हैल्लो बच्चो आप सब कैसे हैं? आज आप सभी के लिए हिंदी में top 10 moral stories in hindi लेकर आया हूँ आप सब जानते होंगे की मोरल कहानी से जो हमें ज्ञान मिल जाता हैं वह ज्ञान हमें कंही और नहीं मिलता हैं आज के कहानी में ऐसा ही हैं। आज के कहानी ज्ञान और मजे से भरपूर हैं। moral stories in hindi को बस आप मन लागर पढ़िए तब देखिये आपको कितना आनद आता हैं।
top 10 moral stories in hindi
प्रत्येक कहानी का नोचोड़ दिया गया है की इस कहानी से हमें क्या फ़ायदा हुआ जिसे हम पढ़े ‘ इस प्रकार से हर कहानी में बताया गया है . आप सब जब भीं किसी कहानी को पढ़े तो सारांश उसका जरूर पढ़े।
डरपोक पत्थर: top 10 moral stories in hindi
बचपन के दिनों में हर बच्चा कहीं न कहीं अपने घर के आस-पास बहुत सारे खेल-खिलौनों से खेला करता है। वह जहां चाहे वहां चला जाता है, जितना मन चाहे खुद को बच्चों के अनोखे खेल में डूबा लेता है। वहां खेल और मस्ती के साथ-साथ, वे खुद को विचारों, कहानियों और ज्ञान की दुनिया में भी खो देते हैं। आइए, आज हम आपके सामने लाते हैं एक ऐसी ही कहानी, जिसमें बच्चों के आदर्शों और उनकी सोच को बदलने की क्षमता है। इस कहानी का नाम है “डरपोक पत्थर”।
यह कहानी है एक छोटे से गांव की, जहां एक नदी के किनारे एक बच्चा रहता था। उसका नाम था राजू। राजू बहुत ही समझदार और सुन्दर बच्चा था, लेकिन उसमें डर की बातें ज्यादा होती थीं। जब भी वह नदी के पास जाता था, तो वह डरपोक हो जाता था। वह सोचता था कि नदी में कुछ बुरा चीज बसी हुई है जो उसे नुकसान पहुंचा सकती है। वहां तक पहुंचने में वह बहुत ही डर जाता था।
इस तरह वह नदी के आसपास के खेलों से दूर रहने लगा था और वह आदत बना लिया था कि जब भी कोई उसे नदी के पास बुलाता, तो वह डर से भाग जाता था।
एक दिन, राजू अपने दोस्त सुरेश के घर गया। सुरेश का घर नदी के पास ही था। जब राजू नदी के पास पहुंचा, तो उसे एक बड़ा सा पत्थर दिखाई दिया। राजू उस पत्थर के पास जाने से डर गया और वहां से भागने की कोशिश करने लगा। सुरेश ने उसे रोका और पूछा, “राजू, तुम पत्थर से क्यों डर रहे हो? वह तो एक साधारण पत्थर है।”
राजू ने डर के साथ कहा, “मुझे लगता है कि यह पत्थर बहुत खतरनाक है। यह मेरे पास आएगा और मुझे चोट पहुंचाएगा।”
सुरेश मुस्काते हुए बोले, “राजू, यह पत्थर तुम्हें कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकता। वास्तव में, यह पत्थर बहुत दुर्बल होता है।”
राजू चकित हो गया और सुरेश से जानकारी मांगने लगा। सुरेश ने बताया, “देखो, राजू,
इस पत्थर को हम ‘डरपोक पत्थर’ कहते हैं क्योंकि यह बिलकुल डरपोक है। यह सिर्फ और सिर्फ अपनी शक्ति को छिपाने के लिए यहां पड़ा हुआ है। जब भी कोई इसे छूता है या हिलाता है, तो यह बहुत जोर से चीखता है और डराता है। परंतु इसकी वास्तविकता यह है कि यह किसी को भी चोट नहीं पहुंचा सकता।”
राजू धीरे-धीरे समझने लगा। उसने सुरेश से पूछा, “लेकिन यह किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता है तो इसे डरपोक कैसे कहा जा सकता है?”
सुरेश ने आवाज में उत्तर दिया,
“यह उस समय डरपोक बन जाता है जब हम उसकी वास्तविकता से अनभिज्ञ होते हैं और अपनी कल्पनाओं में भयंकर चीजें बना लेते हैं। हमें इस पत्थर में असलीता देखनी चाहिए, जो कि वह अपनी दुर्बलता को छिपाने के लिए उपयोग करता है। हमें उसे समझना चाहिए कि हमारी सोच और भावनाएं हमें डरपोक बनाती हैं, न कि पत्थर।”
राजू ने अपने आप से सोचा, “हाँ, सुरेश सही कह रहा है। मेरी सोच, भी डर की वजह से मैंने इस पत्थर को गलत समझा है। मुझे इसे देखने का सही तरीका सीखना चाहिए।”
राजू नदी के किनारे खड़ा होकर वह पत्थर ध्यान से देखने लगा। वह धीरे-धीरे उसके पास जा पहुंचा और उसे हाथों में उठाकर देखने लगा। पहले तो वह थोड़ा घबराया, लेकिन फिर उसने अपने दोस्त के शब्दों को याद करते हुए विश्वास किया। वह देखने लगा कि यह पत्थर सिर्फ एक सामान्य पत्थर है, जो उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता।
राजू ने एक गहरी साँस ली और मुस्कान में बोला, “सुरेश, आपने सही कहा था! यह पत्थर सिर्फ अपनी दुर्बलता छिपाने के लिए यहां है। मैं अपने डरों के कारण इसे बहुत लंबे समय तक डरपोक मानता रहा। पर अब मैं समझ गया हूँ कि हमें अपनी सोच बदलनी चाहिए, न कि चीजों को गलत समझना। धन्यवाद, सुरेश, जो आपने मुझे इस सच्चाई को समझाया।”
moral stories in hindi वाली इस कहानी से हमें के सिख मिली?
