द केरल स्टोरी The Kerala Story Reviews in Hindi

पूरे इंडिया के अंदर सिर्फ केरला को क्यों टारगेट किया गया? इंडिया के अंदर लव जिहाद जो शब्द था वो सबसे पहले केरला के अंदर इन्वेस्ट हुआ था। लोगों को लगता है कि यूपी के लोगों का बनाया हुआ वर्ड है। ये पीएफआइ के एक मेंबर ने क्रिश्चियन टीचर जोसेफ के हाथ काट दिए हैं। आप सोच के देखिये सिर्फ एक आदमी को भी रेडी करने के लिए कितने हजारों लोगों को रीच किया होगा? पीएफआइ का काम था इंडिया के अंदर लोगों को कन्वर्ट करना।

जबकि एक केस नहीं है। एग्ज़ैक्ट डेट आपको भी पता चल जाए कर्नाटक के चुनाव होने से पहले रिलीज करने की इतनी जल्दी थी की चीजों को इग्नोर किया। कपिल सिब्बल जो बहुत ही बड़े लॉयर है, इंडिया के पीएफआइ उनको हायर करता है, 1,00,00,000 से भी ज्यादा का खर्चा करता है और पूरी दुनिया में इसके ऊपर मूवीज़ बनाई गई है। जो केरला स्टोरी में लीड एक्ट्रेस के रोल प्ले किया। उसकी स्टोरी में इसी की लाइफ की ऐड किये गए हैं और दुनिया भर में इसकी विडीओ चलाई गई इस कड़ी के अंदर ही चलाई गई। 1,00,00,000 लगाके पीएफआइ के जो मेंबर थे उनका केस भी लड़ा इसमें।

द केरल स्टोरी कहानी में विवाद क्या है?

द केरला स्टोरी आपने देखा होगा इस मूवी को लेके बहुत ही ज्यादा बवाल हो रहा। एक तबका पूरी जान लगाकर समझाने की कोशिश कर रहा है की इस मूवी में कुछ भी सच्चाई नहीं है। वहीं दूसरा तबका कह रहा है की इसमें एक एक बात सच है और आप देख रहे होंगे की लेफ्ट विंग हो, चाहे छोटा नेता हों या फिर बड़ा नेता हो, हर कोई बहुत ज्यादा उत्सुक्त हैं ये समझाने के लिए की जो मूवी है केरला स्टोरी। इसकी कहानी या तो सच्ची है

कहीं पर इसको बंद कर दिया गया है। कहीं पे इसको टैक्स फ्री कर दिया गया। जिसने को जो शूट किया उसने वो किया तो पहली चीज़ तो यह है कि सच क्या है? दूसरी चीज़ ये है कि इन पॉलिटिकल पार्टीज़ को इस मूवी में इतना ज्यादा इंटरेस्ट क्यों आ रहा है? तो इस लेख में हम सारी चीजे डिस्कस करेंगे तो कोई भी चीज़ इस लेख में मैं अपनी तरफ से नहीं लिखूंगा। हर एक चीज़ जो की चार्जशीट में है, कोर्ट की स्पेशल एडिशन में है। हाइ कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जो ऑर्डर है वो मैंने बढ़े हैं और उसमें से ही मैं बोल रहा हूँ।

केरला के अंदर ऐसी क्या पॉलिटिक्स चल रही है जिसकी वजह से ये मूवी इतनी इम्पोर्टेन्ट हो गयी और ये जो पीएफआइ है ISAI है इंडिया के बाकी स्टेट के कंपैरटिव्ली केरला को ज्यादा क्यों टारगेट करते हैं?

देखिए केरला के अंदर 54.73% हिंदु है 26.56% मुस्लिम्स है और एट 8% क्वेश्चन्स है। ये डेटा मैंने 2011 के सेंसस से लिया। केरला के अंदर इतने टाइम से इतने इलेक्शन हुए हैं, लेकिन बीजेपी कभी जीत के नहीं आई। वहीं कांग्रेस और सीपीआई जैसी पार्टी का केरला में काफी दबदबा रहा है। अभी जब 2019 में पूरे देश में बीजेपी की वेव चल रही थी, उस टाइम पे भी केरला की 20 सीटों में से 19 कांग्रेस के अलायंस ने जीत ली थी। तो ओब्विअस्ली बीजेपी भी चाहता है की यहाँ पे ज्यादा ज्यादा सीटें जीते।

केरला के अंदर क्वेश्चन्स और मुस्लिम्स काफी यूनिटी से रहते आए हैं और क्रिश्चियन की पार्टी केरला कांग्रेस और मुस्लिम की पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जिसे कहते हैं।  हिंदू सपोर्ट के साथ कॉंग्रेस गवर्नमेंट बनाती आई है। केरला का जो लिटरेसी रेट है, वो पूरे इंडिया में सबसे ज्यादा है। लोग काफी पढ़े लिखे हैं और रिलिजन को लेकर काफी टॉलरेट भी हुआ करते हैं। लेकिन चाहे बीजेपी हो, कांग्रेस हो, मार्क्स पार्टी हो। ये नंबर है 55% हिंदु, 27% मुस्लिम, 18% क्रिश्चियन इसके साथ टाइम टु टाइम खेलने का ट्राई करते हैं।

लेकिन करें सिचुएशन ऐसी हो गयी है की केरला कांग्रेस ने, कांग्रेस का साथ छोड़ के बीजेपी के साथ अलायंस करने का डिसाइड कर लिया है और अगर हिंदू वोटबैंक भी बीजेपी की तरह तो जो बीजेपी का सपना है सरकार बनाने का वो भी पूरा हो सकता है। अब आपको ही क्रिस्चंस की पार्टी केरला कांग्रेस जो अभी तक कांग्रेस के साथ थी वो अलग होकर बीजेपी के साथ क्यों चली गयी?

द केरल स्टोरी the kerala story reviews in hindi

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तो ये सारी चीजें एकदम से नहीं हुई। मल्टिपल इवेंट्स हुए जिसकी वजह से क्रिश्चियन कम्युनिटी और मुस्लिम कम्युनिटी के बीच में डिफरेन्स आए और केरला कांग्रेस ने कांग्रेस का साथ छोड़ के बीजेपी के साथ पकड़ लिया। देखिये पहले जब केरला के अंदर रबर प्लांटेशन करते थे, उनके पास ज्यादा पैसा रहता था, वो लोग ज्यादा रिच रहते थे, लेकिन जब आसियान इंडिया ट्रेड एग्रीमेंट हुआ तो जो रबर के प्राइस थे वो गिरे जिससे कृषि जो थे वो फाइनली थोड़ा सा वीक हो गए थे।

वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम मिडिल ईस्ट से कमा के पैसे केरला के अंदर अपनी फैमिली को दे रहे थे तो उन्होंने केरला में ज्यादा जमीनें खरीदी है और धीरे धीरे स्ट्रॉन्ग होने लगे। जिसकी वजह से क्रिस्चन कम्यूनिटी और मुस्लिम कम्युनिटी में थोड़ा सा डिफरेन्स आया। ये सब तो चल ही रहा था लेकिन उसके बाद 2010 में एक बहुत बड़ा इवेंट हुआ जिसमें पीएफआइ के एक मेंबर ने क्रिस्चन टीचर टीजे जोसेफ के हाथ काट दिए।

