उपभोक्ता अर्थशास्त्र की परिभाषा Upbhokta Arthshastra ki paribhasha . (Definition of consumer economic)
उपभोक्ता अर्थशास्त्र क्या है?
अर्थशास्त्र सीमित साधनों एवं असीमित साध्य के परिवर्तन प्रयोग विकास व वितरण से संबंधित मानव व्यवहार का अध्ययन है ।इसमे उत्पादक एवं उपभोग साधन दोनों के वितरण एवं मूल्य निर्धारण को सम्मिलित किया जाता है। अर्थशास्त्र चुकी अर्थशास्त्र की एक शाखा है,इसलिए इसमें केवल उपभोग साधनों के वितरण उपभोग विनियम से संबंधित अध्ययन फ़ू सम्मलित किया जाता है।
उपभोक्ता अर्थशास्त्र |
रॉबिंस की परिभाषा के आधार पर यदि उपभोक्ता अर्थशास्त्र को परिभाषित किया जाए तो इन शब्दों में इसे व्यक्त किया जा सकता है। अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की एक शाखा है, उपभोक्ता की असीमित और तीव्रता मे भिन्नता वाली हो आवश्यकताएं तथा सीमित और अनेक उपयोग में आने वाले साधनों से संबंधित मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
इस परिभाषा की व्याख्या करने पर स्पष्ट होता है कि उपभोक्ता के रूप में प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताएं अनंत योग सीमित होती हैं, किन्तु इन को पूरा करने के साधन यानी धन सीमित है। हालाकि ईन सीमित साधनों को अनेक प्रयोगों में लाया जा सकता है, अर्थात अनेक व्यक्ती की पूर्ति की जा सकती हैं। साधनो की सीमितता के कारण व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं होता है कि वह समस्त आवश्यकताएं की पूर्ति एक साथ कर सके।
दूसरे शब्दों में उपभोक्ता अर्थशास्त्र सीमित साधनों के वितरण से संबंधित है। इसके लिए अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है।
✔️उपभोक्ता अर्थशास्त्र की परिभाषा निम्नलिखित तरीके से दी जा सकती है–
🔹उपभोक्ता अर्थशास्त्र उपभोक्ता के व्यवहार एवं हित में अर्थशास्त्र के सिद्धांतों का प्रयोग है।
🔹यह सीमित साधनों के वितरण का अध्ययन करता है।
🔹उपभोक्ता अर्थशास्त्र का क्षेत्र एवं विषय सामग्री
🔹स्कोप एंड सब्जेक्ट मैटर ऑफ कंजूमर इकोनॉमिक्स
उपभोक्ता अर्थशास्त्र के केंद्रीय विषय वस्तु भोक्ता की निर्णय प्रक्रिया है।व्यवहार उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य निर्धारण एवं प्राप्ति की प्रक्रिया एवं प्रणाली उपभोक्ता संरक्षण आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है। वह बकता अर्थशास्त्र की अध्ययन सामग्री निम्नलिखित क्षेत्रों में व्याप्त है।
1 उपभोक्ता का व्यवहार (consumer behaviour) upbhokta ka vyavhar
उपभोग समस्त आर्थिक क्रियाओं का आदि और अंत है, उसके समस्त विक्रय उपभोग के निमित्त होती हैं ।और वहाँ के आसपास केंद्रित रहती हैं, वह वक्ता अर्थशास्त्र में उपभोक्ता व्यवहार का अध्ययन केंद्रीय विषय वस्तु है ।
उपभोक्ता के अंतर्गत सम्मिलित विषयों को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है…
* उपभोग एवं उपभोक्ता का अर्थ का महत्व एवं प्रकार तथा उपभोक्ता के संबंध में विस्तृत अध्ययन।
* उपभोक्ता की संप्रभुता उपभोक्ता के लिए चयन की स्वतंत्रता एवं सीमाएं हैं
* आवश्यकता की परिभाषा प्रकार वर्गीकरण महत्व आदि का अध्ययन
* उपभोग के सिद्धांत तथा उपभोग ह्रास नियम समसीमांत उपयोगिता नियम उपभोक्ता की बचत आदि
* मांग का अर्थ। प्रकार,मांग रेखा, मांग की नियम, मांग की लोच।
2 बाजार का अध्ययन Bajar ka adhyayan (study of market)
समानता उपभोक्ता अपनी आवश्यकता की वस्तुएं बाजार से प्राप्त करता है। इसलिए उपभोक्ता अर्थशास्त्र में बाजार का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।
बाजार के संबंध में अर्थशास्त्र में सम्मलित विषय इस प्रकार हैं!
