Taj mahal par nibandh in hindi 20 महत्त्व पूर्ण जानकारी ताजमहल के बारे में।

ताजमहल पर निबंध हिंदी में जानकारी यहाँ पर मिलेगा की,  ताजमहल के बारे में आप क्या जानते है? ताजमहल की क्या विशेषताएं हैं? tajmahal kisne banwaya ताजमहल का निर्माण कब हुआ। इसके अलावा और भी इम्पोर्टेन्ट जानकारी ताजमहल के बारे में आपको प्राप्त होगा।

ताजमहल संसार की सात अद्भुत वस्तुओं में से एक है। इस भवन ने संसार में जो ख्याति प्राप्त की है, उतनी ख्याति कदाचित् ही किसी अन्य भवन ने प्राप्त की हो। यह ताजमहल शाहजहाँ और मुमताज के प्रगाढ़ प्रेम का जीता – जागता उदाहरण है l

ताजमहल की सुंदरता का वर्णन कीजिये तो यह हिमालय की भाँति अटल खड़ा हुआ विशाल भवन अमर प्रेम का सन्देश दे रहा है। (Taj mahal par nibandh in hindi)  इसकी ख्याति संसार में इतनी अधिक है कि संसार के कोने – कोने से लोग इसे देखने आते हैं और देखकर दंग रह जाते हैं। वे इसे देखकर तृप्त ही नहीं होते। वास्तव में, वास्तुकला का जैसा सुन्दर रूप यहाँ देखने को मिलता है, वैसा अन्यत्र नहीं।

 

Taj mahal kahan par hai  ताजमहल पर निबंध हिंदी में

यह भवन आगरा में यमुना नदी के दायें किनारे पर स्थित है। इसके समीप ही ताजगंज नामक मुहल्ला है। सम्भवतः उस मुहल्ले का नाम भी इसी के आधार पर रखा गया हो। प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत आगरा फोर्ट से करीब दो मील की दूरी पर है। इस विशाल भवन के तीन ओर बाग है और पीछे कालिन्दी कल – कल शब्द करती हुई निरन्तर बहती रहती है।

मुगल सम्राट शाहजहाँ बड़े ठाठ – बाट वाला व्यक्ति था। वह अपनी बेगम मुमताज से बड़ा प्रेम करता था। मुमताज की यह आकांक्षा थी कि उसके मरने के पश्चात् उसकी समाधि पर ऐसा सुन्दर मकबरा बनवाया जाये जो संसार में बेजोड़ हो। शाहजहाँ ने अपनी प्रिय बेगम की इस आकांक्षा को पूरा करने का निश्चय किया और ताजमहल को बनवाकर अपने प्रगाढ़ प्रेम का परिचय दिया।

Taj mahal par nibandh in hindi

ताजमहल का निर्माण कब हुआ

यह इमारत सत्रहवीं शताब्दी की वास्तुकला के स्वरूप को हमारे सामने उजागर कर रही है। ताजमहल के विषय में यह दन्तकथा प्रचलित है कि शाहजहाँ ने इस भवन के नक्शे को स्वप्न में देखा था और उसी के अनुसार इसका निर्माण करवाया।

सन् 1641 में इस भवन का निर्माण हुआ। करीब बीस वर्ष में यह बनकर तैयार हुआ। इस इमारत में करीब 22 सहस्र मजदूर प्रतिदिन कार्य करते थे। संसार के कोने – कोने से कारीगर बुलाये गये थे। शाहजहाँ ने देश – देशान्तर से बहुमूल्य पत्थर तथा अन्य सामग्री मँगवायी। यह इमारत पूर्णतः संगमरमर की बनी हुई है।

 

संगमरमर राजपूताने की खानों से मँगवाया गया था। इसके निर्माण में करीब 20 करोड़ रुपया व्यय हुआ। एक किंवदन्तीयह भी प्रसिद्ध है कि शाहजहाँ ने ताज बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे, ताकि वे ऐसी सुन्दर इमारत अन्यत्र न बना सकें।

 

इस विशाल भवन तक पहुँचने के लिए सर्वप्रथम एक विशाल प्रवेश द्वार में होकर जाना पड़ता है। इस प्रवेश द्वार के दाएँ – बाएँ तथा ऊपरी ओर कुरान शरीफ की आयतें बड़े सुन्दर ढंग से लिखी गई हैं। उन अक्षरों का अनुपात ऐसा है कि करीब – करीब सभी अक्षर एक ही प्रकार के दिखाई पड़ते हैं। कुरान शरीफ की आयतों में सुन्दर पच्चीकारी इस प्रकार हो रही है मानो कोई डिजाइन बन गई हो।

 

यह प्रवेश द्वार लाल पत्थर का बना हुआ है। द्वार के समीप ही एक अजायबघर है जहाँ मुगल बादशाहों के अस्त्र – शस्त्र आदि सुरक्षित हैं। दरवाजे के भीतर इमारत तक पहुँचने के लिए चौड़ा राजमार्ग है।Taj mahal par nibandh in hindi फुब्बारों से युक्त नाली के दोनों ओर सन्तरी की भाँति वृक्ष सदैव शोभा पाते हैं। कुछ दूरी पर एक सुन्दर सरोवर है , जिसमें कमल खिलकर तालाब की मनोहर छटा को बढ़ा देते हैं।

Aadhunik siksha par nibandh आधुनिक शिक्षा पर निबंध

ताजमहल की क्या विशेषताएं हैं?

