आज के समय मे जिस तरीके से लोग अपने जीवन शैली को बदल रहे हैं। इस बदलाव मे एक कॉमन बात है लैट्रीन के जगह दर्द होना latrine ki jagah dard hona, आज के दौर में यह एक बड़ी समस्या है। खान पान की गलत आदतों के वज़ह से कब्ज होने लगता है। यदि कब्ज की समस्या ज्यादा दिनों तक रहता है तो अंदर की नसों मे सूजन हो जाता है इसके कारन पेट साफ नहीं होता है।
इस दौरान बार बार ऐसा लगता है की लैट्रिन अभी लगा हुआ है तथा मल त्याग के जगह दर्द होने लगता है। तथा यही से बवासीर की शुरुआत होता है। जो आगे चलकर बहुत ज्यादा दिक्कत करता है।
लैट्रीन के जगह दर्द होना latrine ki jagah dard hona
तो आइये जानते हैं कि लैट्रीन करते समय जलन या दर्द होना क्या है? यह किन कारणों क वज़ह से होता है तथा इसका वास्तविक इलाज क्या है? हमारे द्वारा बताए गए जानकारी को यदि आप ध्यान से पढ़ते है और दिए गए उपचार को करते हैं तो यह मेरा प्रॉमिस है की आप 110% ठीक हो जायेगे।
बवासीर या पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें एनस (मल द्वार) के अंदर और बाहरी भागों के नसों मे सूजन आ जाता है । जिसके वज़ह से मल त्याग करने वाला रास्ता छोटा हो जाता है। मल त्याग करने के ज्याद जोर लगाने के दौरान दर्द और खून आने लगता है। कभी कभी अहसहनीय दर्द होता है। मन में चिड़चिड़ापन होने लगता है।
मल त्याग करते वक़्त ज्यादा जोर लगाने पर यह मस्से बाहर की ओर भी आ जाते है। यह बीमारी परिवार में यदि किसी को रहता है तो आगे की जेनेरेशन मे भी यह समस्या पाए जाने का डर बना रहता है। यह बीमारी अनुवांशिक भी होता है।
आइये अब जानने की कोसिस करते है की पाइल्स कितने तरह का होता है?
दोस्तों आपको बता दू की पाइल्स दो तरह का होता है
1 खुनी पाइल्स ( खुनी बवसीर )
2 वादी पाइल्स ( वादी बवासीर)
1 खुनी पाइल्स ( खुनी बवासीर )
खुनी बवासीर में मल त्याग के दौरान खून आने लगता है। कभी कभी यह भी देखा जाता है की दर्द भी नहीं रहता है, और मल त्याग के दौरान खून आने लगता है। मल त्याग करने दौरान यदि आप जोर ज्यादा लगाते है तो उस अवस्था मे ब्लड अधिक गिरने लगता है।
खूनी बवासीर होने पर मालूम भी नहीं चलता है यह तब मालूम चलता है जब लैट्रीन करने के दौरान ब्लड आने लगता है। इसमे दर्द बिल्कुल नहीं होता है। इसमे मस्से अंदर की ओर रहते है, मल त्याग के दौरान घर्षण से मस्से फट जाते है और अत्याधिक ब्लड आने लगता है।
2 वादी पाइल्स (वादी बवासीर)
वादी बवासीर में मस्से बाहर की ओर होता है, इसमे मल त्याग के दौरान ब्लड नहीं आता है, लेकिन दर्द बहुत ज्यादा होता है लैट्रिन करने वाले जगह पर मस्से का गांठ बन जाता है। गांठ बड़े होने के कारन मल द्वार पतला हो जाता है लैट्रिन के दौरान जोर लगाने पर मस्से बहार आ जाते है। जिसको अंगुली के सहारे अंदर की और करना पड़ता है गुदा के बाहरी और अंदुरनी भागो में सूजन हो जाता है। मस्से बहार की ओर लटक जाता है।
बवासीर से बचाव उपाय
खुनी बवासीर से बचाव के लिए सबसे पहले आपको खान पान पर ध्यान देना चाहिए। ऐसा खाना का प्रोग कभी न करे जिससे आपको कब्ज हो क्यों की बवासीर होने सबसे बड़ा कारन कब्ज ही होता है।
खट्टा बिल्कुल न खाये।
ज्यादा मीठा न ले।
ऑइली खाना फ़ास्ट फ़ूड से हर वक्त बचे।