इस कहानी से हमें यह सबक सिखाया जाता है कि हमें डरों से नहीं, अपनी सोचों और भावन और उनके प्रभाव से डरना चाहिए। हमारी सोच हमारे जीवन को आकर्षित या डरपोक बना सकती है। हमें विचार करना चाहिए कि क्या हम वास्तव में सही तरीके से देख रहे हैं या किसी भ्रम में उलझे हुए हैं। डर हमें अनुचित सीमित कर सकता है और हमारी उन्नति और आत्मविश्वास को रोक सकता है।
इस कहानी के माध्यम से हमें यह भी सिखाया जाता है कि हमें दूसरों के विचारों और अनुभवों का सम्मान करना चाहिए। सुरेश ने राजू को सही दिशा में प्रेरित किया और उसे सच्चाई का पता चला। हमें दूसरों की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए और उनसे सीखने की क्षमता रखनी चाहिए।
डरपोक पत्थर की कहानी बच्चों को यह समझाती है कि डर केवल हमारी सोचों का उत्पाद होता है और हमें उसे पार करने का साहस दिखाना चाहिए। हमें अपनी सामर्थ्य पर विश्वास करना चाहिए और डर के साथ नहीं, वीरता और साहस के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
इसलिए, हमें डरपोक पत्थर की कहानी से यह महत्वपूर्ण संदेश मिलता है कि हमें अपनी सोच को परिवर्तित करने और सच्चाई को स्वीकार करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए। हमें डर को चुनौती देनी चाहिए और अपने संघर्षों के माध्यम से अपनी प्रगति करनी चाहिए। हमारे आसपास की चीजों को सही रूप से समझने की क्षमता हमें सशक्त बनाती है।
इस प्रकार, “डरपोक पत्थर” कहानी बच्चों को न केवल मनोरंजन प्रदान करती है, बल्कि उन्हें सोचने का और साहसिक होने का मार्ग दिखाती है। यह कहानी उनकी आत्मविश्वास को बढ़ाती है और उन्हें अपने डरों को परास्त करने की प्रेरणा प्रदान करती है।
कौआ और कोयल की कहानी top 10 moral stories in hindi
एक समय की बात है, एक जंगल में एक कौआ और एक कोयल रहते थे। वे दोनों अच्छे दोस्त थे और हमेशा साथ में घूमते थे। परंतु वे दोनों आपस में बहुत अलग-अलग थे।
कौआ हमेशा शोर मचाता रहता था। वह ऊंची आवाज़ में गाना गाता था और सभी के सामने अपनी प्रतिभा दिखाता था। वह अपनी खूबसूरत आवाज़ के लिए प्रशंसा पाना चाहता था। वह हर किसी के सामने उभरना चाहता था और अपनी महत्ता दिखाना चाहता था। यह उसकी आदत बन गई थी और वह इसे नहीं छोड़ना चाहता था।
वहीं कोयल बहुत शांत और नम्र थी। वह अपनी मधुर आवाज़ से सिर्फ अपनी मधुरता को बांटना चाहती थी। वह जंगल में बसंत आते ही अपना गाना गाने लगती थी और सभी उसकी मधुरता का आनंद लेते थे। वह हमेशा खुश रहती थी और अपने गाने से जंगल को सुंदरता और खुशी प्रदान करती थी।
एक दिन, कौआ और कोयल मिले और वे अपनी आदतों के बारे में बात करने लगे।
कौआ को अपनी आवाज़ की प्रशंसा करने की आदत थी और उसने कोयल से कहा, “तूने मेरे गाने को सुना है? मेरी आवाज़ कितनी खूबसूरत है और सभी लोग मुझे प्रशंसा करते हैं।”
कोयल नम्रता से मुस्कराई और उत्तर दिया, “हाँ, मैंने तुम्हारे गाने को सुना है और वह वास्तव में बहुत अच्छा है। तुम्हारी आवाज़ में खास मग्नेटिज़म है जो लोगों को आकर्षित करता है।”
कौआ गर्व से सिर ऊंचा करते हुए कहा, “हाँ, मैं यह जानता हूँ। मेरी आवाज़ सबसे अलग है और मैं इसे नहीं छोड़ना चाहता।”
कोयल धीरे से कही, “तुम्हारी आवाज़ खास है, लेकिन क्या तुम सोचते हो कि बिना शोर किए भी तुम महत्त्वपूर्ण हो सकते हो? मेरी आवाज़ सुंदर होने के बावजूद शांत होती है और लोग मेरे गाने का आनंद लेते हैं।”
कौआ कुछ चिंतित हो गया और विचारमग्न होकर कहा, “तू सही कह रही है, कोयल। शांति और मधुरता में भी एक खूबी है।”
कोयल मुस्कराई और बोली
“हाँ, कौआ, और यही खूबी हम में अलग करती है। हम दोनों अपनी अनोखी पहचान रखते हैं और अपनी खासियतों के माध्यम से जंगल को सुंदर बनाते हैं।”
कौआ गहरे सोच में डूब गया और ज्ञानवान विचारों से बोला, “तूने मुझे एक महत्वपूर्ण सीख सिखाई है, कोयल। वास्तव में महत्वपूर्ण नहीं है कि हम ध्वनि में कितना शोर मचाते हैं, बल्कि यह कि हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें सच्चाई और मधुरता होनी चाहिए।”
दोस्तों के बीच यह बातें समझाने के बाद, कौआ और कोयल एक दूसरे का सम्मान करने और उनकी अनोखी पहचान को स्वीकार करने लगे। कौआ अब अपनी आवाज़ को बस एक माध्यम के रूप में देखने लगा, जो उसे औरों की खुशियों में योगदान देने के लिए होता था। कोयल भी अपनी मधुर आवाज़ को और ज्यादा सुंदरता के साथ सुनाने लगी, जो लोगों के दिलों को छूने के लिए होती थी।