* बाजार का अर्थ, प्रकार, कार्य महत्व आदि
* मूल्य निर्धारण का सामान्य सिद्धांत, मूल्य निर्धारण में समय, तत्व, विभिन्न बाजार दशाओं में मूल्य निर्धारण।
* विक्रय कला, विज्ञान, विधियां आदि
3 उपभोक्ता के समक्ष कठिनाइयां upbhokta ke samaksh kathinaiya (problem before consumer)
वर्तमान व्यापार संरचना में उपभोक्ता (consumer) के समक्ष अनेक कठिनाइयां उत्पन्न हो गई है। उसे मिलावट, मापतौल अनियमितता, अनुसूचित मूल्य, धोखाधड़ी जैसी समस्याओं से प्रत्येक दिन जूझना पड़ता है।उपभोक्ता अर्थशास्त्र में ईन समस्याओं का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
4 उपभोक्ता संरक्षण upbhokta Sanrakshan (Consumer’s protections)
उपभोक्ता के समक्ष मौजूद समस्याओं से सरंक्षण की अति आवश्यकता है। इसके लिए विभिन्न देशों में आंदोलन प्रारंभ हुए, सरकार ने भी संवैधानिक प्रयास किए तथा उपभोक्ता में जागरुकता उत्पन्न करने के प्रयास किए।उपभोक्ता अर्थशास्त्र उपभोक्ता के प्रयासों एवं अधिनियमों का विस्तार से अध्ययन करता है।
5 अन्य विषयों का अध्ययन Anya vishayon ka adhyayan (study of other fields)
उपभोक्ता अर्थशास्त्र उपयुक्त मुख्य विषयों के अतिरिक्त जीवन स्तर, परिवारिक बजट, उपभोक्ता शिक्षा, करारोपण एवं भूमिका जैसे विषयों का अध्ययन करता है।
उपभोक्ता अर्थशास्त्र का महत्व Upbhokta Arthshastra ka mahatva, (importance of consumer economic)
वर्तमान समय में उपभोक्ता अर्थशास्त्र का एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में स्वीकार किया जाता है। अर्थशास्त्र में उपभोग संबंधी धारणाओं को एडम स्मिथ के समय से ही महत्व मिलता रहा है। हालांकि एडम स्मिथ के अन्य अनुयायियों ने उपभोग को यथेष्ट महत्व नहीं दिया। मार्शल ने उपभोग के समय संबंध में अनेक सिद्धांतों को वैज्ञानिक व्याख्या कर उपभोक्ता शास्त्र के लिए प्रचार सामग्री उपलब्ध कराई। आगे चलकर जेवन्स, वालरस, मेन्जर जैसे अर्थशास्त्रियों ने उपयोगिता के महत्व को समझा और मूल्य निर्धारण मे उपयोगिता एक पक्ष के रूप में प्रस्तुत किया। कीन्स ने समष्टिवादी अर्थशास्त्र में भी उपयोग को महत्वपूर्ण स्थान दिया।
1 उपभोक्ताओं के लाभ upbhokta ke labh Advantage of consumers
उपभोक्ता अर्थशास्त्र का केंद्रीय विषय उपभोग एवं उपभोक्ता है। इसलिए इसके अध्ययन की सर्वाधिक उपयोग उपभोक्ताओं को है। उपभोक्ता अर्थशास्त्र की संपूर्ण विषय सामग्री उपभोक्ता हित संरक्षण एवं संवर्धन से संबंधित है। एक उपभोक्ता सीमित आय इसे किस प्रकार असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सफल हो सकता हैऔर अपनी संतुष्टि को किस प्रकार अधिकतम कर सकता है।
उपभोक्ता अर्थशास्त्र इन प्रश्नों के समाधान मे सहायक होता है। सीमांत उपयोगिता नियम या प्रतिस्थापन का नियम उपभोक्ता के संतुलन में सहायक होता है। बाजारों में मूल्य निर्धारण उपभोक्ता सरंक्षण संबंधित शिक्षा, उपभोक्ता अधिनियम की जानकारी प्रदान कर उपभोक्ता अर्थशास्त्र उपभोक्ता के लिए महत्वपूर्ण अध्ययन सिद्ध होता है।
2 उत्पादकों के लाभ utpadan ke labh advantage of producers
एक उत्पादक का उद्देश्य अपने साधनों के सिस्टम प्रयोग द्वारा लाभ को अधिकतम करना है। अधिकतम करने के लिए उसे उत्पादक की बिक्री अधिकतम करनी आवश्यक होती है। पाठक के लिए आवश्यक है कि उपभोक्ताओं की रुचि फैशन बजट, आय, स्तरों, आदि की जानकारी प्राप्त करेंउ पभोक्ता अर्थशास्त्र इस प्रकार के संबंध में उत्पादकों के अनुरूप ज्ञान प्रदान करने में बहुत सहायक साबित होता है।
3 सरकार को लाभ Sarkar ko Labh advantage of government
वर्तमान समय में लोकतांत्रिक एवं लोक कल्याणकारी सरकारें हैं। इन सरकारों का उद्देश्य जनकल्याण में वृद्धि करना होता है, इसके लिए वह आय व्यय एवं बजट गतिविधियों द्वारा प्रयास करती हैं। सरकार आए वृद्धि के लिए बहुत करारोपण करती है। जिसे वस्तु के मूल्य में वृद्धि होती है जिससे उपभोक्ता की आय प्रभावित होती है। इसके लिए सरकार को करारोपण करते समय उपभोक्ता के हितों को ध्यान में रखना पड़ता है। उपभोक्ता अर्थशास्त्र इस संबंध में महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करता है। इसी प्रकार जब सरकार व्यय करती है, उत्पादन को अनुदान देती है. सर्वजनिक सेवाओं के मूल्य निर्धारित करती हैं तो उसका भी प्रभाव उपभोक्ता पर पड़ता है। भारत सरकार को नीति निर्धारित करने में उपभोक्ता अर्थशास्त्र उपयोगी होता है, इस प्रकार सरकार के लिए भी उपभोक्ता अर्थशास्त्र का अध्ययन महत्वपूर्ण है।
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