पीएफआइ क्या है? the kerala story reviews in hindi

और ये पूरा इंसिडेंट किया था वो अभी आगे मैं बताऊँगा आपको तो जब हाथ काट दिए गए तो बहुत ज्यादा बवाल हुआ। केरला के अंदर इसके बाद कनवर्ज़न वाले जो मुददे थे वो भी उठने लगे क्योंकि कनवर्ज़न के केसेस जो थे वो बहुत ज्यादा आने लगे थे और इसके बाद जो लोकल चर्च थे वहाँ से भी स्टेटमेंट आने लगे हैं कि मुस्लिम जो है वो कनवर्ज़न करा रहे हैं और ये सारी बातें तो चली गयी थी, बात यहाँ पे भी नहीं रुकती है। 2021 में पुलिस चीफ टीपी सेनकुमार इन्होंने एक स्टेटमेंट दे दिया कि मुस्लिम का जो लिव बर्थ रेश्यो है वो तेजी से बढ़ रहा है।

जिसका मतलब था कि अगर हिंदू 55% ने केरला में क्रिस्चन 18% है तो जो 28% मुस्लिम्स है वो आने वाले टाइम में इन सबको पीछे छोड़ देंगे। इस एक स्टेटमेंट की वजह से बहुत बड़ा डैमेज हुआ केरला के पीस को और इसके साथ ही श्रीलंका के अंदर ईस्टर अटैक हुए। चर्च के ऊपर। तो इन सारी चीजों की वजह से हिंदू क्रिस्चन और मुस्लिम कम्युनिटी के अंदर डिफेन्स आने लगे थे। और इस टाइम पे जो ये कनवर्ज़न वाला मुद्दा तूल पकड़ रहा था।

केरला में इसमें बीजेपी ने बीजेपी केरला के अंदर तो पावर में नहीं थी लेकिन सेंटर में थी तो बीजेपी ने डसी बिच सारे एजेंसी ले के पीछे पड़ गई। केरला के उन एनजीओ उसके जो बाहर से फॉरन फंडिंग लेके कनवर्ज़न करवा रहे थे। वहीं ऑपोजिशन ने कहा कि बीजेपी वोट बैंक के चक्कर में कम्यूनिटी को भड़का रही है। लेकिन इस चीज़ को क्रिस्चन और हिंदू के कुछ सेगमेंट में काफी सपोर्ट भी किया।

बेसिकली बीजेपी जो है वो कनवर्ज़न के मुददे को लेकर काफी वो चल रही है जितना ज्यादा मुद्दा कनवर्ज़न का उठता है। लोग बीजेपी को उतना सपोर्ट करते है इसलिए आप नोटिस करोगे? ऑपोजिशन कनवर्ज़न के मुददे की एग्ज़िस्टन्स को नकारता रहता है और बीजेपी कहती है की बहुत बड़ा मुद्दा है। पूरी पॉलिटिक्स चलती है। केरला स्टोरी जो मूवी है इसके अंदर भी यही हुआ। शुरू से लेके आखरी तक यही चलता रहा की मूवी सच है या नहीं? लेफ्ट विंग जान लगा के यह समझाने की कोशिश कर रहा था की जो कहानी बताई गई है, स्टोरी में ये एग्जिस्ट नहीं करतीं।

इस का रिऐलिटी से कोई लेना देना नहीं है और राइट विंग यह समझा रहा था की ये सारी चीजें एग्ज़िट करती है और इसकी वजह से देश तबाह हो जाएगा। तो इस तरीके की जो पॉलिटिक्स है वो केरला के अंदर चलती रहती है। कर्नाटक इलेक्शन से तो ये मूवी और लाइमलाइट में आ गई तो देखिये ये सारी चीजें जब चल रही थी केरला के अंदर और जब डिफरेन्स आने लगे। कम्यूनिटी के बीच में क्रिश्चियन कम्युनिटी से भी प्रेशर बढ़ने लगा तो जो केरला कांग्रेस क्रिस्चन की पार्टी थी, उसमें कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ अलायंस कर लिया।

 क्या केरला की कहानी फिल्म सच है?

सिनारियो ये है की केरला की पॉलिटिक्स में रिलिजन, लव जिहाद, आईएसआई कनेक्शन, नारकोटिक जिहाद, कनवर्ज़न, घर वापसी ये सारी चीजे आ चुकी हैं। इसलिए एक तबका समझाने में लगा है कि केरला स्टोरी छोटी है और वहीं दूसरा तबका समझाने में लगा है की ये स्टोरी सच्ची है ताकि वोटबैंक की राजनीति हो सके। कर्नाटक इलेक्शन आने से एक हफ्ते पहले सारी बातों में बहुत तेज़ी हो गयी थी।

अभी लेकिन खत्म होगा, उसके बाद ये सारी चीजें ठंडे बस्ते में चली जाएगी। जीस दिन केरला स्टोरी का ट्रेलर आया। उसके बाद केरला हाईकोर्ट में मल्टिपल ग्रुप्स में केरला स्टोरी को बंद करने के लिए पिटिशन डाली, लेकिन जस्टिस नागरे शैड सोफी थॉमस ने इसको रिजेक्ट कर दिया। केरला स्टोरी रियल इंसिडेंट पे बेस्ट है, लेकिन ट्रेलर के अंदर जीस तरीके से फुटेज यूज़ हुई है और जो 32,000 का नंबर बताया गया इससे डाइरेक्टर की जो इंटेन्शन है। तो उस पे डाउट आ गया।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब उनसे पूछा गया कि यह नंबर आपने क्यों बोल दिया तो उन्होंने कहा कि फॉर्मर चीफ मिनिस्टर ऑफ केरला ओमन चांडी ने केरला असेंबली में एक रिपोर्ट सबमिट की थी जिसमे मेन्शन था कि 2800 से 3200 लड़कियां कन्वर्ट हुई है। और मैंने 10 साल का हिसाब लगाकर इसको मल्टीप्लाई कर दिया और उस तरीके से मैंने 32,000 का नंबर ट्रेलर में डाल दिया। लेकिन अगर आप इस तरीके से भी कैलकुलेट करोगे तो वो भी झूठ बोला है।

ओमन चांडी ने जो डेटा दिया था असेंबली के अंदर वो 2006 से 2011 तक का था। तो अगर आप उस हिसाब से भी कैलकुलेट करोगे तो उस हिसाब से भी झूठ बोल रहे हैं। देखिये जो केरला मूवी है, ये इन्स्पाइअर्ड बी हैं, बेस्ट ऑन नहीं है। बी का मतलब होता है की कुछ फैक्ट के साथ नाट्य रूपांतर करके इसको दिखाया जा रहा है।