जंगल में दोस्ती का यह नया संगीत फैलने लगा और सभी जानवर इसे प्यार करने लगे। उनकी मधुर गायन से जंगल में सुकून और शांति की वातावरण छानी लगी। सभी जानवर अब अपनी अपनी खासियतों को मानने लगे और उसे संगीत के माध्यम से व्यक्त करने का महत्व समझने लगे।
कौआ और कोयल ने साथ मिलकर जंगल के बाकी जानवरों को इस सन्देश को पहुंचाने का निर्णय लिया। वे जंगल में एक गाना मिलाप का आयोजन करने की सोचा, जिसमें सभी जानवर अपनी-अपनी आवाज़ों को मिलाकर एक सुंदर और मधुर महासंगीत गाएंगे।
आयोजन के दिन, सभी जानवर एकत्र हुए और एक साथ गाने लगे। कौआ, कोयल, हिरण, बंदर, बगीचे के पक्षी, और बहुत से अन्य जानवर अपनी-अपनी खासियतों के साथ मिलकर एक साथ ध्वनि का जलवा दिखाने लगे। वे एकजुट होकर सुंदरता और संगीत की महिमा को प्रकट करते हुए जंगल में आदर्श सांगीतिक वातावरण सृजित कर गए।
यह आयोजन जंगल की हर दिशा में गूंज उठा और सभी जानवर ने संगीत के माध्यम से एक-दूसरे का सम्मान किया। सभी जानवर एक दूसरे की आवाज़ को आदर्शता से सुनने लगे और प्रतिस्पर्धा या ईर्ष्या के बजाय सहयोग और समर्थन का माहौल बना। यह संगीतिक महासंगीत एक अद्वितीय रूप में जंगल की एकता को प्रकट करता था।
इस घटना से कौआ और कोयल ने एक महत्वपूर्ण सीख हासिल की। उन्होंने समझा कि सच्ची महिमा और सुंदरता वास्तव में ध्वनि के शोर से नहीं, बल्कि अपनी विशेषताओं को मधुरता और समर्पण के साथ व्यक्त करने में होती है। उन्होंने सहयोग और समर्थन के महत्व को समझा और देखा कि संगठनशीलता और एकता के माध्यम से अद्वितीयता की प्राप्ति संभव होती है।
जंगल में उनकी दोस्ती ने एक नया संगीतिक आयाम स्थापित किया और सभी जानवरों को एक साथ जोड़ा, जहां हर कोई अपनी-अपनी मधुर आवाज़ और विशेषताओं के साथ चमक सकता था। वे सबको यह सिखाने लगे कि हर एक का योगदान महत्वपूर्ण है और हर एक की आवाज़ अपनी-अपनी महिमा लेती है।
प्रकृति के एक छोटे-से तारों के रूप में जैसे दोस्ती ने चमक दिया था, वैसे ही कौआ और कोयल का अपने जीवन में एक नया अध्याय आरंभ हुआ। वे दूसरे जानवरों के भीतर मधुरता, सहयोग, और संगठनशीलता की महत्वपूर्णता को प्रशंसा और प्रचार करने लगे।
कौआ और कोयल ने अपनी दोस्ती के माध्यम से बच्चों को एक महत्वपूर्ण संदेश भी सिखाया। उन्होंने बताया कि सच्ची ताकत और महिमा वही होती है जो अपने विशेष गुणों को समर्पित कर देते हैं और दूसरों की मदद और सहयोग करते हैं। इससे बच्चों को यह अनुभव हुआ कि सफलता और संगीतिकता का आदान-प्रदान सिर्फ शोर और गर्व से नहीं होता है, बल्कि मधुरता, सहयोग, और एकजुटता के साथ होता है।
इस रूप में, कौआ और कोयल की कहानी बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश प्रदान करती है। यह सिखाती है कि शोर और ध्वनि के अलावा अपनी विशेषताओं, मधुरता, और सहयोग का उपयोग करके हम अपनी महिमा को बढ़ा सकते हैं। जिनका कोई मुकाबला नहीं हैं।
ऊँट और गीदड़ top 10 moral stories in hindi
एक गहरे जंगल में एक ऊँट और एक गीदड़ रहते थे। ऊँट एक बड़ा, मजबूत और दृढ़-संकल्पी जानवर था। वह दिनभर जंगल में घास चबाते, पानी पीते और बिना किसी चिंता के अपनी जिंदगी जीता था। वह अपनी मजबूती को देखकर गर्व करता था।
वहीं, गीदड़ एक चालाक, तेज-दिमाग और चुटकुला-बाज जानवर था। वह रात के समय सक्रिय होता था और छोटे-छोटे जानवरों का शिकार करने के लिए अपनी चालाकियों का इस्तेमाल करता था।
एक दिन, ऊँट और गीदड़ एक नदी के पास एक जगह पर मिले। उन्होंने एक-दूसरे को नमस्ते किया और बातचीत शुरू हुई। ऊँट ने गीदड़ के बारे में पूछा, “तुम रातों में इतनी चालाकियां क्यों करते हो? क्या तुम खुद को बहुत ही शानदार समझते हो?”
गीदड़ एक मुस्कान देते हुए बोला, “हाँ, मैं अपनी चालाकियों पर गर्व करता हूँ। मुझे रातों में जब अंधेरा होता है, तब मैं अपनी तेज दिमागी गतिविद्या जारी रखता हूँ।
गीदड़ ने कहा
“मैं रातों में जब अंधेरा होता है, तब मैं अपनी तेज दिमागी गतिविधियों का इस्तेमाल करके छोटे-छोटे जानवरों का शिकार करता हूँ। यह मुझे खुशी और संतुष्टि देता है क्योंकि यह मेरी स्वभाविक प्रकृति है।”
ऊँट ने सोचा और फिर कहा
“तुम्हारी चालाकियां तो बेशक बहुत अद्भुत हैं, लेकिन क्या तुमने कभी सोचा है कि यह तुम्हारे कर्तव्यों के संदर्भ में न्यायसंगत है या नहीं?”
गीदड़ थोड़ी देर तक चिंतित रहा और फिर उसने कहा
“मुझे यह सोचना चाहिए कि मेरी चालाकियां दूसरों को किस तरह प्रभावित कर रही हैं। क्या वे इससे पीड़ित हो रहे हैं या मेरे कार्यों से किसी का नुकसान हो रहा है?”
