बाजार का अर्थ एवं परिभाषा Meaning and definition of market
समान्य बोलचाल की भाषा में बजार का तात्पर्य किसी स्थान विशेष से होता है, जहां पर वस्तुओ के खरीदने के लिए और बेचने के लिए क्रेता और विक्रेता इकट्ठा होते हैं एवं क्रय और विक्रय सम्पन्न होते हैं। बजार शब्द अँग्रेजी रूपान्तर मार्केट Market जिसकी उत्पति मार्केट्स Maractas लैटिन शब्द से हुई है, इसका शाब्दिक अर्थ व्यापारिक स्थान भी होता है।
अर्थशास्त्र के अनेक विद्वानों ने बाजार शब्द को अलग अलग शब्दों से परिभाषित किया है।
बाजार की कुछ प्रमुख परिभाषाएं
1 कूनोॅ Cournot के अनुसार
अर्थशास्त्र में बाजार का तात्पर्य किसी स्थान से नहीं होता है, जहां वस्तुओं का क्रय विक्रय होता है, उस समस्त क्षेत्र से होता है जहां क्रेता और विक्रेता के मध्य स्वतन्त्र स्पर्धा होता है। जिससे किसी वस्तु का खरीदार मूल्य सरलता से समान होने की प्रवृति रखता है।
Economists understand by the term market not any particular place in which thing are bought and sold, but whole of any region in which buyers and sellers are in such free Intercourse with one another that the buyer price of same good tend to equality easily and quickly.
2 बेन्हम Benham के मतानुसार –
बाजार वह क्षेत्र होता है जिससे क्रेता और विक्रेता प्रत्यक्ष: प्रतिनिधि के माध्यम से एक दूसरे के निकट इतना संपर्क में होते हैं कि एक भाग में प्रचलित मूल्यों के प्रभाव से दूसरे भाग में प्रचालित मूल्यों पर पड़ता है।
market should be defined is any area over which buyers and sellers are in Such close touch with another either directly or through dealers that the process obtainatde in one part of the market affect to the prices paid in other parts
3 एली Ely के अनुसार –
बाजार का मूल्य अर्थ ऐसे क्षेत्र से होता है जिससे किसी वस्तु का मूल्य निर्धारित करने वाली शक्तियां कार्यशील होती है।
According to Ely – Market value refers to the area in which the forces that determine the price of a commodity operate.
4 केअरनक्रास Chairncross के अनुसार-
बाजार का अर्थ एवं परिभाषा Meaning and definition of market के आधार पर बाजार की निम्नलिखित विशेषताएं स्पस्ट होती है।
1 बाजार एक क्षेत्र,संगठन लेनदेन का जालसूत्र Network है।
2 बाजार में खरीदने या बेचने वालों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उपस्थित आवश्यक होती है।
3 क्रेता और विक्रेता के बीच निकट सम्बंध होता है अर्थार्त प्रयोगिता या सौदेबाजी होती है। यह संपर्क न्यूज, ई मेल, टेलीफोन, या अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट के माध्यम से भी हो सकती है।
4 बाजार का सम्बंध केवल एक ही वस्तु से होता है।
5 बाजार में वस्तु की क़ीमत समान होने की प्रवृति होती है।
मानव सभ्यता के दौर का बाजार कैसा था ?
मानव सभ्यता के प्रारम्भ में जिसे आखेट युग कहा जाता है, उस समय व्यक्ती पूर्ण रूप से स्वावलंबी था। व्यक्ती स्वयं उत्पादक एवं स्वयं उपभोक्ता हुआ करता था। उसकी आवश्यकताएं बहुत कम थी।
धीरे धीरे आवश्यकताएँ बढ़ने लगी, जिवन मे घुमन्तूपन के बजाए स्थिरता आने लगी। शिकार के स्थान पर पशुपालन एवं कृषि से जिवन यापन के साधन बने।
ग्यान का विस्तार हुआ और आवश्यकताओं में वृद्धि होने लगी। अब व्यक्ती के अकेले ही आवश्यकताओं की पूर्ति करना कठिन हो गई। अब मानव को इस स्थिति से निपटने के लिए आदान प्रदान विनियम Exchange की क्रिया का अविष्कार किया। प्रारंभ में विनियम की क्रिया प्रत्यक्ष विनियम या वस्तु विनियम Brter तक सीमित थी।
कालांतर में मुद्रा प्रणाली का विकास हुआ और विनियम क्रिया मुद्रा से संपन्न होने लगी। उत्पादन भी बड़े पैमाने पर व्यवसायिक पैमाने पर होने लगा।
यातायात साधनो के विकास के कारण कुछ स्थानो पर विक्रय केंद्रों का विकास हुआ। आगे चलकर यह केंद्र बाजार के रूप में विकसित हुए। औद्योगिक क्रांति Industrial Revolution वैज्ञानिक प्रगति scientific progress
मुद्रा एवं बैकिंग प्रणाली के विकास और जनसंख्या की बहुत तेज वृद्धि ने बाजारों को विस्तृत एवं जटिल बना दिया। आज बजार के विविध रूप हमारे समक्ष प्रचालित हैं और यह एक जिवन का महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है।
आज विभिन्न प्रकार के और प्रत्येक स्थान पर मार्केट का विस्तार हो चुका है। मानव सभ्यता के और आज का बाजार की हालत देखा जाए तो ये सोचना मुस्किल हो जाता है, कि उस दौरान लोगों की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कितना तकलीफें उठानी पड़ती होगी। यदि आज से हम 20 वर्ष पूर्व के ही बात करे तो उतना मार्केट का विकास नहीं हुआ था जितना आज हुआ है।
बाजार का अर्थ एवं परिभाषा Meaning and definition of market. की यदि बात की जाए तो उपर लिखे आर्टिकल मे बाजार का अर्थ एवं परिभाषा को विस्तृत रूप से बताया गया है।
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