लेकिन जो बेस्ट ऑन होती है वो रियल स्टोरी पे बेस्ड होती है तो आप इस मूवी को सही और गलत नहीं कर सकते। जहाँ पे डाइरेक्टर फंसेगा वो कुछ न कुछ बोल के निकल जाएगा। इसीलिए मैं मूवी की बजाय ऐक्चुअल स्टोरी क्या थी? वो डिस्कस करूँगा आपसे तो देखिए केरला के अंदर कनवर्ज़न काफी पुराना मुद्दा रहा है और अलग अलग कम्युनिटी केरला के अंदर इसको लेकर एक दूसरे पर ब्लेम भी लगाती रहती है।

केरला में ये मुद्दा 20 से 25 साल से चला आ रहा है। जो लोग केरला में रहते हैं, अगर आप उनसे बात करोगे तो इसी चीज़ को एग्री करेंगे। ये जो लव जिहाद हम लोग यूज़ करते है, एक्चुअल में केरला में हुआ था, वो अभी बताऊँगा। मैं आपको देखिये।

ऐसा नहीं है कि केरला में आईएसआई का कोई लिंक नहीं मिला या कनवर्ज़न नहीं हुआ, लेकिन अगर इसपे कोई मूवी बना रहा है तो उसकी रिस्पॉन्सिबिलिटी होती है कि वह डेटा इस तरह से देख की आईएसआई का जो मुद्दा है जो नैशनल्स। का जो मुद्दा है वो फाटक के हिंदू मुस्लिम में कन्वर्ट ना हो जाए लेकिन नेताओं ने इसमें घुस के नेशनल सेक्युरिटी का इतना इम्पोर्टेन्ट मुद्दा उसको घुमाके हिंदू मुस्लिम में कन्वर्ट कर दिया।

जब भी कोई खालिस्तान का मुद्दा हो या फिर इसका मुद्दा हो, ये सारी बाहर के ऑर्गेनाइजेशन ऐक्चुअल मैं चाहती है की ये आपस में लड़े हिंदू मुस्लिम लड़ाई हो, क्योंकि इससे इनको फायदा होता है। अब्दुल राशिद अब्दुल्लाह ये पीएफआइ का मेंबर रहा है। इसमें ऑन रिकॉर्ड बोला है की जीस स्टेट में प्रो। हिंदू गवर्नमेंट आती है या हिंदू मुस्लिम? टेंशन होती है तो हमें वहा पे फायदा होता है जिससे हमारे लिए लोगों को इसमें जोडना और आसान हो जाता है। तो इन केरला के अंदर ये जो आइस और कनवर्ज़न वाला इश्यू है।

इसमें यह भी कहा जाता है कि सिर्फ तीन ही तो केस है। इतनी बड़ी आबादी में देखिये ऐक्चुअल कितने केस है वो डेटा हमारी एजेंसीज़ के पास है और वो पब्लिक है वो सारा डेटा अभी मैं आपको बताऊँगा। लेकिन इसको कहना है कि सिर्फ तीन ही केस है, इतना बवाल क्यों किया जा रहा है? यह बहुत ही गलत बात है। एक भी केस अगर है तो बहुत ही बड़ी बात है और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ अगर कोई सेल से होगा तो उसको पता होगा की एक लीड जेनरेट करने के लिए कितनी हजारो कॉल करनी पड़ती है।

मॉल के अंदर एक क्रेडिट कार्ड बेचने के लिए सेल्समैन को पूरे दिन भर हजारों लोगों को कन्विंस करना पड़ता है, तब जाकर कार्ड बिकता है उसका और यहाँ पे बात हो रही है एक ऐडल्ट पढ़े लिखे लड़के और लड़कियों को कन्वर्ट करके जॉइन करवाने की। ये बहुत बड़ी बात है। आप किसी को अगर करोड़ों रुपए भी दोगे तो जाके ऐसे नहीं जॉइन करेगा। आप सोच के देखिये सिर्फ एक आदमी को भी रेडी करने के लिए कितने हजारों लोगों को रीच किया होगा तब जाके एक फंसा पड़े होंगे?

कितना स्ट्रॉन्ग नेटवर्क और वर्किंग मॉडल होगा? सिर्फ एक ही तो केस है, यह कहना बहुत ही गलत बात है, जबकि एक केस नहीं है।  मैंने अपने जीवनकाल में न बहुत सारी केसेस देखे, अन्य बहुतों को अपनी गवाही से पलटते हुए भी देखा। लेकिन ये लड़ाई बड़ी लंबी चलने वाली है।

पूरे इंडिया के अंदर सिर्फ केरला कोई क्यों टारगेट किया गया। देखिए केरला स्टेट के रिलिजन मिडल इस कंट्री से बहुत ही पुराने और अच्छे रहे है। 3000 बी सी में जो ट्रेडर्स थे वो केरला के थ्रू ही इंडिया में आए थे और यह रिश्ता तब से चला आ रहा है। केरला के अंदर हर तीसरा घर आप देखोगे तो उसमें से एक आदमी आपको कन्ट्रीज में काम करता हुआ मिलेगा, तो गल्फ कन्ट्रीज और केरला का रिलेशन बाकी स्टेट से ज्यादा स्ट्रॉन्ग है।

2014 के सर्वे के हिसाब से सिर्फ 71,000 करोड़ रुपए केरला के माइग्रेट करने इंडिया में कमा के भेजे थे। 2016 के केरला माइग्रेशन सर्वे में भी करीब 2.2 मिलियन लोग केरला से बाहर गए थे और जिसमें से 90% गल्फ मैं गए थे। रिलिजन इतने अच्छे हैं। केरला में जो फ्लड आया था तो गल्फ कन्ट्रीज मदद तक के लिए आ गयी थी तो जितनी भी ऑर्गेनाइजेशन है, इसिस वगैरह। इसी चीज़ का फायदा उठा के गल्फ कन्ट्रीज के थ्रू घुसते है।

केरला में ये सब स्टार्ट कैसे हुआ? द केरल स्टोरी the kerala story

केरला के अंदर तो बात करते हैं, केरला में ये सब स्टार्ट कैसे हुआ? आईसीसी एक टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन है, जिसका मोटिव है की वो अपना एक अलग देश बनाएगी जिसमें होगा और शुरू में आईसीसी को इस चीज़ में कामयाबी भी मिली। जिसने काफी कन्ट्रीज से लोगों को अपने इस मिशन में जोड़ा भी का मानना है कि जो देश फॉलो नहीं करता है वो काफी रोक आदेश है। इसलिए वो देश छोड़ के आप के साथ आकर मिलो और फॉलो करो और सेम यही चीज़ उन्होंने इंडिया के अंदर भी ट्री करी और ये जीस भी कंट्री में जाकर लोगों को जोड़ते हैं।

तो पहले एनजीओ ऑर्गेनाइजेशन बना के प्रॉपर प्लानिंग के तहत ये लोग देश में घुसते है और सेम चीज़ इन्होंने इंडिया में भी की। अब देखिये इसकी यूटिलिटी और डिस्ट्रक्शन की। आपने काफी इन्सिडेन्स सुने होंगे। बट 46 इंडियन नर्स ऐसी भी थी जो केवल ज़ोन से बचकर वापस भी आ गई थी। 2014 में केरला से 46 इराक में फंस गई थी। जब आसपास आइसिस ने पूरे एरिया को वो ज़ोन में कन्वर्ट कर दिया था तो लगभग तीन हफ्ते से ज्यादा इन्नर से वहाँ पे सर्वाइव किया था।