गीदड़ के शब्दों ने ऊँट को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने अपनी मजबूती, सामर्थ्य और धैर्य का उपयोग करके विचार किया। फिर उसने कहा, “मैं चाहता हूँ कि मैं अपने कर्तव्यों को संवेदनशीलता और उच्चतम मानदंडों के अनुसार पालन करूँ।
मैं जानवरों के साथ अनुशासनपूर्वक और न्यायसंगत रूप से व्यवहार करूँगा और उन्हें अपनी संवेदनाओं और कर्तव्यों के बारे में समझाऊंगा। मैं उन्हें बताऊँगा कि उनका कार्य क्या है और उन्हें न्यायसंगत रूप से संभालने के लिए प्रेरित करूँगा।”
गीदड़ ने ऊँट के इस प्रतिनिधित्व को स्वीकार करते हुए कहा, “तुमने बहुत ही उच्च मानकों की बातें कही हैं और मुझे खुशी है कि तुम मेरी बात सुनने के लिए तैयार थे। अब हम साथ मिलकर इन मानकों का पालन करेंगे और एक बेहतर जीवन जीते हैं।”
इस तरह ऊँट और गीदड़ एक दूसरे के साथ न्यायसंगत रूप से व्यवहार करना सीख गए थे। वे दोनों ने एक-दूसरे के साथ एक न्यायसंगत और उच्च मानकों पर आधारित रिश्ता बनाया था।
ऊँट और गीदड़ की यह नई समझौता उन्हें न केवल अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत बनाती थी, बल्कि इससे उनके आस-पास के जीवों को भी फायदा पहुंचता था। ऊँट और गीदड़ ने मिलकर जंगल में शांति और सदभाव की भावना फैलाई। वे दूसरे जानवरों को आपसी सहयोग के महत्व के बारे में शिक्षा देने लगे।
उनकी आपसी मित्रता और सहयोग द्वारा, ऊँट और गीदड़ ने जंगल के सभी जीवों को एक साथ आराम, सुरक्षा, और खुशहाली की अनुभूति दिलाई। उनका प्रयास था कि जंगल का संतुलन बनाए रखा जाए और हर जीव में आदर्श गुण विकसित हों।
moral stories in हिंदी इस कहानी से हमें क्या सिख मिला?
यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता और सहयोग न केवल हमारे स्वयं के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे हमारे आस-पास के जीव जंतुओं के लिए भी उत्कृष्टता और खुशहाली की वजह बनते हैं। यदि हम सभी एक-दूसरे के साथ मित्रता, सहयोग, और सद्भाव का आदान-प्रदान करें, तो हम सब मिलकर एक बेहतर और समृद्ध स
बहुत समय पहले की बात है, एक हाथी एक गांव में अकेले ही आई। उसे उस गांव के दरबार में लाया गया और वह राजा के सामने खड़ा हुआ। राजा ने उसे देखकर अपने दरबार को आदेश दिया, “इस हाथी को घोड़े की सवारी के लिए बनाओ। उसे शानदार बन्दरगाह में ले जाओ और वहाँ बसा दो।”
राजा के आदेश पर एक दर्जी को भेजा गया जो हाथी की सवारी के लिए कपड़े तैयार करने का काम करता था। दरजी ने हाथी के आसपास खड़े लोगों को गर्मी से बचाने के लिए कई कपड़े बनाए। वह उनको बंधने के लिए व्यापक ढंग से कैम्प दिया गया।
अब हांथी अंतिम रूप में, हाथी एक मजबूत, रंगीन और सुंदर सवारी बन गया।
एक बार जब सभी तैयार हो गए, हाथी ने अपनी सवारी पर सवार होकर अपना चालचित्र शुरू किया। दरजी को बहुत गर्व महसूस हुआ जब उसने देखा कि उसका काम लोगों को खुशी और प्रसन्नता दे रहा है। हाथी ने उच्च गर्व के साथ दरजी के पास खड़ा होकर कहा,
“धन्यवाद, जब उस दिन हाथी और दर्जी ने अपनी सवारी को नगर में चलाया, लोग बहुत प्रशंसा करने लगे। उनके काम करने के आदर्श और मेहनत ने सबके दिलों में ठान लिया था। हर कोई उनकी सवारी की ओर देखता और आश्चर्यचकित हो जाता।
दरजी ने अपने दोस्तों के साथ खुशी से उसे दिखाया और उन्हें अपने कौशल का गर्व महसूस किया। वह देखा कि उसका मेहनती काम लोगों के जीवन में एक बदलाव ला रहा था।
हाथी और दर्ज़ी के कहानी से हमें क्या सिख मिला?
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमारे द्वारा किए गए कार्य और कौशल से हमें आनंद मिलता है, लेकिन हमें इसका गर्व नहीं होना चाहिए। गर्व के साथ हमें अपने काम को सच्ची समझना और अपने कौशल का उपयोग अल्पसंख्यकों की सहायता के लिए करना चाहिए। हमें उनके प्रति सहयोग और आदर्श के प्रति सत्यता और समर्पण की आवश्यकता होती है।
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपनी क्षमताओं का आदर करना चाहिए, लेकिन हमें दूसरों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। हमें दूसरो द्वारा देखा गया होना चाहिए और उनके साथ सहयोग और समर्पण करना चाहिए। एकजुट होकर हम सामरिकता की ओर बढ़ सकते हैं और आपस में आदर्श बना सकते हैं।
हाथी और दरजी की यह कहानी हमें एक साथीपन और सहयोग की महत्वपूर्णता सिखाती है। हमें अपने कौशल का सदुपयोग करना चाहिए, लेकिन वह सिर्फ अपने लाभ के लिए नहीं होना चाहिए। हमें अपनी सामरिकता और उन्नति के लिए समर्पित होना चाहिए, साथ ही सभी को लाभ पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए।
इस कहानी के माध्यम से हमें यह भी याद रखना चाहिए कि समर्थन और सहयोग किसी भी संघर्ष को पार करने का कुशलतापूर्वक रास्ता हो सकता है। जब हम एकजुट होते हैं, तो हमारी ताकत और सामरिकता बढ़ती है, और हम सभी कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
