेरी मदद करने आया। अब मैं जानता हूँ कि अकेलापन में किसी की मदद नहीं मिलती है।”

यह घटना बंदर के अंदर एक महत्वपूर्ण सीख छोड़ गई। वह अब बेहतर तरीके से अपनी शरारतें करता था, परंपरागतता के साथ और दूसरों की सहायता का सम्मान करता था। वह अब जंगल के सभी जानवरों के दिलों में मित्रता और सम्मान का स्थान बना चुका था। वे उसे अपने बन्दर मित्रों के बीच अपने उम्दे स्थान पर देखने लगे।

उसकी नटखटी और मजाकियाँ अब एक मित्र-भाव से हंसाती थीं। उसका मूड खराब होने पर दूसरे बंदर उसे समझाने और हंसाने के लिए तैयार रहते थे। नटखट बंदर ने सीख ली थी कि शरारतें और मजाक तभी मज़ेदार होते हैं जब वे मित्रता और सम्मान के संदेश के साथ की जाएं।

 

इस कहानी से हमें क्या सिख मिली ?

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जीवन में बदलाव लाने के लिए अपनी शक्ति का सही उपयोग करना चाहिए। हमें दूसरों के मदद का सम्मान करना चाहिए और सहयोग के माध्यम से समस्याओं का समाधान करना चाहिए। एक अच्छा मित्र होना हमारे जीवन को खुशहाल और सफल बनाने में मदद करता है। इसलिए, हमेशा मित्रता और सम्मान के साथ जीने का प्रयास करें, जैसे नटखट बंदर ने किया था।

लकड़हारा” Hindi Story for Kids बच्चों के लिए हिंदी कहानियाँ 

Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक लकड़हारा रहता था। यह लकड़हारा बहुत ही संवेदनशील और मेहनती था। उसका काम था लकड़ी को काटकर उसका सामग्री बनाना। यह सामग्री फिर लकड़ी के उपयोग में आती थी, जैसे घर की ईंटों को जोड़ने के लिए या बनावटी उपकरणों के निर्माण के लिए।

एक दिन, लकड़हारे को एक महान व्यापारी द्वारा एक महान दान की खबर मिली। व्यापारी ने एक बहुत कुछ सोचने के बाद लकड़हारे को सौ रुपये का सोना दिया और कहा।

“तू बहुत मेहनती है और यह दान तेरी मेहनत की पहचान है।”

लकड़हारा ने व्यापारी की उम्मीदों को पूरा करते हुए कहा, “धन्यवाद, मैं यह सोना बहुत ही सम्मानित करता हूँ। मुझे प्रिय है कि मेरी मेहनत और कठिनाइयों की पहचान होती है।”

लकड़हारा ने सोने को अपने घर में रखकर खुशी से दिन बिताना शुरू कर दिया। लेकिन वह दिन दिन भर उस सोने को घूरता रहा। उसे अचानक विचार आया,

“यह सोना मेरे लिए केवल एक चमकता हुआ टुकड़ा है। क्या इसका उपयोग नहीं हो सकता?” उसके मन में एक विचार उदय हुआ कि वह इस सोने को बेहतर उपयोग में ला सकता है।

लकड़हारा ने अपने गांव के ज्ञानी बुजुर्ग से सलाह ली। बुजुर्ग ने उसे कहा, “बेटा, सोना तो एक मूल्यवान संपत्ति है, लेकिन इसका सही उपयोग करना भी महत्वपूर्ण है। तू इसे बेचकर कुछ और अच्छी संपत्ति प्राप्त कर सकता है, जो तुझे और अधिक लाभदायक हो सकती है।”

लकड़हारा ने बुजुर्ग की सलाह स्वीकार की और सोने को बेचकर अधिक बचत की। उसने एक छोटा दुकान खरीदा और वहां पूरी मेहनत और लगन से काम करने लगा। उसकी दुकान में विभिन्न लकड़ी के उत्पाद बिक रहे थे और उसकी कमाई दिन-प्रतिदिन बढ़ रही थी।

