विधार्थी जीवन का मानव जीवन मे महत्व
essay on discipline in students in hindi आज हम सब विद्यार्थी जीवन पर निबंध लिखेंगे की विधार्थी जीवन में कितना डिसिप्लिंग की जरुरत होता है तथा इससे छात्रों लो कितना फ़ायदा होता है। student life essay in hindi
काक चेष्टा बको ध्यान , श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी गृहत्यागी , विद्यार्थी पंच लक्षणम् । मानव – जीवन में सबसे मधुर , नवीन नवीन कल्पनाओं तथा आशाओं से भरा विद्यार्थी जीवन है। जीवन को जितना उच्च आदर्शों से पूर्ण इस काल में बनाया जा सकता है उतना अन्य किसी काल में नहीं।
विधार्थी जीवन वास्तव में मानव जीवन का बसन्त काल है, क्योंकि इस काल में विचार और भावनाओं के पत्र और पुष्प जीवन – बेल पर विकसित होते हैं । इस समय छात्र अपने कोमल मन और मस्तिष्क को उनकी अंकुरित अवस्था होने के कारण किसी भी दिशा में मोड़ सकता है । अपने विधार्थी जीवन में एक ही तरह से मनुष्य भविष्य निर्माण की तैयारी करता है। जिस प्रकार के संस्कार विधार्थी पर जीवन में पड़ जाते हैं , वे जीवन पर्यन्त रहते हैं।
चरित्र और संगत essay on discipline in students in hindi
यदि अपने विधार्थी जीवन में बालक सावधानी के साथ अपने चरित्र – निर्माण तथा उच्च आदर्शों की ओर ध्यान दे तो वह अवश्य अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल होगा । साथ ही अपने समाज , कुटुम्ब , जाति तथा राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध होगा । विधार्थी समाज को निरन्तर अपनी संगति से सचेष्ट रहना चाहिए क्योंकि संगति का विद्यार्थी पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है।
अन्य लोग किसी के गुण तथा अवगुणों का पता उसकी संगति से ही लगाते हैं। कविवर रहीम कहते हैं रहिमन नीचन संग बसि , लगत कलंक न काहि। दूध कलारिन हाथ लखि, मद समुझहिं सब ताहि। अतः यह स्पष्ट है कि यदि विधार्थी के संगी – साथी , मित्र अच्छे हैं तो अवश्य ही उसके चरित्र में चार चाँद लग जायेंगे अन्यथा मित्रों के दुराचारी, कपटी , चरित्रहीन होने पर अवश्य ही वे पतन की खाई में उसे घसीटकर ले जायेंगे।
जिस मनुष्य ने विधार्थी जीवन को जितना ही पवित्र , सादगी , सच्चरित्रता से व्यतीत किया है वह जीवन में उतना ही ऊँचा उठा है। जब हम गोखले , जवाहरलाल नेहरू , गाँधी , स्वामी रामतीर्थ आदि के जीवन पर दृष्टिपात करते हैं।
तो यह विदित होता है कि इन चमकते हुए रत्नों ने अपने चरित्र को विधार्थी काल में इतना परिमार्जित कर लिया था जिससे कि वे समस्तं विश्व के समक्ष आदर्श चरित्र उपस्थित करने में समर्थ हुए। अस्तु छात्र को अपने मित्रों, वातावरण तथा संगति के प्रति सतर्क रहना चाहिए जिससे कि उनका चरित्र पतन की ओर उन्मुख न हो।
समय का सदुपयोग (essay on discipline in students in hindi)
समय का सदुपयोग, सुन्दर चरित्र , अनुशासन में रहना आदि गुण ऐसे हैं जिनका कि विधार्थी को अपने जीवन में पालन करना चाहिए परन्तु दुःख का विषय है कि आजकल विधार्थी में अनुशासनहीनता, निरंकुशता एवं उच्छृंखलता आदि दुर्गुणों का बाहुल्य देखा जाता है। फलतः गुरुजनों का अपमान , नियमों की अवहेलना, परीक्षा में नकल, हड़ताल करना आदि घटनाओं के समाचार सुनना एक साधारण सी बात हो गयी है। अतएव इन बुरी प्रवृत्तियों को समूल नष्ट करने के लिए विधार्थी को अनुशासन एवं आज्ञा पालन की आवश्यकता है।