इस रूप में, हाथी और दरजी की कहानी हमें उदाहरण प्रदान करती है कि हमारी साथीपन, सहयोग और मेहनत हमें सफलता और समृद्धि की ओर ले जा सकती है।
हाथी और रस्सी की कहानी बच्चो के लिए moral stories in hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक हाथी बसा था। यह हाथी बहुत शांत और मित्रभावी था, लेकिन एक दिन यह अपने आप को एक बड़ी रस्सी से जकड़ा पाया। रस्सी उसे जंगल के बाहर खींच रही थी।
हाथी ने जब यह देखा कि वह जकड़ नहीं पा रहा है, तो उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया। लेकिन रस्सी उसे खींच रही थी और हाथी की चेष्टा व्यर्थ हो रही थी। हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह रस्सी से मुक्त नहीं हो पा रहा था।
तब एक चिड़िया ने उसे देखा और दुखी होकर पास आई। वह कहा, “हाथी भगवान की सृष्टि का एक आश्चर्य है। तुम इतनी ताकतवर होते हुए भी इस छोटी सी रस्सी को नहीं तोड़ सकते।”
हाथी ने विचार किया और चिड़िया के बात पर गौर किया। उसने अपनी सोच बदली और उसने चिढ़िया की सलाह मानी। हाथी ने जमीन पर बैठ कर एक पूरी शक्ति से पुल खींचने की कोशिश की। इस बार रस्सी तोड़कर हाथी के साथ सँभल गयी।
हाथी स्वतंत्रता का आनंद लेते हुए जंगल की ओर चला। उसने चिड़िया को धन्यवाद दिया और कहा, “तुमने मुझे सचमुच मुक्ति दिलाई है। मैं आभारी हूँ।”
चिड़िया ने हाथी को धीरे से हंसते हुए कहा, “हाथी भगवान ने तुम्हें इतनी ताकत प्रदान की है, लेकिन तुम्हें स्वयं को उससे ज्यादा मजबूत दिखाना चाहिए। तुम इस रस्सी को छोड़ने के लिए अपनी अनंत शक्ति का उपयोग कर सकते थे।”
हाथी चिड़िया के वचनों से प्रेरित हुआ और सोचा, “चिड़िया सही कह रही है। मुझे खुद पर विश्वास रखना चाहिए और अपनी सत्ता का उपयोग करना चाहिए।”
अगले दिन, हाथी फिर से वही रस्सी मुक्त करने के लिए लौटा। लेकिन इस बार वह बिल्कुल नये तरीके से काम करने का निर्णय लिया। हाथी ने धीरे-धीरे पीछे की ओर चलना शुरू किया, जबकि रस्सी अगली ओर खींच रही थी। इस बार हाथी ने एक नदी के पास आकर रस्सी को एक बड़े पेड़ के साथ बाँध दिया।
यहां पर, बाँधी गई रस्सी को देखकर हाथी खुश हुआ। वह चिड़िया के पास गया और बड़े आनंद से बोला, “देखो, मैंने रस्सी को मुक्त कर दिया है! तुम्हारी सलाह ने मेरी मदद की है।”
चिड़िया ने प्यार से हँसते हुए कहा, “हाथी, तुमने अपनी सत्ता और बुद्धिमानी का उपयोग करके यह कर दिया है। तुम बहुत साहसिक और बुद्धिमान हो। जीवन में हमेशा अपने अंदर की ताकत को महसूस करो और इसे सही समय पर उपयोग करें।”
हाथी ने चिड़िया की सलाह ध्यान से सुनी और आत्मविश्वास से भरा हुआ था। वह अब नहीं भूला कि उसकी असीम शक्ति को सही ढंग से नियंत्रित करके वह किसी भी काम को संपादित कर सकता है।
हाथी और रस्सी वाली कहानी से हमें क्या सिख मिला ?
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि हमारी सत्ता और क्षमता का हमेशा सचमुची पहचान होनी चाहिए। हमें खुद पर और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए, और जब भी जरूरत हो, हमें उन्हें सचमुची और उपयोगी ढंग से प्रयोग करना चाहिए।
एक छोटी सी रस्सी ने हाथी को परेशान हो सकती थी लेकिन हांथी ने अपने सोच और समय का फायदा उठाते हुए रस्सी को चारों ओर से देखने और समझने का प्रयास किया। वह जानना चाहता था कि रस्सी कैसे और कहाँ से जकड़ी गई है।
हाथी ने अपनी पूरी बुद्धिमानी का इस्तेमाल करते हुए रस्सी के पीछे जाने का निर्णय लिया। उसने धीरे-धीरे चलते हुए रस्सी की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया और धीरे-धीरे रस्सी के जड़ में एक बड़ी पत्थर देखी। हाथी ने जब ध्यानपूर्वक विचार किया, तो उसे यह लगा कि उस पत्थर ने रस्सी को जकड़ लिया है।
हाथी ने अपनी ताकत का सही इस्तेमाल करते हुए वह पत्थर उठाकर दूसरी ओर रख दिया, जिससे रस्सी मुक्त हो गई। हाथी खुशी से उसी दिशा में अग्रसर हो गया जहाँ उसने चिड़िया को पहली बार देखा था।
चिड़िया ने कहा हांथी से
तुम अपना पहचान और सत्ता का अद्यतन कर रखा है। तुमने अपनी क्षमताओं को पहचाना है और अपने अंदर की असीम शक्ति का उपयोग किया है।”
हाथी चिड़िया के वचनों को गले लगाते हुए बोला, “धन्यवाद, चिड़िया। तुम्हारी सलाह ने मेरी आंतरिक शक्तियों को जगाया है और मुझे अपनी सच्ची पहचान दिलाई है। अब से मैं अपनी शक्तियों को और विश्वास को संतुलित ढंग से उपयोग करूंगा।”
यह घटनाक्रम हाथी के जीवन में बड़ा मोड़ था। वह सभी को यह सिखाती थी कि हमारी सत्ता और क्षमता की सही पहचान हमारे अंदर होनी चाहिए और हमें उन्हें सही ढंग से उपयोग करना चाहिए। हाथी ने जीवन में यह समझा कि हमेशा आत्मविश्वास रखें, स्वयं को प्रशंसा दें, और समस्याओं का सामना करने के लिए बुद्धिमानी का उपयोग करें।
10 moral stories in hindi for kids के इस हांथी और रस्सी के कहानी से हमें क्या सिख मिला?