Sad Emotional Story in Hindi Short

1994 में केरला के अंदर इन्होंने नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट बनाया। इस ऑर्गेनाइजेशन ने अपने आप को दिखाया की मुस्लिम्स के राइट्स के लिए लड़ेगी। लेकिन इनका नाम टाइम टु टाइम के साथ जुड़ने लगता है। फिर आगे चल के जब इस ऑर्गेनाइजेशन पे बहुत ज्यादा प्रेशर पड़ा। 2006 में इस का मर्जर हुआ और एक नई और्गनाइज़ेशन बनी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI। या फाइव बेसिकली RSS  को काउंटर करती थी।

इंडिया के अंदर और आर एस एस और पीएफआइ के लोगों के बीच में काफी वो लेस भी हुआ। इस टाइम पे पीएफआइ ने धीरे धीरे अपनी इंडिया में मनाई अपने अलग अलग बनाये। वैसे कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया सीएफआई फीमेल्स के लिए नैश्नल वुमेन्स फ्रंट एनडब्ल्यूएफ बनाया।

बहुत ही स्ट्रक्चर और ऑर्गनाइज्ड तरीके से ये सारी बनाई गई है। इन्होंने जितनी भी है वो केरला के साथ साथ इंडिया के बाकी स्टेटस में भी फैल है। पीएफआइ का काम था इंडिया के अंदर लोगों को कन्वर्ट करना और प्रो। इस बनाना और ये चीज़ मैं अपने मन की बात नहीं बोल रहा हूँ। एनआईए ने जब पीएफआइ के मेंबर यासीन मोहम्मद सईद को पकड़ा तो इसके मोबाइल, सिम कार्ड, मेमोरी कार्ड इन सब की फोरेंसिक जांच हुई तो उसमें वीडिओज़ पीडीएफ़ फाइल्स इसके सारे कनेक्शन मिले।

जैसे जब आप कोई नई कंपनी जॉइन करते हो तो आपको वेलकम किट मिलती है जिसमें सारे इन्स्ट्रक्शन लिखे होते है। ये क्या क्या करना है? कंपनी में वैसे ही कन्वर्ट करने के भी इनके पास पूरी वेलकम किट थी। 2006 में पीएफआइ बनता है और अगले 3 साल तक ये लोग करते है। इसकी तरफ करने के लिए बेसिकली ये लोग यंग जेनरेशन को ही टारगेट करते हैं और ये सारी चीजें इधर चल रही है नहीं।

इसी बीच में केरला के कैथोलिक बिशप काउंसिल ने भी ऐलिगेशैन लगाना शुरू कर दिया। एक रिपोर्ट शेयर की, जिसमें पीएफआई के ऊपर क्रिश्चियन लोगों को कनवर्ज़न करने का आरोप लगाया, जिसमें इन्होंने ये मेन्शन किया की 4500 गर्ल्स को इन्होंने कन्वर्ट किया है। लेकिन पीएफआइ का पहला केस कोर्ट में गया था। 2009 के और इस केस में ही पहली बार याद का नाम आया था जिसको जस्टिस केटी संस्करण देख रहे थे।

इंडिया के अंदर लव जिहाद जो वर्ड था वो सबसे पहले केरला के अंदर हुआ था। लोगों को लगता है कि यूपी के लोगों को बनाया हुआ वर्ड है ये जबकि ऐसा नहीं है।

 

द केरल स्टोरी the kerala story

केरला स्टोरी में तो लड़की की कहानी बताई गई है। उससे पहले ये केस हुआ था और यह सबसे पहला और फेमस केस था जो रजिस्टर्ड हुआ था। इस केस के बाद जो केरला स्टोरी मूवी में जो चार लड़कियों की कहानी थी वो वाला था वो मैं भी आगे बताऊँगा। आपको तो होता क्या है कि 2009 में दो लड़के थे 123 साल का शहंशाह और दूसरा 27 साल का। सिराज उद्दीन दो लड़कियां थी जिनका नाम इस पर कोर्ट ऑर्डर डिस्क्लोस नहीं किया गया।

कोर्ट के अंदर इनको हिंदू गर्ल और क्रिस्चन गर्ल के नाम से बुलाया जाता है। तो इन दो लड़कियों में से एक जो लड़की थी वो MBA कर रही थी और उसी कॉलेज में उसका एक सीनियर था शहनशाह, जो एक बार कॉलेज से एक स्पेल भी हुआ था और ये दोनों टेलीफोन कन्वर्सेशन के थ्रू प्यार में पड़ गए थे।

अब आप कहोगे की एक लड़का लड़की प्यार तो कर सकते हैं, लेकिन इस केस में दिक्कत ये थी की इसमें पे फाइव इन्वॉल्व था चैनशाह और ये जो लड़की थी, जब दोनों रिलेशनशिप में आये तो शायद शाह ने लड़की को हिंदू धर्म की कमियां बताई और उसको किया कि वो मुस्लिम धर्म में कन्वर्ट हो जाये।

दोनों फिजिकल रिलेशन भी रखते हैं और ये लड़की को अपने घर भी ले जाता है जहाँ उसकी माँ थी और उसकी माँ भी समझती है की उनका दम कितना अच्छा है और एक दो बार जब वो लड़की घर गयी तो उसको प्रेयर वगेरा करना भी सिखाएं। फिर कुछ महीने बाद शहंशाह ने उस लड़की को कहा कि अगर वो कन्वर्ट नहीं होती है तो इस रिलेशन को एंड करना पड़ेगा।

लड़की इस चीज़ से काफी परेशान हुई। इस लड़के ने बीच बीच में PFI के लोगों से भी इस लड़की की मीटिंग करवानी शुरू करी। PFI की जो विमिन विंग थी, वो लड़की से बात करने लगी और सेम टाइम पे जो दूसरी लड़की जो लड़की थी, उसको भी कनवर्ज़न के लिए बोला गया। इस पूरे प्रोसेसर में कहीं भी जबरदस्ती नहीं की गई। लेकिन अलग अलग तरीके से पीएफ की जो विमिन थी और पीएफ की जो और लोग थे, तो इनको करते रहे और ट्री करते रहे कि खुद से कन्वर्ट हो जाए।

इसके बाद दोनों लड़कियों को टाइम टु टाइम केरला के पुरानी में ले जाया गया। फिर दोनों लड़कियों को पीएफआई के मेंबर में कन्विंस कर लिया। कन्वर्ट करने के लिए और ये कहा की अपना घर छोड़ के वही पुरानी में रहने लगे। फिर 18 जुलाई 2009 को मॉर्निंग में 3:00 बजे ये लड़कियां अपनी मर्जी से घर छोडके इनके पास आ जाती है। फिर वहाँ से दोनों लड़कियों को स्कॉर्पियो गाड़ी में इरनाकुलम ले जाया गया।