मांस मछली बिना मसाले के खाये।
लाल मिर्चा काली मिर्च के प्रयोग न करे।
अदरख से दूर रहे यह सबसे ज्यादा खतरनाक होता है बवासीर को उत्पन करने में।
पानी ज्यादा पिने के कोशिश करे।
हरा पता वाली सब्जी ज्यादा खांए।
दही लस्सी का प्रयोग ज्यादा करे।
सुरन के सब्जी का प्रयोग करे।
भिंडी के सब्जी ज्यादा खाये हलके मसाले के साथ।
मुंग और अरहर के दाल खांए।
बवासीर से बचाव के लिए कौन से दवा ले।
बताये गए दवा का प्रयोग यदि आप सही से करते है तो मै दावे के साथ कह सकता हूँ की इससे 110 परसेंट आपको फ़ायदा होगा। बस आपको ध्यान में रखकर दवा का प्रयोग करना पड़ेगा। ताको आप जल्दी से ठीक हो जाएँ ।
बवासीर दे बचाव के लिए आयुवेर्दिक दवा
बवासीर से बचाव के लिए आयुवेर्दिक दवा का प्रोग सबसे अच्छा रहता है इससे किसी भी तरह का कोई दिक्कत नहीं होता है। बवासीर के लिए यदि आयुवेर्दिक दवा का निरतं एवं लगातार कुछ दिनों या महीनो तक लिया जाये तो बवासीर जल्द ही ठीक हो जाता है और जड़ से ख़त्म हो जाता है।
बवसीर के लिए आयुवेर्दिक दवा
बवासीर को ख़त्म करने के लिए आयुवेर्दिक दवा में सबसे बेहतर आपको हम बता रहे है ताकि आप को जल्दी से आराम मिल सके।
1 अर्शोघ्नी बटी
2 अभयारिष्ट
3 इसबगोल की भूसी
ये दोनों दवा सबसे बेहरत है बवासीर को खत्म करने के लिए यह दवा किसिस भी मेडिकल स्टोर से खरीद सकते है। अभयारिष्ट लिक्विड है। और अर्शोघ्नी बटी गोली है।
दवा खाने का नियम
1 अर्शोघ्नी बटी
अर्शोघ्नी बटी को दिन में तीन बार खाना है दो दो गोली सबसे पहले दवा को मसलकर पाउडर बना ले दो गोली के हिसाब से तीन अलग अलग। प्रत्येक दिन पहला खुराक सुबह में खाली पेट ले, दवा को खाने लिए दही छाछ का प्रयोग करे इससे तुरंत असर करता है। दूसरा खुराक दो पहर में ले खाना खाने के 15 मिनट बाद, तीसरा खुराक रत को भोजन करने के बाद 20 मिनट बाद ले। इस तरह से लगातार 3 फाइल का प्रयोग करे।
2 अभयारिष्ट
इस दवा का प्रयोग खाना खाने के बाद करे। दो ठेपी दवा और समान भाग पानी के साथ परोग करे। इससे कब्ज में राहत गैस की समस्या के साथ पेट को साफ करता है तथा मस्से को नरम करने मे मदद करता है।
ये दोनों दवा को नियमित रूप से लेने पर और सब दवाओं के अपेक्षा यह जल्द और तुरंत असर करता है तथा बवासीर को जड़ से ख़त्म कर देता है।
3 इसबगोल की भूसी
रात में सोने से पहले 1 ग्लास हलके गर्म पानी के साथ तीन से चार चमच इसबगोल की भूसी को मिलाकर लें। इससे लैट्रिन क्लीयर होता है, कब्जियत के आलावा दर्द और ब्लड से राहत मिलता है।
latrine ki jagah dard hona आप इस समस्त से परेशान है तो यह दवा खाने के बाद छू मंतर हो जायेगा बवासीर में खास बात आपको यह ध्यान में रखना है की खाना वैसा ही खाये जो जल्दी ही पच जाये। तथा ऊपर बताये गए सारे बातो को फ्लो करे।
चिकनपॉक्स क्या है? इसका कारण और इलाज क्या है?
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आज आपने क्या सीखा?
आज हम सब ने यही सीखा की latrine ki jagah dard hona और बवासीर से बचाव के लिए कौन से दवा ले। तथा बवासीर होने का मुख्य कारन क्या है? हमें उम्मीद है की यह जानकारी आप को जरूर पसंद और समझ में आया होगा। इस तरह के और भी महत्वपूर्ण जानकारी लेना चाहते है तो हमारे पेज नोटिफिकेशन को ऑन करले।