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी चुनौती का सामना करते समय अपनी सच्ची पहचान और सत्ता स्वीकार करनी चाहिए। हमारी सामरिक, बौद्धिक, और आत्मिक क्षमताओं को सही ढंग से उपयोग करके हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
हाथी ने अपनी सत्ता का प्रयोग करके न केवल अपने लिए बल्कि रस्सी को भी मुक्त किया। इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमारी सच्ची शक्ति सिर्फ हमारे लिए ही नहीं होती है, बल्कि हमें उसे दूसरों की सहायता में उपयोग करना चाहिए।
भालू और दो दोस्त की कहानी 10 moral stories in hindi
एक जंगल में एक भालू रहता था। वह बहुत ही मस्तिष्कषाली और मित्रभावी था। उसके पास दो अच्छे दोस्त थे – एक गीदड़ और एक खरगोश। वे तीनों हर दिन मिलकर जंगल में खेलने जाते थे और एक-दूसरे के साथ बहुत मज़े करते थे।
एक बार भालू, गीदड़ और खरगोश ने एक खेल खेलने का निर्णय लिया। वे सोचे कि वे जंगल के पास एक पहाड़ी पर चढ़ेंगे और वहां अपना खेल खेलेंगे। इससे पहले कि वे पहाड़ी की ओर चले, भालू ने दोस्तों को बताया कि यह खेल उनके शरीर को बहुत स्वस्थ बनाएगा और उन्हें ताजगी देगा। दोस्त खुश हो गए और अभी चलने के लिए तैयार हो गए।
जब वे पहाड़ी के ऊपर पहुंचे, तो भालू ने कहा, “चलो दोस्तों, हम आज क्रीड़ा का नियम बदलते हैं। हमें पहाड़ी के ऊपर एक स्पर्श करना होगा और सबसे पहले नीचे पहुंचने वाला विजेता होगा।” यह सुनकर गीदड़ और खरगोश खुश हुए और खेल की शुरुआत कर दी।
गीदड़ और खरगोश तेजी से दौड़ने लगे। वे एक-दूसरे को पीछे छोड़ने के लिए आपस में मुकाबला करने लगे। भालू धीरे-धीरे उठते हुए पहाड़ी की ओर चल पड़ा। वह जानता था कि उसकी धीमी चाल और बड़े साहस के कारण उसे शायद जीत नहीं मिलेगी, लेकिन उसका मुख्य उद्देश्य था दोस्तों की सुरक्षा और संतुष्टि का सामर्थ्य दिखाना।
गीदड़ और खरगोश दौड़ते-दौड़ते पहाड़ी के ऊपर पहुंच गए, लेकिन दौड़ में वे थक गए और व्याकुल दिखाई देने लगे। दौड़ने की गति बढ़ाने के बजाय, उन्होंने एक छोटी सी रणनीति बनाई। वे समझ गए कि अगर वे आपस में मिलकर दौड़ते रहेंगे, तो उनका संयोग और तालमेल मजबूत होगा।
इस प्रकार, गीदड़ और खरगोश एक साथ मिलकर दौड़ते रहे और आपस में मजबूत जोड़ बनाए रखा। वे नीचे आते वक्त अपनी एकजुटता का लाभ उठा सके।
जब उन्होंने पहाड़ी के नीचे पहुंचा, तो भालू खुशी से उनका स्वागत करता हुआ बोला, “बहुत बढ़िया, मेरे दोस्तों! तुम दोनों ने अद्वितीय सामरिक योग्यता और टीमवर्क का प्रदर्शन किया है। तुम्हारी मेहनत और साथीत्व की वजह से हम सभी अपना खेल समाप्त कर सकते हैं।”
गीदड़ और खरगोश खुशी से हंसते हुए भालू के पास आए और एक-दूसरे को बधाई देते हुए बोले, “धन्यवाद, भालू! तुम्हारा संयोग हमें विजयी बना दिया। तुम्हारी सहायता के बिना हम यह काम नहीं कर सकते थे।”
भालू ने अपनी दोस्तों को आलिंगन दिया और कहा, “तुम दोनों हमेशा मेरे प्रिय और विश्वासपात्र मित्र रहोगे। हम सब मिलकर अनेक कठिनाइयों को पार कर सकते हैं, क्योंकि हमारी मित्रता अद्वितीय है।”
इस 10 moral stories in hindi for kids वाली कहानी से हमें क्या सिख मिला?
इस कहानी से हमें यह संदेश मिलता है कि मित्रता और सहयोग सच्चे मित्रों के बीच महत्वपूर्ण होते हैं। जब हम एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, तो हम अपनी समस्याओं को आसानी से हल कर पाते हैं। आप सब अच्छी तरह से जानते हैं की एकता में बल होता हैं।
चींटी और कबूतर का कहानी moral stories in hindi for kids
एक बार की बात है, एक जंगल में एक चींटी और एक कबूतर अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ में घूमने जाते थे और एक-दूसरे के साथ खेलते थे। दोनों की दोस्ती जंगल के बाकी जानवरों के बीच अनोखी थी।
एक दिन, चींटी और कबूतर ने एक यात्रा की योजना बनाई। उन्होंने सोचा कि वे जंगल के ऊँचे-नीचे वृक्षों पर घूमेंगे और खुद को आनंददायक अनुभव करेंगे।
वे वृक्षों पर उड़ते हुए आसमान में बहुत मजे कर रहे थे। चींटी उच्चतम शाखा पर जाती और उच्च से नीचे लटकती हुई तारों को पकड़ने की कोशिश करती थी, जबकि कबूतर जोरदार पंखों की मदद से आसमान में उड़ जाता था और आसमान के ऊपरी सीमा को छूने का कबूतर बहुत आनंद लेता था।
वे अपने अनुभवों को एक-दूसरे के साथ साझा करते और हंसते रहते थे। इस बीच, चींटी ने एक बड़े और मजबूत वृक्ष की शाखा पर आकर ठहरने का फैसला किया, जबकि कबूतर ऊँची उड़ान भर रहा था।
चींटी ने वृक्ष की शाखा पर ठहरते ही उसका ध्यान एक चिड़िया के घोसला पर गिरा। चींटी ने खुशी से कबूतर को बुलाया और कहा, “देखो, मेरे बिल में एक नया सदस्य हुआ है! हम इसे बचाने के लिए कुछ कर सकते हैं?”
