Environment definition ,परिभाषा, अर्थ एवं आवश्यकता

पर्यावरण शिक्षा ( Environmental Education)

आज हम सब जानकारी लेगे पर्यावरण संरक्षण के बारे में यानी पर्यावरण की परिभाषा Environment definition इस आर्टिकल मे आपको बहुत पर्यावरण के अनुकूल बनाये रखने का क्या प्रयास कर सकते हैं? ईन सभी बातों पर ध्यान दिया गया है तो चलिए जानते हैं Environment definition

 

Environment definition
Environment Definition

 

प्रकृति ने प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, वायु , भूमि, खनिज पदार्थ एवं पेड़ – पौधे आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराये हैं।प्रकृति में उपलब्धता की भी एक सीमा है । विगत कुछ दशकों में हुई जनसंख्या वृद्धि , औद्योगीकरण तथा विकास योजनाओं के फलस्वरूप , प्राकृतिक ‘ संसाधनों का दोहन अत्यन्त तीव्रता और अविवेकपूर्ण ढंग से किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुन्ध दोहन और अविवेकपूर्ण उपयोग के कारण पर्यावरणीय समस्याएँ दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं ।

प्रकृति की स्वनियामक ( Self Regulation ) क्षमता कम होती जा रही है तथा पारिस्थितिक सन्तुलन ( Ecological Balance ) गड़बड़ा गया है। इसी वज़ह से हमारी जीवन पर अनेक प्रकार का प्रकोप दिखाई दे रहा है। पर्यावरण की रक्षा तथा उसमें सुधार एक ओर जहाँ पर्यावरणविदों के लिए एक चुनौती है।एजुकेशन सिस्टम पढ़ाई करने वालो के बीच में Environment Definition को समझाना होगा। तो वहीं प्रदूषण निवारण के लिए आम जनता को पर्यावरण संरक्षण तथा उसमें सुधार की आवश्यकता के प्रति जागरूक बनाना हम सब की प्राथमिकता है।

पर्यावरण की समस्याओं के निराकरण तथा पर्यावरण सुधार की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अपेक्षित जनसहयोग प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक है । यही कारण है कि आज के समय में पर्यावरण शिक्षा पर बहुत जोर दिया जा रहा है । जिसे प्राकृतिक सौंदर्य बना रहे। मानव, जीव जंतु, पेड़ पौधे, ग्लोबल वार्मिंग आदि क्षेत्रों में प्राकृतिक का विनाशकारी प्रकोप न हो 

पर्यावरण शब्द ‘ परि ‘ और ‘ आवरण ‘ से मिलकर बना हुआ है । ‘ परि ‘ का अर्थ होता है। ‘ चारों ओर ‘ और ‘ आवरण ‘ का अर्थ होता है। — ‘ ढके हुए ‘ । यानी इसका तात्पर्य यह होता है कि हमारे चारों ओर पाये जाने वाले सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक वातावरण से है । सामाजिक वातावरण से तात्पर्य मानवों के बीच परस्पर सम्बन्धों से है । सांस्कृतिक वातावरण में नैतिकता प्रथाएँ, भाषा, धर्म एवं परम्पराएँ इत्यादि आते हैं । प्राकृतिक वातावरण में हवा, धरती , वृक्ष , वनस्पति आदि आते हैं । 

प्रकृति माँ के समान हम सभी को लालन – पालन करती है। और सुरक्षा प्रदान करती है । पर्यावरण के विभिन्न तत्वों के मध्य एक सन्तुलन का होना आवश्यक हैं।

 

पर्यावरण एवं शिक्षा का अर्थ Meaning of Environmental Education

 

पर्यावरण शिक्षा भावी नागरिकों को पर्यावरण के प्रति सजग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है । यूनेस्को ( UNESCO ) ने पर्यावरणीय शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण विषय माना है । 

 

यूनेस्को के अनुसार, ” पर्यावरण शिक्षा व्यक्ति, प्रकृति एवं समाज के प्रति अपने कर्त्तव्यों का बोध कराते हुए पर्यावरण सुधार हेतु प्रेरणा प्रदान करती है । ” पर्यावरण शिक्षा हर मानव जाति का अधिकार है। 

 