गाड़ी में अली और निषाद जो पीएफआइ के कोर मेंबर थे, वो भी बैठे हुए थे और रास्ते भर में आईसीसी की वीडियो चलाई गई। उस गाड़ी के अंदर ही चलाई गईं। जब ये लड़कियां पहुंचती है तो वहाँ पे पीएफआई की जो विमिन थी, वहाँ की फीमेल मिलती है उनको। और वो इन लड़कियों को घर पे कॉल करके इन्फॉर्म करने को कहते हैं कि इन्होंने अपना कनवर्ज़न कर लिया।

ये लड़कियां ऐसा ही करती है लेकिन एक पॉइंट ऐसा आता है जहाँ पर इन दोनों लड़कियों को ऐसा लगता है कि पीएफआइ का जो प्लैन हैं, वो इन दोनों प्यार करने वालों को मिलाने का नहीं है, बल्कि इनका ऐक्चुअल प्लैन यह है कि दोनों लड़कियों की शादी बैंगलोर में ले जाकर किसी और से करा दी जाए और जब ये बहुत ज्यादा पैनिक करने लगते हैं और मानती नहीं है तो ट्वेल्फ्थ ऑफ ऑगस्ट 2009 को इन लड़कियों की शादी जिनसे प्यार करती थी, उनसे करा दी जाती है।

इधर लड़की के जो पैरेंटस है वो केस फाइल कर देते है। कोर्ट के अंदर और शहंशाह और इनके साथी को गिरफ्तार कर लिया जाता है और बाद में ये भी पता चलता है कि शहंशाह और इनके बाकी जो पीएफआइ के मेंबर थे। इन्होंने लड़कियों को इस पेलली, समझाया था कि कुछ भी हो जाये पीएफआई का नाम नहीं लेना है कोर्ट के अंदर लेकिन कोर्ट की जब ये रिंग स्टार्ट होती है तो लास्ट में आते आते इन लड़कियों ने पीएफआई का नाम ले लिया था।

कोर्ट के अंदर इधर ये केस तो चल रहा था लेकिन इसके नेक्स्ट ईयर 4 जुलाई 2010 में केरला को सबसे बड़ा झटका लगता है। केरला के अंदर न्यूमेन कॉलेज के एक प्रोफेसर पी जे जोसेफ ने मार्च 2010 में एक क्वेश्चन पेपर बनाया। बच्चों के लिए उस क्वेश्चन पेपर में क्वेश्चन ऐसा बनाया जिसमें प्रोफेट मोहम्मद को इनसल्ट किया गया। इस चीज़ को लेके केरला के अंदर बहुत ज्यादा बवाल हुआ। इनको गिरफ्तार भी किया गया लेकिन उसके बाद पीएफआई के लोगों ने मीटिंग की और बाद में प्रोफेसर का हाथ काट दिया।

इस इंसिडेंट के बाद केरला में बहुत बवाल हुआ। पुलिस हरकत में आई। कई हिंदू भी ऐक्टिव हो गए। मीडिया में भी पीएफआई का नाम बहुत तेजी से उछला। समय पुलिस पीएफआई के अटैकर्स को पकड़ती है। उनके घर पर छापा मारती है और वहाँ पे पुलिस को ISI की लिंक मिलते हैं। सीड्स और वीडिओज़ मिलते हैं।

कनवर्ज़न के लिए कई डॉक्यूमेंट्स भी मिलते हैं। बारूद बंदूक के अल कायदा की सीडीज़ मिलती है। 77 बैंक अकाउंट्स जिनका लिंक आई से निकलता है। पीएफआइ के बारे में जब ये सारी चीजे मिली तो इस चीज़ को लेके केरला के अंदर कई मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन ने भी इस को क्रिटिसाइज किया और कहा कि इनको जल्दी से जल्दी पकड़ना चाहिए। पहले इन्वेस्टिगेशन भी स्टार्ट हुई और उसमें जो डॉक्यूमेंट मिले उसमें ये लोगो का प्लैन था।

PFI के लोगों का की 2047 तक ये लोग इंडिया को एक इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं। उस टाइम के चीफ मिनिस्टर थे वी एस अच्युतानंदन। उन्होंने से मंथ में एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि PFI इन यंग लड़के लड़कियों को भागाकर कनवर्ज़न करा रहा है और अगले 20 साल के अंदर केरला को इस्लामिक देश बनाने की प्लानिंग कर रहा है।

पीएफआइ यूट्यूब पे अभी भी वो इंटरव्यू पढ़ा है। आगे चल के ऑपरेशन भी हुआ, जिसमें पीएफआइ की जो विमिन बीइंग है, उसकी जो हेड थी वो ये कहती हुई पाई गई की माँ से कनवर्ज़न करा चूके है ऑलरेडी और आगे और करेंगे। ये वीडियो भी यूट्यूब पे है और जब इंडिया के अंदर पीएफआई के ऊपर नकेल कसी जाने लगी तो आई उसकी जो वेबसाइट थी, उसके ऊपर पीएफआइ के सपोर्ट में कई सारे आर्टिकल पब्लिश हुए हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं अभी आगे बताऊँगा की 1,00,00,000 लगाके पीएफआइ के जो मेंबर थे, उनका केस भी लड़ा। इसमें। इसके अलावा ऑर्गेनाइजेशन के जिन्होंने नारकोटिक जिहाद की भी बात की। लेकिन नारकोटिक जिहाद जो है वो केरला के अंदर नहीं है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि केरला के जो चीफ मिनिस्टर थे उन्होंने गवर्नमेंट का डेटा शेयर किया था। जिसमें नारकोटिक ऐक्ट के अंदर 5422 केस रजिस्टर हुए थे। जिसमें से 49.8% हिंदु। 34.47% मुस्लिम थे और 15.73% क्रिस्चन थे।

शुरू में अगर आपको याद हो तो मैंने पॉप्युलेशन की जो % बताई थी अगर उससे आप रिलेट करोगे तो ऑलमोस्ट हर कास्ट के बराबर के केस आए। तो इस डेटा से ये कहा जा सकता है कि नारकोटिक जिहाद का जो केस है वो केरला के अंदर इतना नहीं है।

द केरल स्टोरी the kerala story in hindi

the kerala story reviews in hindi

इसके बाद आता है साल 2016 और यहाँ से मेन स्टोरी शुरू होती है इस साल में इंडिया के अंदर सबसे ज्यादा ऐक्टिविटी होती है। देखिये स्टोरी जो मूवी है उसके अंदर चार लड़कियां दिखाई गई है, लेकिन इस मूवी में क्या किया गया है की जो अलग अलग लड़कियों के साथ इन्सिडन्ट हुए थे? केरला के अंदर इस पर्टिकुलर टाइम पे उन सब को उठाकर दिखाया गया और इसके साथ साथ इसमें कुछ इन्सिडेन्स भी ऐड किया गया है।

मिर्च मसाला लगाके  शर्मा ने जो मूवी के अंदर लीड रोल प्ले किया। अगर मैं रियल स्टोरी की बात करूँ तो फातिमा इसाब जो केरला के अंदर जो फातिमा इंसिडेंट हुआ वो इसके काफी करीब है, लेकिन ऐक्चुअल कहानी फातिमा की भी नहीं दिखाई गई है। इस मूवी में जो रिक्रूटमेंट होता है, ये ग्लोबल मुद्दा है।