कबूतर भी चिड़िया के नेस की ओर देखने लगा और कहा, “तुम सही कह रही हो, यह चिड़िया अपना घोसला बनाने में व्यस्त लग रही है। हमें उसकी मदद करनी चाहिए।”
चींटी और कबूतर मिलकर चिड़िया के पास उड़े और अपने बारे में बात किया। वे चिड़िया की समस्या समझ गए और उसे अपनी साथी के पास ले जाने का प्रस्ताव रखे। चिड़िया आभारी हो गई और उनके साथ उड़ गई।
तीनों जंगल में घूमते रहे और मनोरंजन करते रहे। चिड़िया ने दिखाया कि वह उच्चतम शाखाओं पर कैसे उड़ सकती है और चींटी और कबूतर ने अपने आकार के बावजूद आसमान के नीचे की चीजों में कैसे रंगरलियाँ कर सकते हैं।
अब कबूतर और चिड़िया साथ में चींटी भी रहने लगी कबूतर और चिड़िया तो आसमान में उड़ जाता था लेकिन चींटी नहीं उड़ पाती थी लेकिन कबूतर चिड़िया का बहुत गहरा मित्र था उसने चींटी को अपने ऊपर बैठकर उड़ जाता था और चिड़िया को भी आसमान का आन्नद मिल जाता था।
जंगल के जीवों के बीच भी मित्रता और सहयोग से बड़ी चीजें हो सकती हैं। चींटी, कबूतर और चिड़िया का एक-दूसरे के साथ मजबूत बंधन उनकी साथीत्व और विश्वास को दिखाता है। वे एक दूसरे के साथ मेहनत करते हैं, साथीत्व और सहयोग करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। इस तरह की ताकत उन्हें हर मुश्किल से निपटने की क्षमता प्रदान करती है।
moral stories in hindi for kids वाली कहानी हमें सिखाती है कि मित्रता और सहयोग की गहरी मूल्य रखती हैं। जब हम दूसरों की मदद करते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, तो हम अपनी समस्याओं को आसानी से हल कर सकते हैं और अच्छी प्रगति कर सकते हैं।
चींटी, कबूतर और चिड़िया ने जंगल में अद्वितीय और स्नेहपूर्ण दोस्ती का निर्माण किया और उनके बीच एक अद्वितीय जोड़ी बन गई। इसे देखकर अन्य जानवर भी प्रेरित हुए और दोस्ती और सहयोग के महत्व को समझने लगे।
चींटी, कबूतर और चिड़िया ने जंगल में दोस्ती के माध्यम से सुख और समृद्धि का अनुभव किया और उनकी जीवन में आनंद और खुशियां बढ़ी। वे साथ में खेलते, उड़ते और एक-दूसरे के साथ आनंद के पलों को साझा करते थे। इससे उनकी मित्रता और विश्वास और भी मजबूत हुई।
एक दिन, जब जंगल में एक आग लग गई, और सभी जानवर डर कर भागने लगे, चींटी, कबूतर और चिड़िया में से प्रत्येक ने एक-दूसरे की मदद की। चींटी ने उन्हें जंगल की सुरक्षित स्थान पर ले जाने में मदद की, कबूतर ने ऊँचाई से आग को देखने और अन्यों को सूचित करने में मदद की, और चिड़िया ने उनकी सुरक्षा के लिए नेस के पास एक सुरक्षित स्थान दिया।
इस आपदा के समय, चींटी, कबूतर और चिड़िया ने दिखाया कि दोस्ती और सहयोग सचमुच महत्वपूर्ण होते हैं। जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं और अपनी शक्तियों को मिलकर उपयोग करते हैं, तो हम किसी भी मुश्किल का सामना करने में समर्थ हो जाते हैं।
जंगल के जीवों ने चींटी, कबूतर और चिड़िया के एकजुट होने को देखा और उनकी मित्रता और सहयोग का सामर्थ्य महसूस किया। इससे दूसरे जानवर भी प्रभावित हुए और उनसे प्रेरणा लेने लगे। वे समय-समय पर मिलकर एक दूसरे की मदद करने लगे और जंगल के सामरिक संतुलन और विकास में अहम भूमिका निभाने लगे।
चींटी, कबूतर और चिड़िया ने संयम, संवेदनशीलता, और विश्वास के साथ एक-दूसरे के बीच रहने का आनंद लिया। उन्होंने देखा कि दोस्ती में समर्पण और सम्मान की भावना रहती है और वे सभी आपस में मिलकर एक मजबूत समुदाय का निर्माण कर सकते हैं।
चींटी और कबूतर की moral stories in hindi कहानी हमें क्या सिखाती हैं?
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची मित्रता का मतलब होता है दूसरों के लिए तत्परता से सेवा करना, सहयोग करना और प्रेम और समर्पण की भावना रखना। यह हमें याद दिलाती है कि जब हम दूसरों की जरूरतों को समझते हैं और उनकी मदद करते हैं, तो हम खुद भी संपूर्णता और संतुष्टि का अनुभव करते हैं।
बारहसिंघा और जंगली कुत्ता के कहानी top 10 moral stories in hindi
एक जंगल में बारहसिंघा और जंगली कुत्ता अपने अलग-अलग रूप में जीवन यापन करते थे। बारहसिंघा एक महान और गर्वित जानवर था, जबकि जंगली कुत्ता एक छूटा और प्रेमी जानवर था।
जंगल में बहुत समय तक एक अच्छी मित्रता थी बारहसिंघा और जंगली कुत्ता के बीच। वे साथ में खेलते, घूमते और अपने अनुभवों को साझा करते थे। दोस्ती के मिलाप होने से उनका जीवन बहुत खुशहाल था।
एक दिन, जब दोनों दोस्त अपने जंगल में घूम रहे थे, उन्होंने एक गंभीर स्थिति का सामना किया। जंगल में एक जाल में फंसा हुआ हुंडाफ़ देखा, जिसकी मदद के बिना वो आगे नहीं बढ़ सकते थे। बारहसिंघा के बाहुबल से जंगली कुत्ता ने फाँसे हुए हुंडाफ़ को छुड़ाया। कुत्ता एवं बारहसिंघा तथा दूसरे जानवरों की मदद से, वे सफलतापूर्वक हुंडाफ़ को रिहा कर दिया।
इस घटना के बाद, बारहसिंघा और जंगली कुत्ता की दोस्ती और आपसी विश्वास में और भी मजबूत हुई। वे अपनी मिलीभगत से एक-दूसरे की मदद करते रहे और एक साथ जंगल के लिए सुरक्षा और सुख की प्राप्ति के लिए काम करते रहे।
बारहसिंघा अपनी शक्ति और विद्यमान सामरिक ज्ञान के साथ जंगल की रक्षा करता था, जबकि जंगली कुत्ता अपनी बुद्धिमत्ता और विशेष गंदगी सूंघने के क्षमता के साथ उन्हें सहायता प्रदान करता था।
यह जोड़ी जंगल के अन्य जानवरों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई। वे दिखाते थे कि जब हम अपनी ताकत और क्षमताओं को मिलाकर काम करते हैं, तो हम जीवन में सफलता और समृद्धि की ओर बढ़ सकते हैं। वे जंगल के लिए सामरिक संतुलन और सद्भाव का प्रतीक बने रहे और अपनी दोस्ती और सहयोग से उनके आसपास के जीवों को प्रेरित करते रहे।
बारहसिंघा और जंगली कुत्ता के top 10 moral stories in hindi वाले इस कहानी से हमें क्या सिख मिला?
