जीवन अस्तर को प्रभावित करने वाले कारक Factor influencing the standard of living
अर्थशास्त्र के अनुसार जीवन अस्तर लचीलापन और दूसरे पर आश्रित या अधारित होने का विचार है। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन अस्तर एक ऐसा जरिया है, जिसमें बहुत लचीलापन होता है, और यह ज्यादातर दूसरे पर आश्रित या आधारित रहता है।
जीवन अस्तर को प्रभावित करने वाले बहुत सारे कारक होते है। जैसे- देश, काल,परिस्थिति, व्यक्तिगत कारक, सोच एवं चिंतन आदि एवं अनेक कारको से प्रभावित होते हैं।. इन कारकों मे प्रमुख निम्नलिखित है।
तो आइये जानते हैं कि हमारे ‘जिवन को प्रभावित करने कौन कौन से कारक है?’ जिनसे हमारे जीवन में बहुत से बधाऐ आती है। कौन कौन से ऐसे कारक है, उनको हम डिटेल से समझेंगे।
1 पारिवारिक पृष्ठभूमि parivarik pristbhumi ‘Family back-ground’
प्रत्येक व्यक्ति का प्रारम्भिक जिवन माता पिता के साथ परिवार मे व्यतित होता है। इस लिए उसके जीवन स्तर पर माता-पिता के जीवन स्तर एवं परिवारिक पृष्ठभूमि का काफी प्रभाव पड़ता है। जन्म से लेकर आत्मनिर्भर होने तक व्यक्ती का पालन पोषण जिन साधनो, वस्तु एवं वातावरण में होता है, व्यक्ती उन उपभोग का आदि हो जाता है। लेकिन आत्मनिर्भर होने पर रुचि, शिक्षा, समाजिक वातावरण, अनुभव आदि के अनुसार व्यक्ती प्रारम्भिक जीवन अस्तर मे सुधार करता है, किंतु प्रारम्भिक संस्कारों की छाप एवं प्रभाव जीवन भर रहती है।
2 आय का स्तर Aay Ka Astar ‘Size of Income’
वर्तमान समय में आय स्तर का जिवन स्तर पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। चुकी जीवन अस्तर उपभोग वाली वस्तुओं से जुड़ा हुआ है और उपभोग अस्तर आय पर निर्भर करता है। इसलिए आय अस्तर जीवन अस्तर को निर्धारित करने मे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
जिस मनुष्य की आय अधिक है वह प्रयाप्त मात्रा में गुणवत्ता युक्त वस्तुओं का उपयोग कर सकता है और जिवन स्तर को ऊँचा उठा सकता है। इसके विपरित जिस व्यक्ती का परिवार की आय अस्तर family income level नीचा है वह चाहते हुए भी हर वस्तु का उपभोग नहीं कर सकता है और जिवन स्तर मे सुधार नहीं कर सकता है।
अभी हम सब ‘जीवन अस्तर को प्रभावित करने वाले कारक’ को यानी ‘Factor influencing the standard of living’ को समझ रहे हैं।
3 शिक्षा,जीवन स्तर को प्रभावित करने वाले कारक ‘Factors affecting education life level’
शिक्षा,जिवन स्तर को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारक है। शिक्षित व्यक्ती अपने सीमित धन का विवेकपूर्ण उपभोग करके जीवन अस्तर मे सुधार ला सकता है। प्रायः हम देखते हैं कि समाज में दो व्यक्तियों या परिवारो की आय सम्मान होते हुए भी शिक्षा मे अन्तर होने पर रहन सहन मे भी अन्तर आ जाता है। अंध विश्वासों के कारण उपभोग विवेकपूर्ण नहीं रहता तथा मादक एवं हानिकारक वस्तुओ पर व्यय कर जीवन स्तर निचा रहता है। इस प्रकार अस्पष्ट कि शिक्षा जिवन स्तर को एक बड़ी सीमा तक प्रभावित करती है।
4 जनसंख्या populations
जनसंख्या उपभोक्ता एवं उत्पादक productive दोनों रूप में अपनी भूमिका अदा करती है। इसलिए परिवार एवं देश के जीवन स्तर निर्धारण मे जनसंख्या महत्वपूर्ण कारक है यदि देश में उत्पादक जनसंख्या कम और उपभोक्ता जनसँख्या अधिक हो तो जीवन स्तर नीचा होगा। इसके अतिरिक्त जनसँख्या की गुणवत्ता अर्थात शिक्षित एवं स्वस्थ जनसंख्या का अनुपात भी जीवन स्तर को प्रभावित करता है ।
किसी परिवार मे यदी कमाने वाले कम और खाने वाले अधिक है तो उसका जीवन स्तर ऊँचा नहीं हो सकता।
5 जिवन के प्रति दृष्टि कोण क्या होना चाहिए? View toward life
प्रत्येक व्यक्ती एवं समाज का जिवन के प्रति अलग अलग दृष्टिकोण होता है। कोई जिवन के प्रति निराशापूर्ण दृष्टिकोण रखता है कोई आशा पूर्ण, जिवन को नश्वर एवं निरर्थक समझकर दैहिक भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति को ही लक्ष्य मानता है। इसी प्रकार कोई ‘सादा जिवन उच्च विचार’ के सिद्धांत को उचित मानता है। ‘कोई खाओ पीओ मौज करो’ के सिद्धांत को उचित मानता है। जिवन के प्रति ईन विविध दृष्टीकोण से जिवन स्तर प्रभावित होता है।
6 समाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं एवं परम्पराएं Social and religious institutions and customers
प्रत्येक समाज एवं धर्म एवं परिवार मे अनेक रीति रिवाज, परम्पराएँ, मान्यताएं, आस्थाएं, प्रचालित होती है। समाज का एक अंग होने के कारण व्यक्ती उनके पालन का प्रयास करता है। और उनके अनुपालन पर आय का एक भाग खर्च करता है, उनके आचरण से व्यक्ती की उपभोग वस्तुओं की मात्रा पर भी प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार धार्मिक एवं समाजिक संस्थाएं एवं परम्पराएं जिवन स्तर को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है। उदहारण के लिए….. किसी समाज में मांस मदिरा का उपयोग करना उचित माना जाता है किसी समाज मे अनुचित माना जाता है।