पूरी दुनिया इससे परेशान हुई है और पूरी दुनिया में इसके ऊपर मूवीज़ बनाई गई है। नेटफ्लिक्स पे अभी आप देखोगे तो क्या ये सारी मूवीज़ जो है ये इसी मु्द्दे पर बनाई गई है। किसी भी कंट्री में ये मूवी ना तो बनी हुई है और ना ही इस मूवी की वजह से। लोगों ने आपस में लड़ाई करी है लेकिन केरला स्टोरी के साथ दोनों चीजें हुई हैं केरला स्टोरी जो मूवी है।

ये इतने इम्पोर्टेन्ट और सेन्सिटिव मुददे पे थी, लेकिन डायरेक्टर ने मूवी बना के 32,000 का नंबर ऐसे ही दे दिए। बहुत ही गलत चीज़ है। इस गलती की वजह से पूरे देश के अंदर जो रिक्रूटमेंट की अवेर्नेस दी जा सकती थी, वो डाइवर्ट होकर 32,000 से 35,000 इन नम्बर की बेस पे आके रह गईं हैं।

पूरी मूवी देखने के बाद भी लोगों को PFI के बारे में नहीं पता बल्कि मूवी देखने के बाद कई बार ऐसे इंसिडेंट हुए यहाँ पे लड़ाई झगड़े भी हो गए हैं। आपस में कर्नाटक के चुनाव होने से पहले रिलीज करने की इतनी जल्दी थी कि चीजों को इग्नोर किया गया। केरला मूवी का जो पूरा इश्यू है, उसमें सबसे बड़ी दिक्कत है। इसमें तीन चीजें मिक्स की गई है।

एक इंडिया से जाकर जॉइन करना, दूसरा कनवर्ज़न और तीसरा है फोर्स कनवर्ज़न अब इंडिया के अंदर से जॉइन करने कितने लोग गए? तो फिर भी आप ऑफिसियल डेटा के आसपास पहुँच सकते हो लेकिन कनवर्ज़न और फोर्स कनवर्ज़न बहुत ही सब्जेक्टिव चीज़ है। इंडिया का कॉन्स्टिट्यूशन कहा था कि कोई भी ऐडल्ट अपनी पसंद के धर्म में जा सकता है। आप कौन सा कनवर्ज़न फोर्स्फुली किया गया है और कौन सा अपनी मर्जी से किया गया इसको पता करना बहुत ही मुश्किल है।

जो ब्रेन वॉश है वो तो कहेगा कि वह अपनी मर्जी से कन्वर्ट हुआ है और जो सच में अपनी मर्जी से कन्वर्ट हुआ है वो कुछ भी कर ले उसकी बात यकीन नहीं करेगा। यही रीज़न है की केरला मूवी के ऊपर। आप दिनभर बहस कर लीजिये, आप कन्क्लूशन भी नहीं पहुँचेंगे। आप अगर बहस करने जाओगे तो कनवर्ज़न और फ़ोर कनवर्ज़न, इन तीनों का डेटा मिलाके कुछ ना कुछ आपको प्रुव कर देगा।

आप कनवर्ज़न के डेटा पे बात करोगे तो के डेटा को ऐड कर दिया जाता है। इसकी बात करोगे तो कनवर्ज़न का मुद्दा उठा दिया जाता है। वही जो लेफ्ट विंग है वो उस चीज़ का डेटा दिखा रहा है जो कैलकुलेट ही नहीं किया जा सकता। लेकिन जो चीज़ ऑफिशियली कैलकुलेट ही नहीं की जा सकती उसको आप कैसे कह सकते हो कि एक आदमी था जो फोर्स्फुली कन्वर्ट हुआ था।

आप कनवर्ज़न का रेशियो फिर भी बता सकते हो कनवर्ज़न कैसे बता सकते हो? मैं एक रिले एग्जाम्पल से समझता हूँ, जो केरला में हुआ एक इंडियन आर्मी ऑफिसर थे। उनकी बेटी आदिरा थी। वो एक पीएं। फाइव मेंबर्स सेना के टच में आती है और फिर कन्वर्ट करके शफीन जहाँ नाम के लड़के से शादी कर लेती है और इसके बाद का नाम जो होता है वो हादिया हो जाता है।

हादिया के जो माँ बाप हैं ये सब देख के वो कोर्ट में जाके केस कर देते है की गलत है। इसने अपनी मर्जी से नहीं किया। वहीं दूसरी तरफ PFI सपोर्ट में आता है।

कपिल सिब्बल जो बहुत ही बड़े लॉयर है। इंडिया के पीएफआइ उनको हायर करता है, 1,00,00,000 से भी ज्यादा का खर्चा करता है। कोर्ट के सामने इमोशन्स नहीं चलते। कोर्ट का कहना है कि एक अडल्ट लड़की कह रही है की वो अपनी पसंद के धर्म में रहकर अपनी पसंद के लड़के से शादी कर रही है। इसमें उसको क्यों सजा दी जाए?

और यही रीज़न था कि ये केस PFI जीत जाता है। तो इस केस से आप आइडिया लगा सकते हैं कि कनवर्ज़न और फोर्स कनवर्ज़न का जो डेटा है वो आप कैलकुलेट नहीं कर सकते हैं। ऑफिशियली अगर ये वाला केस भी आप ले लो तो ये किसी के लिए फोर्स कनवर्ज़न था और किसी के लिए अपनी मर्जी से लिया हुआ हाँ कुछ कैसे रहते हैं?

जहाँ पे प्रॉपर डॉक्यूमेंट्स मिले की प्लानिंग की गई थी। कनवर्ज़न के लिए जैसे मल्लापुरम के अंदर एनआईए की रेड पड़ी थी और वहाँ पे डॉक्यूमेंट मिले थे कि कैसे उन्होंने 70 लड़कियों को कन्वर्ट करवाया था। 2016 में पुलिस चीफ को इन्टेलिजेन्स एजेंसी की रिपोर्ट सबमिट हुई तो उसमें मेन्शन था कि केरल के कोझीकोड और मल्लापुरम में PFI जैसी ऑर्गेनाइजेशन ने 57193 लोगों को कन्वर्ट किया है और इतने लोगों को इन्होंने 2012 से 2015 के बीच में कन्वर्ट किया।

लेकिन जो रिपोर्ट सबमिट की गई थी. इसमें कहीं पे भी आप देखोगे तो फोर्स कनवर्ज़न वर्ड यूज़ नहीं हुआ है। इस रिपोर्ट के आने से केरला के अंदर काफी हंगामा हुआ। लेकिन देखिये एक चीज़ में देखनी होगी एक हिंदू कन्वर्ट हो गया। इससे जौन करेगा या फिर एक मुस्लिम बिना कन्वर्ट हुए ऐसे में इंडिया को दोनों से बराबर का खतरा हैं।

अब इसमें एक चीज़ और कहते हैं लोग की एनआईए की चार्जशीट में इतने सारे नाम है जो इसको जॉइन करने गए थे, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा चार लड़कियों की क्यों होती है? लेकिन चारों को इंडिया लाने की जो बात है वो अभी भी चल रही है और इनकी जो इंडीविजुअल स्टोरी है वो काफी अलग है इसलिए इनका नाम ज्यादा आता है।