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि एक अच्छी मित्रता और सहयोग का महत्व जीवन में अपार होता है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं और उनसे सहयोग प्राप्त करते हैं, तो हम संगठित और शक्तिशाली बन जाते हैं।
हमें यह समझना चाहिए कि मित्रता और सहयोग हमारे आसपास के जीवन को सुंदर और अर्थपूर्ण बनाते हैं। बारहसिंघा और जंगली कुत्ता के जैसे उदाहरण हमें यह बताते हैं कि हम अपने अंदर के गुणों का समुचित उपयोग करके एक-दूसरे की सहायता कर सकते हैं।
जब हम संयम, बुद्धिमत्ता, और सामरिक योग्यता का उपयोग करते हैं, तो हम अपनी प्राकृतिक क्षमताओं को सशक्त बना सकते हैं और अपने पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। यह हमें यह भी दिखाता है कि अलग-अलग व्यक्तियों के समूह में आपसी समझदारी और सहयोग के माध्यम से बहुत कुछ संभव होता है।
पास ले जाते हैं। हमें इस बात का आभास होता है कि समूचा जीवन एक संगठित और संयुक्त यात्रा है, जिसमें हमें अपने अद्वितीय क्षमताओं और संसाधनों को साझा करना चाहिए।
मगरमच्छ और बन्दर के कहानी top 10 moral stories in hindi
एक समय की बात है, एक जंगल में मगरमच्छ और एक बन्दर अपने आपसी दुश्मनी के कारण परेशान रहते थे। वे हमेशा एक-दूसरे के साथ टकराव में रहते थे और उनके बीच में कोई समझौता नहीं हो सकता था। जंगल के अन्य जानवर उन्हें देखकर हंसते थे और इस लड़ाई की वजह से दुखी हो जाते थे।
एक दिन, जब मगरमच्छ और बन्दर फिर से एक दूसरे के साथ मुठभेड़ में लग गए, उन्होंने एक गहरी खाई में गिरने के करीब पड़ा। दोनों की जानकारी के बिना, वे नीचे की ओर गिर पड़े और अचानक खतरे में पड़ गए।
मगरमच्छ और बन्दर ने एक-दूसरे की मदद के बिना सामने का सामना करने की कोशिश की, लेकिन वे जल्दी हार गए। जब उन्होंने अन्य जानवरों की ओर देखा, तो वे देखे कि सभी उनकी मदद के लिए बहुत व्यस्त हैं और उन्हें बचाने की कोई संभावना नहीं थी।
तभी एक साहासिक शेर आया और उन्हें बचाने के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके उन्हें बाहर लाया। मगरमच्छ और बन्दर ने अपनी गलती को समझा और देखा कि उनकी दुश्मनी के बजाय एक-दूसरे की मदद करने से उन्हें ज्यादा लाभ होता है।
वे शेर के लिए आभार व्यक्त करते हुए एक दूसरे के साथ मित्रता बनाने का फैसला किया। अब वे एक साथ खेलते, खाते और मज़े करते थे। उन्होंने समझा कि जब वे मिलकर काम करते हैं, तो उन्हें अधिक बचाव और सुरक्षा मिलती है।
मगरमच्छ और बन्दर अब संयुक्त रूप से जंगल की सुरक्षा करने लगे। मगरमच्छ, जिसकी तेज दांतों और ताकत थी, अपनी गहरी खाई में छिपकर अनुचित घास खाने वाले जानवरों का संकट दूर करता था। साथ ही, बन्दर बुद्धिमानता के साथ चलता था और उन्हें खाने की सामग्री के बारे में जानकारी प्रदान करता था। यह संयोग दूसरे जानवरों को भी प्रेरित करता था और वे सभी एक साथ जंगल के लिए काम करने लगते थे।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में सहयोग, मददगारी और मित्रता का महत्व होता है। अकेले हम किसी भी समस्या का सामना नहीं कर सकते हैं, लेकिन जब हम संयुक्त रूप से काम करते हैं, तो हमारी शक्ति और समर्पण बढ़ते हैं।
बातचीत, समझौता और सहयोग के माध्यम से हम समस्याओं को हल कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, हमारे द्वारा प्रदान की गई मदद और समर्थन हमें उन्नति और सफलता की ओर आगे बढ़ा सकते हैं।
मगरमच्छ और बन्दर की कहानी हमें यह भी दिखाती है कि हमें दूसरों के साथ धैर्य और समझदारी से व्यवहार करना चाहिए। दुश्मनी और टकराव के बजाय, हमें एक-दूसरे की सहायता और समर्थन का संबंध बनाना चाहिए ताकि हम सभी संगठित और खुशहाल जीवन जी सकें।
मगरमच्छ और बन्दर के कहानी से हमें क्या शिक्षा मिला ?
इस moral stories in hindi वाली कहानी से हमें यह भी संदेश मिलता है कि आपसी सहयोग के माध्यम से हम अपने अद्वितीय गुणों का उपयोग कर सकते हैं और एक-दूसरे की कमजोरियों को पूरा कर सकते हैं। हमें दूसरों की सम्पूर्णता को स्वीकारना और एक दूसरे की मदद करने की सम्भावना बरक़रार रखनी चाहिए।