1000 Words, मेला पर निबंध कैसे लिखे | mela par nibandh

प्रस्तावना:

हेलो दोस्तों आज हम आप सभी के लिए आये मेला पर निबंध mela par nibandh । जो छोटे क्लास से लेकर बड़े क्लास के बच्चो के लिए उपयोगी साबित होगा।

मेले प्रायः देश की किसी गौरवपूर्ण घटना की स्मृति में आयोजित हुआ करते हैं। ये सामाजिक, धार्मिक तथा राष्ट्रीय संगठन में बड़े सहायक होते हैं। इन अवसरों पर पढ़े – लिखे मनुष्यों के हृदयों पर अतीत की स्मृति अंकित हो जाती है।

 

मेलो के प्रकार mela par nibandh , mela par nibandh 1000 words

मेले विभिन्न प्रकार के होते हैं , कुछ तो ऐतिहासिक घटनाओं की याद दिलाते हैं , जैसे , बनारस , प्रयाग में दशहरा का मेला ऐतिहासिक मेले जातीय जीवन को उत्साहित तथा जाग्रत करने में बड़े सहायक होते हैं । यह बड़े शोक का विषय है कि आज हमारे राष्ट्र में अधिकांशतः लोग अशिक्षित हैं । वे रामलीला के मेले में जाकर तथा रामलीला देखकर इस बात का ज्ञान कर लेते हैं कि हमारे पूर्वज कितने स्वाभिमानी , बलिष्ठ तथा मर्यादा पालक थे ।

रामलीला ने हमारे जीवन में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन कर डाला है । भरत के त्याग को देखकर ऐसा कौन व्यक्ति होगा जिसका कि हृदय न पिघल जाता हो ? सीताजी के त्याग तथा कष्ट सहने की शक्ति को देखकर ऐसी कौन – सी अबला है जिसके हृदय में भयंकर परिस्थितियों का सामना करने के लिए वीरता तथा उमंग का संचार न होता हो ? इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ये ऐतिहासिक मेले भूतकाल को हमारे सामने रखते हैं जिसके द्वारा मुर्दादिलों में भी जोश आ जाता है ।

 

मेलो से लाभ mela par nibandh , mela par nibandh 1000 word

धार्मिक मेलों का तो कहना ही क्या है। सर्वत्र बच्चे, युवक, वृद्ध स्त्री – पुरुष पवित्र तीर्थों पर पहुँच जाते हैं। श्रद्धा तथा भक्ति के साथ गंगा में स्नान करते हैं । कहीं पर गायों का दान होता है तो कहीं पर ब्राह्मणों को यात्री लोग बड़ी श्रद्धा के साथ भोजन कराते हैं , कहीं पर सत्संग प्रेमी साधुओं के पास बैठकर अपनी धार्मिक जिज्ञासा शान्त करते हैं । मेले के अवसर पर ताँगे वालों , पण्डों तथा दुकानदारों की पाँचों उँगली घी में रहती हैं।

साधु तथा सन्यासी लम्बी – लम्बी जटाओं को धारण किये हुए यात्रियों का भविष्य बताने का दावा कर कुछ दान प्राप्त करने की इच्छा करते हैं। हलवाई भी अपनी कच्ची पूड़ियों की प्रशंसा करते करते नहीं अघाते ! बेचारे यात्रियों को उन कच्ची पूड़ियों तथा बिना स्वाद की सब्जियों को लेना ही पड़ता है ।

यदि न लें तो करें भी क्या ? प्रयाग तो गंगा से काफी दूरी पर है। पण्डों का तो ढंग ही निराला है । वे यात्री पर अपना अधिकार सिद्ध करने के लिए अपने पोथी – पत्राओं में से यात्री के बाप, दादा , बाबा आदि का नाम बखान करते हैं तथा यात्री को अपने घर ले जाने का भरसक प्रयत्न करते हैं : क्योंकि यात्रियों की दया तथा दान पर ही उनका जीवन निर्भर है।

प्राचीन काल में मेलों में सभ्य, शीलवान् तथा धार्मिक प्रवृत्ति वाले मनुष्य जाया करते थे , परन्तु आजकल विज्ञान के आविष्कार रेलों की सहायता से दुष्ट, धूर्त तथा चोर भी वहाँ पहुँच जाते हैं। गिरहकट एवं चोर अवसर की घात लगाये इस प्रकार बैठे रहते हैं जैसे कि बगुला नदी के किनारे चुपचाप, शान्त मछलियों की ताक में खड़ा रहता है। अवसर आने पर झट से हाथ साफ कर देता है । मेलों के अवसर पर सकुशल टिकट लेकर रेल में सवार हो जाना बहुत ही टेढ़ी खीर है , क्योंकि एक ओर तो भीड़ तथा दूसरी ओर चोर और जेब कतरों का भय ।