स्वतंत्र भारत के विधार्थी (student life essay in hindi)
स्वतन्त्र भारत के लिए स्वस्थ एवं शिक्षित समाज की आवश्यकता है। इसके लिए विधार्थी को समाज सेवा का व्रत लेना चाहिए। जब तक विधार्थी समाज सुधार का व्रत लेकर उस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ेंगे तब तक समाज उत्थान का कार्य दिवा स्वप्न ही बना रहेगा। बालकों को विद्यार्थी जीवन व्यतीत करने के लिए विद्यालयों में भेजने का तात्पर्य यही है कि वे संसार की· प्रत्येक वस्तु से भली – भाँति परिचित हो जायें।
उन्हें पता लग जाये कि मानव – जीवन का उद्देश्य क्या है ? आदर्श जीवन व्यतीत करने के लिए किन – किन बातों की आवश्यकता है- इस प्रकार का ज्ञान अध्यापकों के अध्यापन द्वारा छात्रों को प्राप्त होता है। जो छात्र ध्यानपूर्वक सभी बातों को ग्रहण करते हैं, वे विद्वान होने के साथ श्रेष्ठ जीवन व्यतीत करने के योग्य बन जाते हैं। सबसे अधिक आवश्यकता इस बात की है कि विधार्थी अपने समय का सदुपयोग करें।
प्रायः देखा जाता है कि विधार्थी व्यर्थ की बातों में अपना अमूल्य समय नष्ट करते रहते हैं। उन्हें अध्ययन की , ज्ञान की बातें इतनी प्रिय नहीं लगती हैं जितनी कि चलचित्रों की परिणाम क्या होता है , समय का नाश ! समय के नाश का अर्थ है , जीवन का नाश – विद्यार्थी अध्ययन के घण्टों को अश्लील बातों तथा लड़ने – झगड़ने में नष्ट कर देते हैं और परीक्षाओं में असफल ठोकर मारे – भारे फिरते हैं।
विधार्थी में मिथ्याडम्बरों और झूठी टीम – टाम का दुर्व्यसन भी उनके भावी जीवन को संकटमय बनाता है । किसी कवि के शब्दों में- ” सादा जीवन उच्च विचार ” यही है विधार्थी जीवन का सार बाहरी टीम – टाम के लिए विधार्थी अपने माता – पिता का पैसा पानी की तरह बहाते हैं। उन्हें इस बात की बिल्कुल चिन्ता नहीं कि इस पैसे को कमाने में उनके अभिभावकों को कितना कष्ट उठाना पड़ता है।
मनुष्य की यथार्थ शोभा बाहरी टीम – टाम में न होकर उसके चरित्र तथा आचरण में होती है अतः विधार्थी का मूल लक्ष्य होना चाहिए – सादा जीवन और उच्च विचार ” यही विधार्थी जीवन का सार है । चरित्र – विकास के साथ शारीरिक विकास के लिए व्यायाम भी विधार्थी के लिए आवश्यक है। खेल और व्यायाम से मस्तिष्क की थकान दूर होगी, उसमें स्वाभाविक ओज , साहस और उत्साह बढ़ेगा । अध्ययन की अभिवृद्धि और शरीर में सुन्दर कान्ति का आविर्भाव होगा।
उपसंहार
राष्ट्र की सम्पत्ति वहाँ के नागरिक होते हैं। essay on discipline in students in hindi जिस राष्ट्र के नागरिकों की जैसी दशा होगी वह राष्ट्र भी उसी प्रकार का हो जायेगा । प्रत्येक राष्ट्र की उन्नति के लिए अच्छे एवं योग्य व्यक्तियों की आवश्यकता होती है । अच्छे तथा योग्य नागरिकों का निर्माण विधार्थी जीवन में ही हो सकता है , क्योंकि किसी विद्वान ने कहा है- ” बच्चा मनुष्य का बाप होता है ।
अतः क्या ही उत्तम हो यदि भविष्य की आशा – लता विधार्थीसुन्दर रूप से विकसित होकर अपने राष्ट्र तथा विश्व के कल्याण में योग दें , यही विश्व के कोटि – कोटि जनों के कण्ठों की पुकार है । विधार्थी ही राष्ट्र की अमूल्य सम्पत्ति हैं।