संयुक्त राज्य अमेरिका के पर्यावरण शिक्षा अधिनियम , 1970 में पर्यावरण शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा गया कि ” पर्यावरण शिक्षा से अभिप्राय उस शैक्षिक प्रक्रिया से है जो मानव का सम्बन्ध उसके प्राकृतिक व स्वनिर्मित वातावरण से स्थापित करती है । इसमें जनसंख्या , प्रदूषण , संसाधन आबंटन व निःशोषण , संरक्षण , यातायात , प्रौद्योगिकी तथा शहरी व ग्रामीण नियोजन का समस्त मानवीय वातावरण से सम्बन्ध निहित है । ” 

Environment definition
Environment Definition

 

 

पर्यावरण शिक्षा को  विस्तृत अर्थ में ही लिया जाना चाहिए । पर्यावरण Environment Definition के मानव व्यवहार के तीन पक्षों— 

ज्ञानात्मक , भावात्मक तथा क्रियात्मक से सम्बन्धित है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित है वरन् मानव जीवन से सम्बन्धित ज्ञान , बोध , कौशल , अभिवृद्धि तथा मूल्य आदि का विकास करना भी इसमें जरूरी है। प्राकृतिक संसाधनों का उचित व विवेकपूर्ण उपयोग, जल, वायु व मिट्टी का अनुरक्षण तथा अवशिष्ट पदार्थों का शोधन करने की विधियों का ज्ञान , कौशल तथा मनोवृत्ति पर्यावरण शिक्षा के अन्तर्गत आते हैं । सन् 1984 में दिल्ली में हुए प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में स्वर्गीय इन्दिरा गाँधी ने पर्यावरण शिक्षा को सामाजिक चेतना जाग्रति करने का एक माध्यम माना था।

 

यदि हम इसे संक्षेप में जाने तो… 

 

पर्यावरण शिक्षा का तात्पर्य है लोगों को पर्यावरण का संरक्षण, सजगता तथा प्रदूषण रोकने की जानकारी देना। प्राकृतिक तत्वों के असन्तुलन के परिणामों से लोगों को जागरूक बनाना।

 

 पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता (Need of Environmental Education)

 

 सभ्य होने के प्रयास में मानव द्वारा की जाने वाली विभिन्न मानवीय क्रियाएँ जैसे- कृषि में उपज बढ़ाने के लिए अत्यधिक कृत्रिम साधनों का प्रयोग , मछली पकड़ना , अधिक मात्रा में गृह निर्माण , जंगलों को काटना , औद्योगिक विकास , बाँध बनाना , सड़क बनाना , पृथ्वी के गर्भ से कोयला , तेल , गैस आदि अधिक मात्रा में निकालना एवं कूड़ा – कचरा फेंकना आदि के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गति भयानक रूप लेती जा रही है । जनसंख्या की तीव्र गति से वृद्धि तथा तीव्र औद्योगिक विकास के फलस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या के रूप में मानव एवं अन्य जाति के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है । 

 

महात्मा गाँधी ने कहा था-

 

” ” प्रकृति के पास सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन हैं। परन्तु सभी के लालच की पूर्ति नहीं अर्थात् यदि केवल मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति की बात हो तो प्रकृति सबकी आवश्यकताएँ पूरी कर सकती है , परन्तु जब कुछ लोगों के लालच की बात आती है तो प्रकृति विफल हो जाती है । ये लालची लोग प्रकृति का दोहन करके प्राकृतिक सम्पदा से भौतिक सुख – सुविधा के साधन व भौतिक धन एकत्र करने लगते हैं जिससे मूल आवश्यकताओं की पूर्ति बाधित होती है । “ 

 

पर्यावरण समस्या परोक्ष या अपरोक्ष रूप से अशिक्षा और अविवेक का परिणाम है । ‘ सम्पूर्ण विश्व इस समस्या के प्रति गम्भीर है । शिक्षा इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है और हरित तथा स्वच्छ समाज का निर्माण कर सकती है । पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्रम में बच्चों से लेकर वृद्धों तक , शिक्षित से लेकर अशिक्षित तक को औपचारिक , अनौपचारिक और निरौपचारिक शिक्षा ( Formal , Informal and Non formal Education ) द्वारा जागरूक बनाना आवश्यक है । 

 

वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण विश्व की मुख्य ज्वलन्त समस्या है जिसके कारण मानव जाति का विनाश भी हो सकता है। इसके लिए प्रत्येक मानव को आगाह करने की आवश्यकता है जो उचित पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से ही सम्भव है। इसके लिए पर्यावरण को सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया के एक अभिन्न अंग के रूप में स्वीकार करना होगा। 