 

मेलों में भिन्न – भिन्न स्थानों के नर – नारी एक ही स्थान पर मिल जाते हैं । इस प्रकार उनमें परस्पर विचारों का आदान – प्रदान होता है , उनमें परस्पर प्रेम तथा बन्धुत्व भावना की वृद्धि होती है। यात्रा करने से मनुष्यों को भिन्न – भिन्न देश तथा मनुष्य देखने को मिलते हैं , इससे उनके अनुभव तथा ज्ञान का विस्तार होता है।

 

मेलो से हानियाँ Essay on Mela in Hindi Language

जहाँ मेलों से इतना लाभ होता है , वहाँ उनसे हानियाँ भी बहुत हैं । मेलों को जाते समय यात्रियों को मार्ग में बहुत से कष्टों को सहन करना पड़ता है । गर्मी तथा जाड़े के प्रकोप से यात्री रोग के शिकार हो जाते हैं । मेलों में चारों ओर गिरहकटों के भय से यात्रीगण राम – राम करके धन की रक्षा कर पाते हैं । आज हमारे देश में जबकि चारों ओर से रोजी – रोटी की पुकार आ रही है , देश के लाखों कन्हैया माखन मिश्री के अभाव में पत्तल चाट रहे हैं , ऐसी दशा में मेलों में पानी की तरह धन बहाना कहाँ तक उचित है ? यह जानकर पाठक स्वयं ही समझ सकते हैं।

 

इन सब बातों की समस्या होते हुए भी मेलों से प्राप्त होने वाले आनन्द तथा उनकी उपयोगिता के विषय में कभी दो मत नहीं हो सकते । एक अन्य कोलाहलपूर्ण मेला होता है , आगरा का रामलीला का मेला । आगरे का शायद ही ऐसा कोई शौकीन युवक हो जो इस मेले में भाग न लेता हो । इस मेले में गाँवों से हजारों की संख्या में धर्म – प्रिय व्यक्ति आते हैं ।

सेठ लोग अपनी गाड़ियों को सजाकर निकालते हैं । लोग उत्साह में भरे हुए ‘ रामचन्द्र जी की जय आदि जोशीले नारों से आकाश गुंजा देते हैं । इस मेले में धर्म के नाम पर धन पानी की तरह बहाया जाता है ।

लेकिन अगर

“ करते रहें यदि अनुकरण, हम राम के व्यवहार का।

तो रामलीला सत्य हो, हो गर्व इस त्यौहार का ।।

सर्वस्व खोया अब यहाँ, दुर्भाग्य का अवशेष हो ।

यह रामलीला सत्य हो, रक्षक सदैव ‘ रमेश ‘ हो ।।

 

विभिन्न मेलो के नाम तथा वर्णन Essay on Mela in Hindi Language

मेलों का वर्णन अधूरा रहेगा , यदि आगरा जिले के कैलाश के मेले का वर्णन न किया जाय । यह स्थान यमुना के किनारे आगरा से सात मील दूर है । यहाँ कैलाश नामक शिव मन्दिर है । इस मन्दिर में स्नान किये हुए पूजा करने वालों की भीड़ लगी रहती है । प्रत्येक भक्त यमुना का पानी बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ शिवजी की मूर्ति पर चढ़ाता है । मन्दिर के चारों ओर अनेक व्यक्ति परिक्रमा देते हैं तथा शिवजी की जय बोलते हैं । नर तथा नारी मन्दिर में मूर्ति पर पैसा चढ़ाते हैं । बाहर अनेक साधु बैठे रहते हैं जो यात्रियों से वरत पैसा माँगते रहते हैं ।

 

उपसंहार

मेले अधिकाँशतः गंगा – यमुना के किनारों के निकट लगते हैं। (mela par nibandh)  राजघाट , सोरों , हरिद्वार तथा बनारंस के मेले बहुत ही विख्यात हैं। मथुरा में तो हर रोज मेला – सा दिखाई पड़ता है। इन मेलों में सुधार करने तथा उन्हें उपयोगी बनाने के लिए कुछ प्रयत्न करना आवश्यक है। ऐसी वस्तुएँ जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद हैं उनको मेले में बेचने की आज्ञा नहीं होनी चाहिए । चोरों तथा गिरहकटों एवं चरित्रहीन व्यक्तियों की जाँच करके उनका प्रवेश ही मेलों में वर्जित कर दिया जाय तभी इन मेलों से जनता को अधिक लाभ हो सकता है ।

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