स्टॉक ब्रोकर किसे कहते हैं Broker in Hindi

स्टॉक ब्रोकर या शेयर ब्रोकर (Broker In Hindi) किसे कहते हैं ? इनका क्या कार्य है ?

स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य ही केवल स्टॉक एक्सचेंज में प्रतिभूतियों को क्रय व विक्रय करने के अधिकारी होते हैं। कोई भी अन्य बाहरी व्यक्ति जो किसी स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य नहीं है वहाँ शेयरों या अन्य प्रतिभूतियों का लेन – देन नहीं कर सकता है।

उसे प्रतिभूतियों का लेन – देन केवल अपने फ्रैंचाइज ब्रोकर द्वारा करना पड़ेंगा , जो उस स्टॉक एक्सचेंज का पंजीकृत सदस्य हो। स्टॉक एक्सचेंज के पंजीकृत सदस्य ही ब्रोकर कहलाते हैं।

ये अपने ग्राहक शेयर धारकों के लिये उनके शेयरों के लेन – देन का कार्य करते हैं । इसके लिये वे अपने ग्राहकों से कमीशन या दलाली ( Brokerage ) प्राप्त करते हैं। प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज के सदस्यों की संख्या सीमित होती है।

 

किसी सदस्य ब्रोकर के कार्यमुक्त होने या मृत्यु की दशा में ही नये सदस्य को सदस्यता ग्रहण करने की अनुमति दी जाती है । नये सदस्यों की नियुक्ति Securities Contracts (Regulation) Act , 1956 के अधीन की जाती है । दलाल ( Brokers ) स्टॉक एक्सचेंज पर अपने स्वयं के लिए प्रतिभूतियाँ खरीद व बेच सकता है, साथ ही वह अपने Client शेयर धारकों के लिये भी शेयरों की खरीद व बिक्री कर सकता है।

पहली दशा में वह क्रय – विक्रय से उत्पन्न लाभ या हानि का स्वयं उत्तरदायित्व होताहै , जबकि दूसरी स्थिति में वह अपने Client शेयर धारकों के एजेन्ट ( प्रतिनिधि ) के रूप में कार्य करता है और लेन – देन से हुई लाभ – हानि का उत्तरदायित्व शेयर धारकों (Clients) के ऊपर होता है। ब्रोकर को केवल अपनी सेवाओं के बदले निश्चित कमीशन या दलाली (Brokerage) उसके Clients शेयर धारकों द्वारा दी जाती है। इस प्रकार दलाल निवेशकर्त्ताओं और स्टॉक एक्सचेंज के बीच एक मध्यस्थ का कार्य सम्पादित करता है।

Broker in hindi

दलाल का महत्त्व व कार्य स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों या अन्य प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रय केवल उसके सदस्य दलालों के द्वारा ही किया जाता है। वह अपने Client के लिए उनको प्रतिभूतियों के क्रय – विक्रय के लेन – देन तय करता है। ऐसी स्थिति में वह अपने ग्राहक के आदेशों का निष्ठापूर्वक व त्वरित पालन करता है और उसके द्वारा किये गये प्रतिभूतियों या शेयरों के क्रय – विक्रय से हुए लाभ या हानि का उत्तरदायी उसका ग्राहक होता है।

उसे केवल अपनी सेवाओं के बदले दलाली मिलती है। दलाल को स्टॉक बाजार गतिविधियों की पूर्ण जानकारी होती है। वह प्रतिदिन अपने अनेक ग्राहकों (Clients) के लिए शेयरों की खरीद व बिक्री का कार्य करता है । इसलिए उसे शेयर बाजार का पूर्ण अनुभव होता है जिससे वह समय – समय पर अपने ग्राहकों को लाभान्वित कराता रहता है।

निवेशकर्त्ता को केवल अपने दलाल की सलाह पर ही निर्णय नहीं लेने चाहिए क्योंकि दलाल एक एजेण्ट के रूप में कार्य करता है। वह जितने अधिक शेयरों की खरीद व बिक्री करेगा उसे उतनी ही अधिक दलाली प्राप्त होगी। दलाल का हित केवल उसका कमीशन या दलाली तक ही सीमित होता है लेकिन अधिकांश दलाल अपने ग्राहकों के प्रति निष्ठावान होते है। वे अपने ग्राहक के हित व सन्तुष्टि के लिए कार्य करते हैं।

