रुपये की आत्मकथा पर निबंध  Essay on Autobiography of Money in Hindi

जीवन में पहले – पहले मेरी माताजी ने मुझे रुपया दिया । मैं रुपया लेकर अपने गाँव के निकट ही हाट में गया । वहाँ से मैंने अनेक वस्तुएँ मोल लीं। मैंने केवल एक रुपये से ही बहुत – सा सामान खरीदा। हाट देखकर जब लौटा तो भोजन करके चारपाई पर लेटकर रुपये की महिमा के विषय में सोचता हुआ सो गया।

 

मैं जानता हूं कि (Essay on Autobiography of Money in Hindi) यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि मनुष्य जिन विचारों की लड़ी पिरोता हुआ सोता है, विचारों की वे ही लड़ियाँ स्वप्न में आकर मनुष्य के सामने नाचने लगती हैं, मैं भी रुपये के चमत्कार को विचारता हुआ सोया था, अतः वही विचार मन में चक्कर काटने लगे और कुछ समय बाद रुपये ने मुझे अपना वृत्तान्त इस तरह सुनाया संसार का ऐसा कौन- सा प्राणी है जो मुझसे परिचित न हो। 

Essay on Autobiography of Money in Hindi
Essay on Autobiography of Money in Hindi

संसार में ऐसा कौन है जो मुझे न चाहता हो ? संसार के मनुष्य चाहे बड़े – बड़े विद्वानों, नेताओं, अधिकारियों को अपना मस्तिष्क न झुकाते हों ; किन्तु मेरे सामने तो अच्छे से अच्छा नाक रगड़ता है। संसार में ऋषियों ने कहीं भगवान के गीत तो गाये, परन्तु मेरा नाम तक नहीं लिया। इसी कारण वनों में तथा कन्दराओं में कन्दमूल फल खाते हुए मारे – मारे फिरते हैं। यदि इन ऋषियों ने कहीं मेरी प्रार्थना की होती तो न जाने कितने आनन्द एवं सुख से जीवन यापन करते। आगे मेरे बारे में रुपये की आत्मकथा पर निबंध के माध्यम से आप जान पाएंगे।

Essay on Autobiography of Money in Hindi

Essay on Autobiography of Money in Hindi

” सुनो, मेरी जीवन कहानी बड़ी रोचक है। तुम इसे सुनकर दाता तल उँगली दबाओगे। मेरा जीवन खान से हुआ, परन्तु अपने जन्म के समय का मुझे ठीक अनुमान नहीं है। एक दिन खान में काम करने वाले श्रमिकों ने मुझे खान से बाहर निकाला। मेरा वह स्थायी घर था, जन्म – भूमि थी। अपना स्थायी घर छोड़ना किसे रुचिकर प्रतीत होता है? पर मेरा वश ही क्या था, इस बलिष्ठ मानव के सम्मुख एक न चली। 

मैं भद्दे एवं मिट्टी से युक्त टुकड़े के रूप में खान से निकाला गया। उस खान के जीवन में मैंने स्वप्न में भी विचार नहीं किया था मुझे उन्नति करनी चाहिए। मगर किसी उर्दू कवि का यह कथन मेरे विषय में सत्य निकला ‘ इज्जत उसे मिली जो वतन से निकल गया। वह फूल सिर चढ़ा जो चमन से निकल गया ।। ‘ वास्तव में अपने घर से निकलकर मैं उन्नति के पथ पर आगे बढ़ा। 

अब मेरे पुरखे, अन्य टुकड़े भी साफ किये जाने लगे। बेचारों को विवश होकर भट्टियों पर तपना पड़ा। यह उनकी सबसे बड़ी तपस्या थी। इस तपने की तपस्या के आधार पर ही मैं एक चमकदार धातु की छड़ के रूप में परिवर्तित हो गया। अब तो मुझे लोग रजत ( चाँदी ) कहने लगे। फिर चाँदी को टकसाल में लाया गया और यों ही सीधे – सीधे से टुकड़े काट लिये गये। उन टुकड़ों को सुधार कर उन पर कुछ चिन्ह अंकित किये गये। 

 

वैसे वही मेरा पुराना रूप था, परन्तु सभ्यता के विकास के साथ – साथ मेरे रूप में भी परिवर्तन हो गया था, और होता भी क्यों नहीं ? परिवर्तन तो सृष्टि का नियम ही है। विश्व के कण – कण में परिवर्तन अपनी कलित – क्रीड़ा कर रहा है। जिधर नजर डालिये उधर ही परिवर्तन छाया हुआ है तो फिर उन मेरे पूर्वजों के रूप में यदि कुछ परिवर्तन हुआ, तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है ? टकसाल का कार्य भी आरम्भ हो गया। 

अब मेरा तथा मेरे पूर्वजों का रूप चमक उठा। उस पर चित्र बनाया गया तथा मेरे इस नये जन्म की तिथि भी अंकित की गई। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान की ही तूती बोल रही है। अतः विज्ञान की प्रकृति के साथ – साथ मेरे रूप में और भी अधिक परिवर्तन होता गया। मेरी आत्मा की पवित्रता धीरे – धीरे नष्ट होने लगी और मेरा बाहरी रूप निखर उठा। 