रंग – बिरंगी मछलियाँ किलोल करती हुई दृष्टिगोचर होती हैं। इसमें ताज का प्रतिबिम्ब बड़ा मोहक लगता है। इस सरोवर के चारों ओर संगमरमर की चौकियाँ बिछी हुई हैं, जिन पर यात्रीगण बैठकर सरोवर तथा ताज की मनोहर छटा को निहारते हैं। इसी स्थान पर बैठकर दर्शक ताज के उद्यान की शोभा निहारते हैं।

 

उद्यान में भाँति – भाँति के रंग – बिरंगे पुष्प सर्वत्र दिखाई देते हैं। सुन्दर हरी – हरी घास मखमल के गद्दों के समान प्रतीत होती है। यहीं से श्वेत संगमरमर की इमारत भली – भाँति दृष्टिगोचर होती है। यह इमारत संगमरमर के विशाल चबूतरे पर बनी हुई है। चबूतरे के चारों कोनों पर चार मीनारें हैं , जो मकबरे के चारों ओर प्रहरी – सी खड़ी हैं तथा जिनमें ऊपर चढ़ने के लिए चक्करदार सीढ़िया हैं।

मध्य में ताज का विशाल गुम्बद है जो दो सौ पिचहत्तर (275) फीट ऊँचा है। इतना ऊँचा गुम्बद संसार में अन्यत्र कहीं नहीं है। इसके चारों ओर छोटे – छोटे चार गुम्बद और हैं। सफेद संगमरमर के बने हुए इस भवन को करीब तीन सौ वर्ष हो गये, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि मानों आज ही बनकर तैयार हुआ हो।

 

ताजमहल के चारों ओर दीवारों पर काले पत्थरों के अक्षरों में कुरान की आयतें खुदी हुई हैं। उन पर बड़ी सुन्दर पच्चीकारी हो रही है। ताज के अन्दर का और ही दृश्य है । विशाल गुम्बद के नीचे शाहजहाँ और मुमताज महल की समाधियाँ हैं। वे वास्तविक समाधियों की नकल हैं। वास्तविक समाधियाँ उनके नीचे हैं। इन पर बहुमूल्य पत्थर की नक्काशी है जिसे देखकर दाँतों तले उँगली दबानी पड़ती है।

आज की नारी अपने अंक में दासता को छिपाये हुए है, (mahila sashaktikaran aur samaj par nibandh )

सीढ़ियों द्वारा तहखाने में जाकर वास्तविक समाधि के दर्शन होते हैं। तहखाने में अन्धकार छाया रहता है। अतः समाधियों के दर्शनार्थ प्रकाश की सहायता लेनी पड़ती है। वहाँ का दृश्य बड़ा ही चित्ताकर्षक है। वहाँ पर हर समय सुगन्धित अगरबत्तियाँ जला करती हैं। दोनों समाधियों में यह अन्तर है कि मुमताज महल की समाधि पर तो कुरान की आयतें अंकित हैं पर शाहजहाँ की समाधि पर नहीं।

मुमताज महल की समाधि पर शाहजहाँ ने कुरान की आयतों को लिखवाने में कोई हानि नहीं समझी, किन्तु शाहजहाँ की समाधि उसके पुत्र औरंगजेब द्वारा बनवाई गई, उसे यह सोचकर कि किसी दिन समाधि पर मनुष्य के पैर पड़ सकते हैं, कुरान की आयतें नहीं लिखवाईं।

 

शरद् – पूर्णिमा की रात्रि को ताजमहल की मनोरम छटा देखते ही बनती है। उस समय की ताज की छटा का वर्णन करना लेखनी की शक्ति के परे है। चन्द्रमा की किरणों से मकबरा तथा भीनारें जगमगाने लगती हैं। सारा मकबरा चाँदी के समान चमकने लगता है।

 

बहुत से विदेशी शरद् पूर्णिमा की रात्रि में ताज की अनुपम छटा को देखने के लिए आते हैं और अपने मस्तिष्क में ताज की अनुपम शोभा अंकित कर ले जाते हैं। स्मृति के लिए वे संगमरमर की बनी हुई ताज की अन्य प्रतिमायें भी अपने साथ ले जाते हैं।

 

taj mahal par 10 line hindi

ताजमहल वास्तुकला के एक अद्वितीय नमूने के साथ – साथ दाम्पत्य प्रेम का अद्वितीय स्मारक है। लगभग तीन सौ वर्ष समाप्त होने पर भी ताज के सौन्दर्य में किसी प्रकार की कमी नहीं आई है। एक योगी की भाँति वह धूप, वर्षा, शीत आदि को सहता रहता है। पत्थरों की जुड़ाई, चित्रकारी, पच्चीकारी, कटाई आदि को देखकर मुगलकालीन वास्तुकला का परिचय मिलता है।

भारतीय कला धन्य है, जिसने संसार में ताज जैसा मकबरा प्रस्तुत किया। इस पर हमें और हमारे देश को गर्व है। किसी कवि के शब्दों में ” मुमताज शहंशाह रहे नहीं, गाथा भी बहुत पुरानी है। पर शरद् रात की वर्ष गाँठ, तेरी यह ताज जवानी है। * यथार्थ रूप में कहा जाय तो यह निश्चित है कि ताज आगरा नगर के गौरव में चार चाँद लगा रहा है । आगरा नगरी ताज को अपनी गोद में लेकर धन्य है। यदि आगरा को ताजनगरी के नाम से सम्बोधि

त किया जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

 

Udtagyani.Com provides information and education. There is an effort toward learning politics, entertainment, health, economics, computers, IT, and science. It is a free platform to learn analytics and make effective decisions

Leave a Comment