ऐसी कई प्रतिष्ठित दलाली करने वाली फर्मे हैं जो अपने ग्राहकों को उनके निवेश की सुरक्षा ही नहीं बल्कि उस पर अधिकतम लाभ दिलाने का प्रयत्न करती हैं । इसलिए निवेशकर्त्ता को शेयरों में निवेश करने से पहले दलाल की प्रतिष्ठा , ख्याति व अतीत के बारे में ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए।

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव कभी भी सम्भव है क्योंकि शेयर बाजार के भावों में उतार चढ़ाव, झूठी अफवाहों, गुप्त सूचनाओं व संकेतों के आधार पर होते रहते हैं और दलाल बाजार के इस वातावरण से अवगत रहता है इसलिये ऐसी दशा में दलालों के अनुभव का लाभ उठाकर निवेशकर्त्ता अपने निवेश पर अधिकाधिक लाभ अर्जित कर सकता है लेकिन निवेशकर्त्ता दलाल की सलाह पर ही निर्णय न लेकर स्वयं अपने विवेक का भी प्रयोग करना चाहिए।

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दलाल (Stock Broker In Hindi) के द्वारा स्टॉक मार्केट में शेयर का लेन – देन किस प्रकार किया जाता है ?

दलाल ( Broker ) स्टॉक एक्सचेंज के स्थायी सदस्य होते हैं जो अपने ग्राहक ( Client ) के लिए उनकी प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रय स्टॉक एक्सचेंज में करते हैं । इसके बदले इन्हें निश्चित कमीशन या दलाली मिलती है।

एक नये निवेशकर्त्ता को शेयरों में निवेश करने से पूर्व एक विश्वसनीय दलाल की आवश्यकता होती है। दलाल से व्यक्तिगत भेंट या सम्पर्क से उसकी कार्य प्रणाली , ग्राहकां के प्रति व्यवहार आदि का ज्ञान हो सकता है।

विभिन्न महानगरों व बड़े नगरों में स्थापित स्टॉक एक्सचेंजों के दलालों के बीच व्यापारिक सम्पर्क होता है जिससे वे अपने ग्राहकों के लिए दूसरे स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध ( Listed ) शेयर की खरीद – बिक्री भी करते हैं और ग्राहक भी उचित व अच्छी सेवा प्रदान करते हैं ; उदाहरण के लिए , मुम्बई में स्थित एक दलाल अपने ग्राहक के लिये चेन्नई , कोलकाता , दिल्ली के स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध ( Listed ) शेयरों की खरीद या बिक्री कर सकता है ।

इससे ग्राहक को एक ही दलाल के माध्यम से सभी स्टॉक एक्सचेंजों पर Listed शेयरों का क्रय – विक्रय करने की सुविधा होती है । शेयरों को खरीदना – किसी कम्पनी के नये इश्यू के शेयर खरीदने के लिये निवेशकर्त्ता को सर्वप्रथम अपने दलाल से या इश्यू के लिये नियुक्त दलाल या बैंक की शाखा से शेयर आवेदन – पत्र ( Share application form ) प्राप्त करने होते हैं।

इश्यू के दलाल , व्यापारिक बैंकर ( Merchant bankers ) और बैंक की शाखाओं के नाम कम्पनी द्वारा घोषित विवरण – पत्रिका ( Prospectus ) में प्रकाशित किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त विज्ञापन के माध्यमों से भी कम्पनियाँ वह विवरण निवेशकर्त्ताओं तक पहुँचाती हैं।

इस आवेदन पत्र को भरकर तथा उसके साथ कम्पनी द्वारा माँगी गई धनराशि के चैक को संलग्न करके निवेशकर्त्ता कम्पनी द्वारा संग्रह करने के लिए अधिकृत बैंक की शाखा में जमा कर देता है।

शेयरों का आवंटन एक निश्चित अवधि के बाद कम्पनी करती है । जो निवेशकर्त्ता द्वितीयक बाजार (Secondary market) में पहले से ही सूचीबद्ध शेयरों को खरीदना चाहते हैं उन्हें दलाल को एक ” क्रय आदेश ” ( Buy order ) देना पड़ता है। ‘ क्रय आदेश ‘ में कम्पनी का नाम , शेयरों की संख्या व वह मूल्य , जिस पर निवेशकर्त्ता शेयर खरीदने का इच्छुक हो , आदि देना पड़ता है।