यह सुनकर तुम्हें कुछ आश्चर्य होगा, परन्तु आश्चर्य करने की इसमें कोई बात नहीं है। मेरे निर्माता मनुष्य ने मेरा भी रूप अपने समान कर लिया। अब मेरा शरीर शुद्ध चाँदी का नहीं रहा। उसमें गिलट, लोहा और न जाने क्या – क्या मिला दिया गया। हाँ, बाहरी आडम्बर में कुछ वृद्धि अवश्य हो गई और इस बाहरी शोभा का परिणाम यह निकला कि बालक, युवा, वृद्ध सभी मुझे लालच भरी आँखों से देखने लगे। 

Essay on Autobiography of Money in Hindi
Essay on Autobiography of Money in Hindi

मनुष्य ने अपनी आसानी के लिए, कागज का रुपया भी बना डाला और मुझे मेरे इस रूप को आप नोट कहकर पुकारने लगे। अब मेरा क्या कहना? मैं हाथों – हाथ देश -विदेश की यात्रा करने लगा। मेरी सैर की सीमा न रही। कभी कहीं तो कभी कहीं। कभी कलकत्ते तो कभी इलाहाबाद ; कभी देहली तो कभी आगरा। कभी बैंक में तो कभी तिजोरी में।

 मेरे भ्रमण की सीमा न रही। जब कभी मैं कंजूसों के हाथों में पड़ जाता, मेरी आफत आ जाती। वहाँ से निकलना कठिन हो जाता। बीस – बीस वर्ष तक एक ही स्थान पर पड़ा सड़ता रहता। मैं गाँवों का अनुभवी हूँ और नगरों का भी, झोंपड़ियों और महलों का भी। मैं एक स्थान पर ठहरना पसन्द नहीं करता। यही कारण है लोग मुझे ‘ चला ‘ कहकर सम्बोधित करते हैं। 

सभी मनुष्य मुझे खरा – खोटा देखकर लेते हैं। कभी पत्थर पर पटकते हैं तो कभी हाथ से रगड़ते हैं। कभी – कभी मैं पैरों तले लापरवाही से पड़ा रहता हूँ। कोई भी मेरी खबर सुध नहीं लेता। अनेक दुःख सहता हूँ पर मेरी महिमा किसी से छिपी नहीं है। मेरे लिए लोग गलियों – गलियों भटकते फिरते हैं। अपने शरीर को कष्ट देकर भी लोग मुझे प्राप्त करने के लिए उत्सुक रहते हैं। देखिए, कहीं किसी को मैं मिल जाऊँ तो वह कितना प्रसन्न होता है फूला नहीं समाता, भागा भागा माँ के पास जाता है। 

सुकोमल बच्चों को स्कूल में भेजा जाता है, अनेक कष्ट सहते हुए डिगरियाँ प्राप्त करते हैं, चोरियाँ और डकैतियाँ होती हैं, घोर पाप किये जाते हैं, अत्याचार किये जाते हैं यह सब क्यों ? मुझे प्राप्त करने के लिए ही। आज के अधिकांश विद्यार्थी शिक्षा का उद्देश्य पूछे जाने पर यही बतायेंगे – नौकरी। मेरे बिना सैकड़ों काम बिगड़े पड़े रहते हैं। इस दुनिया में सारे कार्य मुझ पर ही आधारित हैं।

 मैं जो चाहूँ वह करा सकता हूँ , यदि मैं चाहूँ तो बड़े – बड़े साम्राज्य स्थापित कर दूँ , चाहूँ तो सुस्थापित साम्राज्यों को अस्त – व्यस्त कर दूँ। मानव को गौरवान्वित होने की शक्ति मैं ही देता हूँ। मानवीय मनोवृत्ति पर मेरा पूर्ण अधिकार है। मनुष्य को संसार के सुख प्रदान करने वाला तथा उसकी आशाओं को पूरा करने वाला मैं ही हूँ भूखे को अन्न देने वाला, नंगे को वस्त्र देने वाला मैं ही तो हूँ, आज मैं मूर्खों को पण्डित बनाने वाला हूँ। इस मायावी संसार में जो शोभा है, जीवन में जो आनन्द है , वह सब मेरी ही कृपा पर है।

 

निष्कर्ष

अब आपको ज्ञान हो गया होगा कि मेरा कितना महत्त्व है ? मैं रोते को हँसाने वाला हूँ। मुझे यह देखते हुए दुःख होता है कि आज का मानव मेरा प्रयोग हानिकारक और निम्न स्तरीय कामों में करता है। क्या ही अच्छा हो कि वह मेरा प्रयोग सत्कर्मों में करने लगे। इससे मेरी गरिमा में वृद्धि होगी। मानव मात्र का कल्याण होगा। जिन्दगी प्रसन्नता से झूम उठेगी।

आज के लेख में हमने रुपये की आत्मकथा पर निबंध  Essay on Autobiography of Money in Hindi कैसे लिखा जाये इस आर्टिकल के माध्यम से हम सब समझे हमे आशा है की यह आर्टिकल आप सभी को जरूर पसंद आया होगा। आप हमे कॉमेंट्स करके अपना सुझाव दे सकते हैं। आपके सुझाव का हमे इंतजार रहेगा। 

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