7 मूल्य स्तर price low
आधुनिक मुद्रा प्रणाली मे मुद्रा का मूल्य घटता और बढ़ता रहता है औऱ इसी के अनुसार वस्तुओ एवं सेवाओं का मूल्य स्तर भी घटता और बढ़ता रहता है।
मूल्य स्तर में परिवर्तन से व्यक्तिगत रूप व्यक्ति की क्रय क्षमता भी घटती और बढ़ती रहती है। और उसका उपभोग प्रभावित होता होता रहता है। यदि वस्तुओं की मूल्य कम है तो उसे कम दाम मे ही खरीदा जा सकता है, यदि मूल्य अधिक है तो वस्तुओं की खरीदारी करना कठिन हो जाता है।
8 भौगोलिक कारक Geographical factors
भौगोलिक कारक तथा जलवायु भूमि, उर्वरता, खनिजों की उपलब्धता, मौसम आदि का जिवन स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि किसी देश और राज्य की भौगोलिक स्थिति अच्छी नहीं रहती है तो वहां पर बहुत से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ईन सभी घटकों से देश की समृद्धि यानी विकाश पर भारी प्रभाव पड़ता है।
खान पान वेशभूषा और वस्तु की उपलब्धता का क्या प्रभाव पड़ता है? हाँ भौगोलिक कारक से ये प्रभाव पड़ता है। अतः जिवन स्तर का प्रभावी होना स्वभाविक है। ठंढे देशों का खान पान, पहनावा गर्म देशों से भिन्न होता हैं। ‘रेगिस्तान के भूमि’ Land of the Desert और उर्वरक भूमि वाले देश Fertilizer land countries मे ‘पेट्रोलियम पदार्थों वाले देश Countries with petroleum products गैर पेट्रोलियम उपलब्धता वाले देश के रहन सहन मे अन्तर होता है।
हम सब देखते है की जिस देश में पेट्रोलियम निकलता है तो वहां के लोगों की जिवन जीने का तरीका ही अलग होता है। उन सारी देशों मे लोगों का लाइफ स्टाइल ही अलग होता है, आर्थिक स्थिति भी बहुत ज्यादा मजबूत होता है।यदि गैर पेट्रोलियम वाले देशों में देखा जाए तो लोगों का जिवन स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। ईन देशों की आर्थिक स्थिति उतना ठीक नहीं रहती है जितना पेट्रोलियम वाले देश में होते हैं।
9 देश में शान्ति व्यवस्था की दशाएं Conditions of law and order in the country
देश का वातावरण अर्थात शान्ति एवं व्यवस्था, युद्धकालिन स्थितियां, wartime situations गृह कलह domestic discord अशांति आदि का जिवन स्तरStandard of living पर प्रभाव पड़ता है। यदि कहीं ‘युद्धकालीन स्थितियाँ’ है तो उस देश के अपने उत्पादक साधनो को युद्ध सामग्री के उत्पादन पर लगाना पड़ेगा और समान्य उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति एवं सेवाओं की उपलब्धता बाधित होने लगेगी।
देश में अशांति होने पर व्यक्तियों के रहन सहन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। आंतरिक अशांति का भी जिवन स्तर पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
‘रूस और यूक्रेन का युद्ध’ war of russia and Ukraine में लोगों का जिवन स्तर बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। हजारों और लाखो की संख्या में लोगों का पलायन और न जाने कितने लोगों की अभी तक मौत हो गई है। इसी प्रकार कश्मीर मे अशांति काल में लोगों का जिवन प्रभावित life affected हुआ है ।कहीं कर्फ्यू लगाया जाता है तो कहीं आपातकाल के लिए कठिनाइयां होती है।
10 खुली अर्थव्यवस्था एवं विदेशी संपर्क Open economy and foreign contacts
अर्थव्यवस्था कितने प्रकार की होती है? How many types of economy
अर्थव्यवस्थाऐ दो प्रकार की होती है। खुली अर्थव्यवस्था एवं बंद अर्थव्यवस्था।
खुली अर्थव्यवस्था मे विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश आदि की छुट्ट होती है। अर्थात वहां विदेशों से संपर्क अधिक होता है।
विगत एक दशक से वैश्वीकरण Globalisation एवं उदारीकरण Liberalisation की प्रक्रिया तेज होने के कारण भारत में उपभोक्ता Consumer वास्तुओ की मांग वृद्धि हुई है। इसके विपरीत यदि हम बंद अर्थव्यवस्था की बात करे तो इसमे विदेशी सम्पर्क कम होते हैं, और दूसरे देशों का जिवन पर कम प्रभाव पड़ता है।
11 अन्य कारक other factors
जिवन स्तर पर यदि कीसी देश मे परिवहन संचालन transport operation. संचार संसाधन के विकास communication resource development. बैकिंग विकास, तकनीकी एवं वैज्ञानिक प्रगति Technical and science development राष्ट्रीय आय के वितरण distribution of national income. समाजिक परिवर्तन व राजनीतिक दशा Social Change and Political Condition. सरकार के स्थाई आदि अन्य कारणों से भी प्रभावित होता है।