लेकिन इनके अलावा भी बहुत सारे ऐसे केसेस हैं जिनके बारे में बात नहीं होती है। जैसे अगर आपको सारे केसेस देखने होंगे तो 2008 से 2018 तक के जीतने भी केसेस हुए। जीतने भी इंसिडेंट हुआ है। केरला के अंदर वो मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दी है। ये जो स्टोरी मूवी है, इसमें भी चार लड़कियां दिखाई गई है। लोग सोचते है की करेंट्ली जो चार लड़कियां अफगानिस्तान में उनकी कहानी है, एक फातिमा की कहानी अगर हम छोड़ दें तो बाकी के जो करेक्टर है उसमें इन्होंने रियल स्टोरी नहीं यूज़ करी है। कुछ कुछ इंसिडेंट पकड़ पकड़ के उसमें ऐड किया।

रियल लाइफ में जो लड़कियां अफगानिस्तान पहुंची थी उनके नाम है सोनिया, आयशा, निमीषा संपत और फातिमा मरीन जाकब उर्फ मरियम और राफेला 2016 में जब इंडिया से 60 लोग अफगानिस्तान गए थे तो उनमें से ये चार भी थी तो कैसे ये लोग वहाँ पे पहुँची?

वो भी डिस्कस करते हैं। केरला के अंदर एक कस्बा है कास। वह पर एक लड़की सोनिया रहती थी। इसने MBA कर रखा था और इसी बीच में मिलती है वह अब्दुल्ला अब्दुल राशिद से। ये कंप्यूटर इंजीनियर था और सर्टिफाइड निकल हैकर भी था और साथ में ISI से भी मिला हुआ था। अब तो इंडिया के अंदर टॉप फाइव इस हैंडलर में से एक था।

अब्दुल और सोनिया प्यार में पड़ जाते हैं और अब्दुल ने सोनिया के सामने ये डिमांड रखी की शादी अगर उसको शादी करनी है तो वो कन्वर्जन करना होगा। उसके बाद ही वो शादी कर सकता है। सोनिया शुरू में तो मना कर दिया और बाद में वो कन्वर्ट हो जाती है और अब्दुल से शादी कर लेती है और सोनिया का नाम आयशा हो जाता है।

लेकिन यहाँ पे भी एक ट्विस्ट था। अब्दुल पहले से ही शादीशुदा था। यास्मीन नाम की लड़की से आगे चलके सोनिया को जब ये बात पता चलती है तो शुरू में तो उसको दिक्कत होती है लेकिन आगे चलके उसको कोई दिक्कत नहीं थी की अब्दुल की दो वाइज थी। अब्दुल और अब्दुल की पहले वाली वाइफ दोनों मिल के 2015 से एक सीक्रेट क्लास चलाते थे।

जहाँ पे हिजरा के बारे में समझाया जाता था, इंडिया से जाके ISI में उसको जॉइन करना होता है, उसको हिजरा बोलते है। अब वो जब दूसरी शादी करता है। सोनिया से,  सोनिया को भी इस काम में इन्वॉल्व कर लेता हैं मेनली अब्दुल्ला और उसके PFI के मेंबर सोनिया से बैंक अकाउंट में पैसे डलवा डलवाने के लिए।

इस पैसे को इंडिया से बाहर इराक, सीरिया और अफगानिस्तान में जाते थे, उनके फ्लाइट के टिकट पासपोर्ट सब हो गया। 2016 से 2018 तक ये जो 60 लोगों को अफगानिस्तान जा रहा था। इसमें सोनिया ने बहुत ही इम्पोर्टेन्ट रोल प्ले किया था और इसी चीज़ की वजह से इंटरपोल का रेड नोटिस जारी हुआ था।

सोनिया के ऊपर पहली बार एनआईए को इनके बारे में तब पता चलता है जब ये लोग इस पर्टिकुलर ईमेल आई डी से इससे दोनों आपस में बात कर रहे थे तो NIA इस कन्वर्सेशन को पकड़ लिया था।

अब देखिये इधर अब्दुल सोनिया और यासमीन रेडी हो रहे थे। अफगानिस्तान जाने के लिए। और उधर और लोगों को रेडी किया जा रहा था और यही वो पर्टिकुलर टाइम था जब ये लोग निमीषा संपत्ति को भी अपने टच में ले आते हैं, जो केरला स्टोरी में लीड एक्ट्रेस के रोल प्ले किया है।

उसकी स्टोरी में इस ई निमीषा की लाइफ की इन्षुरेन्स ऐड किया गया है। निमीषा  सागर में रहती थी वहाँ के सेन्चुरी कॉलेज से डेंटिस्ट की पढ़ाई कर रही थी। निमीषा की फ्रेंड थी मेरी जो  दो लड़के मिलते हैं बैक्सीन और विन सीन ये दोनों क्रिश्चियन हुआ करते थे लेकिन रशीद का ग्रुप इन दोनों को पहले ही कन्वर्ट करना चुका था।

तो कन्वर्ट कराने के बाद बैक्सीन का जो नाम था वो रख दिया गया था और दूसरा भाई जो था वोसीन था। उसका जो नाम था वो यहाँ रख दिया गया था। ये दोनों मिलके निमिषा और मेरी इनसे रिलेशन में आते हैं। और कनवर्ज़न करके शादी कर लेते हैं।

उसका नाम फातिमा ऐसा हो जाता है और जो मरीन थी उसका नाम हो जाता है तो ये जो चार लड़कियां थीं, जिनकी मैंने बात करी थी। शुरू में एक सोनिया, दूसरी निमीषा, तीसरी और चौथी रफेला ये चारो लड़कियां कन्वर्ट होकर अफगानिस्तान में जाने के लिए रेडी हो जाती है। लेकिन अब्दुल राशिद को इन लोगों के साथ साथ और लोगों को भी अफगानिस्तान ले जाना था। जैसे ये लोग ऐड होते जा रहे थे। ये लोग ग्रुप बनता जा रहा था। ये लोग और लोगों को ऐड करने का ट्राई करते।

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2016 में एक ये जो 60 लोगों का ग्रुप गया था, इनको जो मास्टरमाइंड थे वो पांच लोग थे। इंडिया के अंदर अब्दुल रशीद  आजकल के मौलाना हनीफा रिजवान खान कुरेशी इसमें से आगे चल के अब्दुल अज़ीज़ की तो जान चली जाती है अफगानिस्तान के एक अटैक में। लेकिन बाकी के जो तीन हैं वो अभी भी एक इंडिया की जेल में सजा काट रहे हैं।

इसमें एक क्वेश्चन और आ रहा होगा आपके दिमाग में की ये लोग। इंडिया में बैठ के ISI के लोगों से को ऑर्डिनेट कैसे करते थे? इनको पकड़ क्यों नहीं पता था? तो देखिये यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर होम अफेयर्स जिनका नाम था जी किशन रेड्डी। इन्होंने इस चीज़ के बारे में एक बार बताया था की ये लोग डार्क वेब और एन्क्रिप्शन की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी यूज़ करके सारा कम्यूनिकेशन कर देते है।