क्रय आदेश दलाल को दो प्रकार से दिया जाता है – प्रथम , यदि निवेशकर्त्ता वर्तमान बाजार मूल्य पर शेयर खरीदने का आदेश दे। द्वितीय , निवेशकर्ता क्रय करने के लिए शेयर का अधिकतम मूल्य निर्धारित करे । ऐसा क्रय आदेश, जिसमें शेयर के क्रय करने का अधिकतम मूल्य दिया हो, “ सीमित आदेश ” कहलाता है।

क्रय आदेश सदैव निवेशकर्ता के निवेश करने के उद्देश्य , वर्तमान बाजार मूल्य एवं दलाल और निवेशकर्त्ता के सम्बन्धों पर निर्धारित होता है। अधिकतर दलाल निवेशकर्त्ता से शेयरों का क्रय – आदेश देते समय शेयरों के मूल्य के बराबर अग्रिम धनराशि प्राप्त कर लेते हैं ।

कुछ दलाल क्रय आदेश के मूल्य का 50 % अग्रिम स्वीकार कर लेते हैं । फिर भी यह दलाल वह उसके ग्राहक Client के सम्बन्धों पर निर्भर करता है । निवेशकर्त्ता ( क्रेता ) का क्रय आदेश व अग्रिम राशि प्राप्त होने पर दलाल उसके आदेश का निष्पादन करता है। अधिकांश आदेश उनकी प्राप्ति की तिथि पर ही निष्पादित किये जाते हैं। इसके लिए दलाल क्रेता ( निवेशकर्त्ता ) को एक अनुबन्ध पत्र ‘ ( Contract note ) भेजता है जिसका आशय निवेशकर्त्ता व दलाल के बीच शेयरों के खरीद के लिय अनुबन्ध से होता है।

अनुबन्ध पत्र में कम्पनी का नाम , पता , शेयरों की संख्या , सुपुर्दगी की तिथि और वह मूल्य, जिस पर शेयर खरीदे गये हैं , का विवरण होता है । मूल्य में प्रायः दलाली भी शामिल होती है। दलाली की दर स्टॉक एक्सचेंज द्वारा निर्धारित की जाती है । साधारणतया दलाली कुल लेन – देन की राशि का 1 % होती है। परन्तु समय व स्थान के अनुसार दलाली में भी अन्तर रहता है।

शेयरों की सुपुर्दगी दलाल को क्रय आदेश की तिथि से दो दिन के भीतर ही हो जानी चाहिए । शेयरों की बिक्री- शेयर बेचने वाला शेयर धारक दलाल को शेयर बिक्री आदेश ‘ प्रस्तुत करेगा । शेयर बिक्री आदेश में दलाल को दो प्रकार के निर्देश दिये जा सकते हैं –

प्रथम, वह शेयरों को अच्छे से अच्छे भाव पर अपने निर्णयानुसार बेच दे। द्वितीय , बिक्री आदेश में शेयरों की कम से कम बिक्री का मूल्य हो। दलाल बिक्री आदेश का निष्पादन करके बेचने वाले को एक अनुबन्ध – पत्र ( Contract note ) प्रस्तुत करेगा जिसमें वह मूल्य है जिस पर शेयर बेचे गये हैं , दिया जाता है। इस मूल्य में से दलाली की राशि दलाल द्वारा घटा ली जाती है। दो सप्ताह के भीतर बेचने वाले को शेयरों की बिक्री का मूल्य अदा कर दिया जाता है।

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एक अच्छे दलाल का चुनाव किस प्रकार करेंगे ?

Broker in hindi
Broker in Hindi

शेयर बाजार में लाभ कमाने के लिये आवश्यक है कि निवेशक को दलाल से अच्छा सहयोग मिले । दलाल में व्यावसायिक सूझ – बूझ का होना बहुत आवश्यक है।

• सामान्यतः जो दलाल अपने लिये भी शेयर खरीदते बेचते हैं वे बाजार अनुभव को अधिक करीब से देख पाते हैं तथा शेयर बेचने व खरीदने के भावों के अन्तर को अच्छी तरह समझते हैं।