 

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( 1986 ) में जब राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा की संकल्पना करते हुए उसमें एक सामान्य कोर ( Common Core ) की बात कही गयी तब इस सामान्य कोर में पर्यावरण संरक्षण को भी समाहित किया गया। ताकि प्राकृतिक को पर्यावरण का दोहन कम किया जा सके Environment Definition। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खण्ड -8 के बिन्दु 8-15 में कहा गया कि वातावरण के प्रति जागरूकता उन्नत करने की अत्यधिक आवश्यकता है । यह बालकों से आरम्भ करके सभी आयु तथा समाज के सभी वर्गों में व्याप्त होनी चाहिए । वातावरणीय जागरूकता विद्यालयों तथा कॉलेजों के शिक्षा में दृष्टिगोचर होनी चाहिए । सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया में इस पक्ष को एकीकृत किया जायेगा ।

पर्यावरण अध्ययन का महत्व

Importance of Environmental Studies )

 

 पर्यावरण शिक्षा की उपयोगिता आज हमारे जीवन में दिनोंदिन बढ़ती जा रही है । पर्यावरण शिक्षा के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट कर सकते हैं। 

 

  • पर्यावरण शिक्षा हमको हमारे जीवन में वनों के महत्व को स्पष्ट करती है । वनों से होने वाले लाभों का ज्ञान कराकर व्यक्तियों को वन संरक्षण के लिए उत्प्रेरित करती है । 

 

 

  • पर्यावरण शिक्षा वनों में खुले रूप में पशुचरण से होने वाली हानियों की ओर ग्रामीणों का ध्यान आकर्षित करके उनको गाँवों में चरागाह विकसित करने की प्रेरणा देती है ।

 

 

  • पर्यावरण शिक्षा द्वारा छात्रों को यह अवबोध कराया जा सकता है कि पर्यावरण को सन्तुलित एवं संरक्षित रखना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है ।

 

  • पर्यावरण शिक्षा द्वारा बढ़ती हुई जनसंख्या से होने वाले विविध प्रकार के प्रदूषणों के बारे में ज्ञान मिलता है । जनसंख्या वृद्धि तथा शहरीकरण के कारण उत्पन्न समस्याओं का ज्ञान करवाकर छात्रों में परिवार नियोजन के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण पैदा करने में सहायता मिलती है ।

 

  •   पर्यावरण शिक्षा में विषयों को समन्वित करके पढ़ाया जाता है अतः छात्रों को यह ज्ञात होता है कि ज्ञान पृथक् – पृथक् इकाइयों में न होकर अखण्ड रूप में होता है । 

 

  • पर्यावरण शिक्षा छात्रों के सामाजिक चरित्र के विकास में सहयोग देती है । इसद्वारा उनमें सहयोग , सहानुभूति , सहिष्णुता , प्रेम जैसे गुणों को विकसित किया जा सकता है । छात्र सामूहिक रूप में परस्पर सहयोग द्वारा पर्यावरण समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते हैं ।

 

  •  पर्यावरण शिक्षा छात्रों को जनतान्त्रिक नागरिक बनाने में सहायता करती है ! उसको अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों का बोध होता है । छात्रों में इस शिक्षा द्वारा स्वतन्त्र चिन्तन तथा स्वयं निर्णय लेने की शक्ति का विकास होता है ।

 

  •  आधुनिक उद्योगों से हतनी घातक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं , इसका ज्ञान छात्रों . को पर्यावरणीय शिक्षा द्वारा होता है

 

  • पर्यावरण शिक्षा द्वारा छात्रों मे राष्ट्र प्रेम और अंतर्राष्ट्रीय भाव पैदा किया जा सकता है।
  • पर्यावरण शिक्षा छात्रों मे प्रदूषण रोकने की चेतना पैदा करती हैं।

 

आज के आर्टिकल आप सब को जरूर पसंद आया होगा आज हम सब ने जाना कि Environment definition यानी पर्यावरण की परिभाषा क्या होता? पर्यावरण को सुरक्षित रखना हम सब की जिम्मेदारी बनती है। क्यु की इसके बिना कोई भी जीव इस धरती नहीं रह सकता है। तो आइये पर्यावरण का संरक्षण करे और उसे हम बचाये। ताकि आने वाले पीढ़ी को प्राकृतिक सौंदर्य मिले।

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