इंडिया से अफगानिस्तान में ये लोग मिल के वॉट्सऐप ग्रुप चलाते थे।  उस ग्रुप से कुछ लोगों को ये लोग सलेक्ट करते थे और फिर ये उन लोगों को शिफ्ट कर देते थे। टेलीग्राम चैनल के लिए जो की दुबई के नंबर से चलता था और ये इतनी ईमेल एड्रेस थी और इन ईमेल एड्रेस के थ्रू ये लोग कम्यूनिकेट करते थे।

अलग अलग लोगों से ये लोग डेली बेसिस पे ये ही ट्राई करते थे कि कैसे लोगों को ISI इसके लिए रेडी किया जाए। एक की मैगज़ीन भी बना रखी थी उन्होंने, जिसमे पूरा ऑनलाइन मटिरियल था ये वो उन लोगों से शेयर करते थे जिनको लगता था की सकते हैं।  एक ट्विटर अकाउंट भी था जो लोगों को कन्विंस करने की कोशिश करता था। ट्विटर के ऊपर की वो इसको जॉइन कर रहे हैं और ऐसा नहीं है खाली इंडिया में ही इंडिया में रहके ये लोग से मेथड थे यूएई, नाइजिरिया, ऑस्ट्रेलिया, टिन नंबर पे कॉन्टिन्यूअस ली टच में रहते थे।

इसके रिक्रूटमेंट प्रोसेसर को आगे बढ़ाने के लिए ये सारी चीजें चल रही थी और जैसे जैसे लोग रेडी हो रहे थे, ये पांच जो मेन थे ये लोगों को भेज रहे थे की कुछ अथॉरिटी को इनके बारे में पता चलता है तो इन लोगों को भागकर वापस इंडिया में आना पड़ता है। वहाँ से आने के बाद ये लोग अपना प्लान बनाते है। अफगानिस्तान जाने का।

ये 60 लोग इंडिया से अफगानिस्तान जाते हैं, जिसमें से 26 मेल थे, तेरह फीमेल थी और 21 बच्चे थे। इनको दो पार्ट में भेजा जाता है। पहला ग्रुप 2016 में पहुंचता है और दूसरा ग्रुप 2018 में पहुंचता है। पहले ग्रुप को इन्होंने दुबई के रास्ते से वहाँ की फ्लाइट दिलवाई और अफगानिस्तान के खुरासान में पहुंचाया।

दूसरा जो ग्रुप था उसको इन्होंने ओमान के रास्ते से पहुंचाया। अफगानिस्तान ये लोग टोटल सात अलग अलग फ्लाइट पकड़ते हैं। ये इन फ्लाइट के नंबर्स है और ये सारे इन्होंने पासपोर्ट यूज़ किया है जिसमें एग्ज़ैक्ट डेट और एरपोर्ट भी मेन्शन है। जैसे ये लोग पहुंचते हैं। इधर सोनिया निमीषा मेरी इनके पैरंट्स पुलिस स्टेशन में पहुंचते हैं कि हमारे बच्चे एक महीने से गायब हैं, लेकिन पुलिस जब चेक करती है तो एक पैटर्न देखती है की सम एरिया से किसी पर्टिकुलर टाइम पे काफी लोग गायब हुए हैं।

इसके बाद अलग से एक इन्वेस्टिगेशन टीम बैठाई जाती है और जब ये लोग ट्रेसिंग करते हैं तो यासमीन के बारे में इनको पता चलता है जो दिल्ली के जामिया नगर में रहती थी। एजेंसी को सारे लिंक यही से मिलते हैं और 30 जुलाई 2016 को ये लोग को दिल्ली एअरपोर्ट यानी की इंदिरा गाँधी एअरपोर्ट से पकड़ लेते हैं तो यासमीन अफगानिस्तान नहीं पहुँच पाती है। अफगानिस्तान में सिर्फ राशिद और सोनिया ही पहुँच पाते हैं।

2017 के स्टार्टिंग में यूएस अपने सबसे पॉवरफुल  नुक्लेअर वेपन का यूज़ करता है अफगानिस्तान के कॉम्प्लेक्स में और इसमें अफगान फोर्स भी उसका साथ देती है। और भी कई जगह पे किया जाता है। ये जो 60 लोग थे ये ISI के कैंपस में रह रहे थे और पूरे टाइम ये लोग अफगानिस्तान में भागे भागे फिर रहे थे तो इस हमले में निमीषा सोनिया इन सब के हस्बैंड मारे जाते हैं।

टोटल 60 लोग गए थे, उसमें से 24 लोग मारे गए, पांच लोग मिसिंग है और 10 औरतें और 21 बच्चे ये अफगान फोर्स के सामने सरेंडर कर देते हैं और इसी 10 औरतों में से ये चार औरतें थीं, जो पकड़ी जाती है। इन चारों को जेल में डाल दिया जाता है। दिल्ली में जो यासमीन पकड़ी गयी थी, उससे काफी डिटेल मिली और इससे एनआईए को पता चलता है कि अफगानिस्तान में क्या चल रहा है।

अफगानिस्तान गवर्नमेंट भी इंडियन एम्बेसी को इन्फॉर्म करती है तो जब ये सारी चीजें पता चलती है तो इन्टेलिजेन्स एजेन्सी के जो ऑफिसर्स थे वो अफगानिस्तान में पहुंचते हैं और इन लड़कियों से बात करते हैं। इसका ओरिजिनल इंटरव्यू स्टार न्यूज़ ग्लोबल एक चैनल है उस पे पड़ा हुआ है जब इनसे पूछा गया कि आपने ऐसा क्यों किया तो ये सारी सारी एक जैसे ही बयान दे रहे हैं की जैसा आपने सोचा था वैसा यहाँ नहीं मिला।

हम वापिस इंडिया जाना चाहते हैं, उसमें ऑफिसर जिसे कहते भी हैं, जब आपको पता चल गया, जैसा आपने सोचा था वैसा यहाँ नहीं है तो आप इंडिया में वापस जाकर अपने माँ बाप के साथ रहेंगी तो इनमें  सोनिया ने कहा कि राशिद अब्दुल्ला तो मर गया है, लेकिन मैं उसके मॉम डैड के साथ जा के रहना चाहूंगी।

इंडिया में ऑफिसर बात करने के बाद कन्विंस नहीं हुए और इंडिया ने ये डिसाइड किया की इनको वापस नहीं लेंगे। इनके जो माँ बाप है उनकी एक काफी टफ हो गयी है। वो अभी भी इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। इनके बच्चे वापस आ जाए, बाकी देखिए और भी बहुत सारी रिपोर्ट है।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है की 180 से 200 केस है, जिसमें लोग इंडिया से ISI जाकर जॉइन किया। उन्होंने यूएस ने भी डेटा शेर किया कि उसने जब अटैक किया था, 2020 में तो 2020 का डेटा शेयर किया था कि इसमें 66 इंडियन थे जिन्होंने जा के जॉइन किया था।

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