सामान्यतः निवेशक चाहते हैं कि दलालों की राशि कम होनी चाहिए। दलाल द्वारा भेजे गये स्टेटमेन्ट आसानी से समझ में आने वाले होने चाहिए तथा दलालों द्वारा शेयरों के बारे में की गयी रिसर्च का फायदा निवेशकों को मिलना चाहिए।

वह दलाल ठीक है जो आपको बार – बार शेयरों की खरीद – बेच के लिए न उकसाए । ऐसा माना जाता है कि अच्छे शेयरों को लम्बी अवधि तक सम्भाल कर रखने में निवेशक को अधिक लाभ होता ह, जबकि बार – बार शेयरों की खरीद बेच में दलाल को।

इसके अलावा आपको अनेक दलालों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं तथा उनके द्वारा ली जाने वाली दलाली की तुलना करनी चाहिए। आपको अपने दलाल के साथ अपनी इन्वेस्टमेंट योजनाओं, भविष्य में धनराशि की आवश्यकता, बचत राशियों की मात्रा, जोखिम का स्तर आदि की भी चर्चा करनी चाहिए ताकि वे आपकी जरूरतों व जोखिम के मुताबिक आपको सही इन्वेस्टमेंट की सलाह दे सकें।

 दलाल का चुनाव करते समय निम्न बातों पर भी ध्यान दें-

  1. क्या दलाल आपके हितों की रक्षा करता है?
  2. क्या उसने आपको कभी बताया कि उसने आपके लिए गलत शेयरों की खरीद – बेच की है?
  3. क्या आपके दलाल द्वारा आपको फोन करने पर आपको उस पर सन्देह होता है?
  4. क्या दलाल आपकी समस्याओं को सुलझाता है व आपके प्रश्नों के उत्तर देता है?
  5. क्या वह आपको आपकी इन्वेस्टमेन्ट्स के बारे में सुझाव देता है या आपके शेयरों के बारे में किये गये अनुसंधान ( रिसर्च ) की जानकारी आपको भेजता है ?
  6. कितना लाभ होता है ? यदि आपके द्वारा शेयरों को खरीद – बेच की मात्रा बढ़ जाती है तो क्या आपका दलाल आपको दलाली में रियायत देता है।

 

शेयर ब्रोकर का चुनाव कैसे करें ?

उत्तर – बीएसई और एनएसई की वेबसाइट पर ब्रोकरों की सूची उपलब्ध है। इसके अलावा ब्रोकर भी अपनी जानकारियाँ अनेक माध्यमों से प्रकाशित करवाते रहते हैं, परन्तु शेयर ब्रोकर का चुनाव करते समय उसका ट्रेक रिकॉर्ड जरूर जान लेना चाहिए और यदि वे आपके घर और ऑफिस के निकट हों तो उसका चयन सुविधाजनक होगा। अब तो अनेक बैंक भी ब्रोकिंग का कारोबार करती हैं। उसमें से किसी को चुना जा सकता है।

 

दलाल से शेयर खरीदते समय किन – किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

शेयर खरीदते समय बहुत सावधानी आवश्यक है। अधिकतर निवेशकों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि शेयर कहाँ से खरीदें एवं इसी कारण जानकारी के अभाव में निवेशक शेयर स्टॉक एक्सचेंज के बाहर से भी खरीद लेते हैं , अतः हमें शेयर खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. शेयर हमेशा परिचित व्यक्ति से खरीदने चाहिए।
  2.  कभी – कभी जानबूझकर शेयर ट्रान्सेक्शन स्लिप ( Transaction Slip ) पर गलत दस्तखत कर दिये जाते हैं। अतः शेयर हमेशा अच्छे एवं विश्वसनीय दलाल से ही खरीदने चाहिए।
  3. शेयर खरीदने पर खरीद की कोई रसीद या बिल आमतौर पर नहीं मिलता है अतः सम्भव हो तो शेयर हमेशा कच्ची रसीद बनवाकर ही खरीदने चाहिए।
  4. शेयरों का भुगतान हमेशा चेक अथवा बैंक ड्राफ्ट से ही करना चाहिए।
  5.  शेयर खरीदते समय ध्यान रखें कि बोनस राइट, लाभांश आदि की निकट भविष्य में प्राप्ति की आशा तो नहीं है। ऐसे में तुरन्त कम्पनी के खातों में शेयर अपने नाम में स्थानान्तरण करावें।

 

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