लकड़हारा ने न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि उसने दूसरे लोगों को भी रोजगार के अवसर प्रदान करना शुरू किया।  उसकी दुकान गांव के लोगों के बीच महत्वपूर्ण हो गई। उसने अपने द्वारा बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार किया और नए आविष्कारों का उपयोग करके उन्हें और भी उत्कृष्ट बनाया। उसकी दुकान में बहुत सारे ग्राहक आने लगे और वह अपने सपनों को पूरा करने के नजदीक आ गया।

वह दिन था, जब लकड़हारा समझ गया कि उसने सिर्फ अपनी मेहनत और जीवन में नई दिशा देने के लिए सोने को नहीं बल्कि खुद को खरीदी गई लकड़ी के विशेष गुणों का सही उपयोग किया था। वह बच्चों को सिखाता रहा, दूसरों को रोजगार प्रदान करने लगा।

चूहों की समझदारी Moral Stories for Kids in Hindi

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में बहुत सारे चूहे रहते थे। वे गांव के हर नुक्कड़े और कोने में घुसपैठ करके जीवन यापन करती थेथे। वे सभी मिलकर रहती थीं और बहुत खुश रहती था। उनके पास जीने के लिए सारे आवश्यक सामग्री होती था, और उन्हें अपने जीवन का आनंद भी मिलता था।

एक दिन, चूहों को गांव में एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा। गांव में एक खतरनाक बिल्ली आ गई थी और वह चूहों का पीछा कर रही थी। चूहों को डर लगने लगा और उन्हें खुद को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें कुछ सोचना पड़ा।

एक बुजुर्ग चूहा ने सभी चूहों को एकत्रित किया और कहा, “हमें इस मुसीबत का सामना करना होगा, लेकिन हम इसे अकेले नहीं कर सकते। हमें मिलकर अपनी समझदारी और योग्यता का उपयोग करना होगा।”

चूहे एक-दूसरे की समझदारी और सहयोग का उपयोग करके अपनी योग्यताओं को साझा करने लगे। वे एक योजना बनाकर उसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने लगे। पहले वे सभी मिलकर एक सुरक्षित स्थान ढूंढने के लिए तलाशने लगे।

एक छोटी सी गुफा में वे सभी चूहे सम्पन्नता से बसने का निर्णय लिया। गुफा के एक छोटे से स्राव से पानी मिलता था और उन्हें अपने खाने की सप्लाई करने के लिए निकटवर्ती खेतों के पास जाना पड़ता था।

इसके बाद, चूहों ने अपनी योग्यताओं का उपयोग करके एक आपसी संवाद निर्माण किया। वे चिन्हों, शब्दों और आवाज का उपयोग करके एक दूसरे के साथ संवाद करने लगे। इससे वे एक-दूसरे को खतरे के बारे में सूचित कर सकते थे और समय पर सावधानी बरत सकते थे।

चूहों ने अपनी समझदारी का उपयोग करके बिल्ली को ठगा और उसे गुफा के बाहर ले जाकर इसे दिखा दिया। बिल्ली गुफा में चूहों की छवि देखकर भयभीत हो गई चूहा अब बहुत बस्दा ही गया था और उन सभी का संख्या भी पहले से ज्यादा हो गया गया था बिल्ली उन सभी चूहों को देख कर भाग गई।

चूहों ने देखा कि उनकी समझदारी और टीमवर्क ने उन्हें खुद को सुरक्षित रखा था। वे खुश थे कि उन्होंने अपनी समझदारी का उपयोग करके सफलता हासिल की थी। अब चूहे अपने गांव में खुशहाली से जीने लगे। वे समृद्धि के साथ खाने की सामग्री इकट्ठा करने और सुरक्षित रहने का आनंद लेते थे। उन्होंने एक-दूसरे की मदद करके और सहयोग करके अपना काम आसान और समर्पित बनाया।

चूहों की समझदारी को देखकर उनके गांव के लोग भी प्रभावित हुए। वे इसे अपने बच्चों को भी सिखाने लगे। चूहे ने उनके लिए एक मिसाल बन गया  वे सभी चूहों की बुद्धिमानता और समर्पण का आदर करने लगे।

चूहों की समझदारी और टीमवर्क ने उन्हें न केवल खुद को सुरक्षित रखा, बल्कि उन्हें उनके सामरिक, मानसिक और सामाजिक विकास का मार्ग दिखाया। उन्होंने सामूहिकता का महत्व समझा, और उनकी टीमवर्क ने अद्वितीय समस्याओं का समाधान निकालना सिखाया।

इस कहनी से हमें क्या सीखा मिला?

इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि समझदारी और सहयोग एक समृद्ध और सफल जीवन की नींव हैं। हमें एक-दूसरे का मदद करना चाहिए। यदि हम सब मिलकर रहते हैं तो हमरे ऊपर कैसा भी संकट हो सब मिलकार ख़तम कर सकते हैं।

 

श्रवण कुमार , Hindi Story for Kids , बच्चों के लिए हिंदी कहानियाँ 

Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

श्रवण कुमार एक बहुत ही गरीब लड़का था। उसके माता-पिता बहुत मेहनत करके रोजगार में लगे रहते थे, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति फिर भी बहुत कमजोर थी। श्रवण कुमार ने स्कूल के लिए भी नहीं जा सकता था और उसे इसकी बहुत ख्वाहिश थी।

एक दिन, जब श्रवण कुमार अपने गांव के पास से गुजर रहा था, वह एक पंडित जी के पास पहुंचा। पंडित जी को देखकर श्रवण कुमार ने उनसे आशीर्वाद मांगा और अपनी विद्या में सुधार करने की इच्छा व्यक्त की। पंडित जी ने उसकी इच्छा को समझा और उसे अपने आश्रम में आमंत्रित किया।

श्रवण कुमार ने खुशी-खुशी पंडित जी के आश्रम में रहना शुरू कर दिया। वहां पर वे न सिर्फ विद्या के प्रति अधिक उत्साहित हुए, बल्कि उनकी आत्मविश्वास भी मजबूत हुआ। पंडित जी ने उन्हें सभी आवश्यक शिक्षा उपलब्ध करवाई और वे दिन-रात मेहनत करने में लग गए।

श्रवण कुमार ने अपनी मेहनत और समर्पण से विद्या में काफी सफलता प्राप्त की। उनकी पढ़ाई में धीरे-धीरे उन्नति होती गई और वह एक ज्ञानी और प्रगतिशील विद्यार्थी बन गए।

एक दिन, श्रवण कुमार ने अपने गुरुजन से कहा, “गुरुजी, मुझे अपने माता-पिता की मदद करनी है। उन्हें आर्थिक समस्याओं से निकालने में मेरी सहायता कीजिए।” उनके गुरुजन ने इसका ध्यान रखते हुए उन्हें अपने पुरस्कार पैसे की मदद से समर्थित किया।

श्रवण कुमार ने इस पैसे की सहायता से अपने माता-पिता को आर्थिक रूप से स्थापित करने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने एक नौकरी प्राप्त की और उनका परिवार धीरे-धीरे आर्थिक रूप से स्थिर हो गया।

श्रवण कुमार ने विद्या के माध्यम से अपने सपनों को पूरा किया और आगे बढ़कर एक उच्च शिक्षाविद् बने। उन्होंने सामाजिक सेवा में भी अपनी भूमिका निभाई और अपनी ज्ञान का सदुपयोग करके अपने समाज को समृद्ध करने का प्रयत्न किया।

श्रवण कुमार ने समाज सेवा के क्षेत्र में अपनी भूमिका को बढ़ाते हुए नालंदा गांव में एक पाठशाला खोली। वह अपने शिक्षार्थियों को न केवल शिक्षा देते थे, बल्कि उन्हें सामाजिक मूल्यों, नैतिकता और समाजसेवा के महत्व के बारे में भी शिक्षा दी जाती थी। वे अपनी पाठशाला में मुफ्त शिक्षा प्रदान करते थे, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को भी अवसर मिल सके।

श्रवण कुमार की पाठशाला उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए मशहूर हो गई। उनके यहां पढ़ने वाले छात्र अच्छे अंक प्राप्त करने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हो रहे थे। श्रवण कुमार की प्रेरणा से अन्य गांवों में भी पाठशालाएं खोली गईं और शिक्षा का एक नया संकल्प जन्मा।

इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलता हैं हैं की किसिस भी परस्थिति में हमें सीखना नहीं छोड़ना चाहिए ज्ञान कही से भी मिले उसे हसली करना चाहिए वह एक दिन जरूर फ़ायदा देगा।

 

स्वार्थी दोस्त, Hindi Story for Kids

Hindi Story for Kids , Moral Stories in Hindi

एक समय की बात हैं किसी गांव में दो दोस्त रहते थे एक का नाम राहुल था और दूसरे का नाम विनय था। राहुल ने विनय को हमेशा सहायता और समर्थन दिया, चाहे वह किसी भी मुसीबत में हो या कोई आवश्यकता हो। लेकिन विनय का दिल धन कमाने के लिए था और वह हमेशा अपने स्वार्थ की परवाह करता था।

एक दिन, राहुल को अपने विनय द्वारा एक धोखाधड़ी का पता चला। राहुल ने विश्वास किया कि विनय ने उसे धोखा दिया है और उसके साथ उसकी दोस्ती का इस्तेमाल किया है। विनय ने राहुल को पैसे के लिए लड़खड़ाते हुए बहाना बनाया था।

राहुल बहुत ही दुखी और आहत हुआ था। उनके लिए यह काफी अचंभित करने वाला था कि उनका सच्चा और निःस्वार्थी दोस्त उन्हें धोखा दे सकता है। वह अपने दोस्ती का महत्व सोचने लगा और विनय के खिलाफ कड़ा निर्णय लेने के लिए तैयार हुआ।

राहुल ने विनय को सामने बुलाया और सच्चाई की माँग की। शुरू में विनय ने झूठे बहाने बनाकर अपनी गलतियों को छिपाने की कोशिश की, लेकिन राहुल ने सबकुछ समझ लिया था। उन्होंने अपने दोस्त की प्रतिज्ञा को परखा और उसे समझा कि असली मित्रता और विश्वास एक दूसरे को धोखा देने से ऊपर होती है।

राहुल ने साहस से आगे बढ़ते हुए कहा, “विनय, मैं तुमसे बहुत निराश हूँ। तुम्हारी धोखाधड़ी के बावजूद, मैं अपनी दोस्ती को नहीं गवाना चाहता। इस घटना ने मुझे सिखाया है कि सच्ची मित्रता पर आधारित रिश्तों को नुकसान पहुंचाने वाले स्वार्थी लोगों की मेरे जीवन में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।”

विनय ने शर्मिंदगी से सिर झुकाया और माफी मांगने की कोशिश की। वह स्वयं को अपनी भूल के लिए दोषी मानता था और राहुल की दोस्ती को संभालने के लिए उसे मौका देने की अपील की।

राहुल, जो अपनी दोस्ती को अहमियत देता था, ने विनय को माफ कर दिय हालांकि, राहुल ने विनय को माफ कर दिया, लेकिन वह उससे अपने जीवन में दूसरे स्थान पर रखने का फैसला कर चुका था। उन्होंने समझ लिया था कि स्वार्थी और बेईमान दोस्त से दूरी बनाने से उनका जीवन खुशहाल और समृद्ध होगा।

राहुल ने नए मित्रों के साथ संबंध बनाने और सकारात्मक विचारधारा वाले लोगों के संग अपना समय बिताने का निर्णय लिया। वह नायकों की कहानियों, संगठनों और समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय लोगों की प्रेरणा लेता था।

समय बिताते हुए, राहुल ने अपने स्वार्थ के पीछे भागने की गलती की और अपने असली मित्र को धोखा दिया था। लेकिन वह इस घटना से सीखा और अपनी गलतियों से सीख लिया। अब उन्होंने नई दोस्ती को महत्व देना और स्वार्थी और विश्वासघाती लोगों से दूर रहने का ठीक निर्णय लिया था।

विनय भी समय के साथ समझ गया कि सच्ची मित्रता और दोस्ती का महत्व क्या होता है। उसने अपनी गलतियों के लिए खुद को दोषी माना अब राहुल और विनय में ज्यादा दोस्ती नहीं रहता हैं। विनय के मन में यही सवाल आता हैं की काश हम गलती नहीं किये होते लेकिन देखा एक बार मिल जाने पर कोई भी व्यक्ति सिख जाता हैं राहुल ने भी वैसा ही किया।

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