Cooperative learning in Hindi
सहयोगात्मक का अर्थ
सहकारी शिक्षा ग्रहण के अभिप्राय सीखने वाली ऐसी प्रक्रिया या समूह हैं। जिसमें छात्रों को स्वयं ही एक समूह के अंतर्गत सहकारी पद्धति का अनुसरण करते हुए ज्ञान को अर्जन करना होता है।
इस प्रणाली में विषय विशेष से संबंधित सिलेबस की किसी एक इकाई की सूचनाओं या अनुभवों को आपस में आदान-प्रदान करते हैं। और इस तरह आपस में मिलजुल कर सहयोग पूर्ण वातावरण में उनके द्वारा विषय संबंधित ज्ञान को संग्रह किया जाता है।
कक्षा, स्कूल या कोचिंग की संपूर्ण प्रक्रिया में शिक्षा का बोलबाला रहता है। और संपूर्ण विषय पर पढ़ाई का एक केंद्र बना रहता है। उस सिलेबस को भी पढ़ना रहता है जिसमें छात्रों का किसी भी तरह से लगाव नहीं रहता है। यहां पर शिक्षक को ज्ञान का ऐसा भंडार माना जाता है। जिसका एकमात्र उद्देश्य यह होता है कि अपने छात्रों को चाहते या ना चाहते हुए अपने अंदर बहने वाली ज्ञान की गंगा में डुबकियाँ लगाना होता है।
छात्र स्वयं अपने पर्याप्त से भी कुछ सीख सकते हैं, लेकिन यह बात शिक्षकों को उचित नहीं लगती हैं। (cooperative education in Hindi) इस प्रकार के प्रणाली में ज्ञान को अर्जित करने हेतु सीखने वाले जिस पथ का अनुसरण करने की छात्रों में उपेक्षा की जाती हैं। वह पूरी तरह से व्यक्तिगत उपलब्धियों को आगे बढ़ाने वाला होता है।
इसमें छात्रों से यह उम्मीद की जाती है कि प्रतिस्पर्धा को पार करते हुए अधिक अंक के साथ अच्छे डिवीज़न और ग्रेड के साथ पास हो।
इस प्रकार के शिक्षा प्रणाली प्रतिस्पर्धा, कंपटीशन, प्रतिद्वंदिता के अंधी दौड़ को जन्म देती है। यह निरंतर प्रणाली चलता रहा है परंतु प्रतिस्पर्धा के दौर में सहकारिता का प्रश्न ही नहीं उठता है?
क्युकि उनकी अंत में प्रत्येक छात्रों का मूल्यांकन अलग अलग होता है। उसी के आधार पर उनकी आगे की कक्षाओं में प्रमोशन, विशष कोर्स या नौकरियाँ में प्रवेश आदि की बात भी बनती है।
यहां पर सहकारिता का कोई मूल्य ना होने के कारण सहकारी शिक्षा ग्रहण प्रणाली संभव नहीं है। परंतु वर्तमान परिस्थिति से बाहर आने में सहकारी तरीके से सीखने वाला बहुत कुछ मदद कर सकता है। यहां शिक्षक व छात्र दोनों की बीच सार्थक ढंग से उचित बदलाव लाया जा सकता है।
सहकारी अधिगम की परिभाषा definition of cooperative learning
सहकारी अधिगम को एक ऐसी शिक्षण अधिगम व्यू रचना के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है जिसमें एक कक्षा के छात्र अपने आपको छोटे-छोटे विभिन्न समूहों में बांटकर प्रतिस्पर्धा सहित सरकारी धन से आपस में मिलजुल कर किसी विषय विशेष से संबंधित ज्ञान को संग्रहित करने में प्रयत्न रहते हैं
सहरकारी अधिगम की विशेषता Features of cooperative learning in Hindi
सहकारी शिक्षा प्रणाली की विशेषताएं कुछ इस प्रकार से है
सहकारी लर्निंग सिस्टम के किसी विषय पर अध्यापक का जोर नहीं होता है यहां पर किसी भी विषय पर अध्यापक का कमांड नहीं रहता है अध्यापक केवल मार्गदर्शक होते हैं। यहां पर छात्र ही विषय पर अपना कमांड को रखते हैं।
सरकारी शिक्षण प्रणाली में अपने पढ़ने का मार्ग छात्रों को स्वयं चुनना होता है। इस सिस्टम में अध्यापक द्वारा तय किए गए मार्ग पर चलने की जोर या मजबूर नहीं किया जाता है।
साकारी प्रणाली इस बात पर विश्वास करती हैं कि छात्र तभी अच्छी तरह से पढ़ाई को पढ़ते हैं, या सीखते हैं जब वह चिंता मुक्त स्पर्धा रहित सहयोगी वातावरण में रहते हैं। जहां पर कंपटीशन की होड़ लगी हो एक दूसरे की पिछे अंधी दौड़ में हो वहां पर उचित ढंग से ज्ञान को हासिल करना मुश्किल होता है।
सहकारी प्रणाली यह आशा करती है कि शिक्षकों छात्रों के प्रति सहयोगी मार्गदर्शक और क्लोज फ्रेंड की भूमिका निभाए। छात्रों को ज्ञान हासिल करने में मदद मिले।
जब कि परंपरागत शिक्षा प्रणाली का केवल यही कार्य होता है कि वह छात्रों के ऊपर मात्र ज्ञान को उड़ेलता रहे।
यह प्रणाली ज्ञान को अर्जित करने के लिए व्याख्यान, प्रदर्शन विधी की अपेक्षा छात्रों के बीच में एक स्वस्थ्य एवं सार्थक वातावरण के माध्यम से ज्ञान को अर्जित करने पर बल का समर्थन करती है।
इस प्रणाली के अनुसार वास्तविक ज्ञान अर्जित करना पूर्ण रूप से तभी सम्भव है, जब वह समुह के अंतर्गत सहयोग पूर्ण ढंग से आपस में मिलजुलकर ज्ञान को हासिल किया जाए।
प्रतिस्पर्धा पर टिका हुआ शिक्षा हांसिल करने वाला माध्यम कभी भी पूर्ण रूप से सार्थक नहीं हो सकता, इसमे सामाजिकता की अपेक्षा घोर स्वार्थपूर्णता का भाव होता है, जो किसी ढंग से उचित नहीं होता है।
यह प्रणाली व्यक्तिगत प्रयत्नों की अपेक्षा सहयोगपूर्ण ढंग से किए जाने वाले सामुहिक प्रयत्नों के ज्ञान साहिल करने की दृष्टि से पूरी तरह प्राथमिकता देना चाहती है।
(Cooperative learning in Hindi) यह प्रणाली यह विश्वाश करती है कि छात्र सहयोग पूर्ण वातावरण में एक दूसरे से लाभान्वित होते हुए अधिक सीख पाते हैं।
सहकारी अधिगम प्रणाली की यह मान्यता है कि छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन उस रूप में ही ठीक तरह से सम्भव है।
उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों के स्थान पर पूरे सामुह की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाए। क्यु की ऐसा करने पर उन्हें परीक्षा का भूत नजर नहीं आएगा। तथा अपने सम्मान की रक्षा करने या किसी के द्वारा किए जाने वाले टिपण्णी से भी मुक्ति मिल जायेगा।
इस प्रणाली की यह मान्यता है कि छात्र तभी उचित प्रकार से सीखते हैं जब वह सीखने की प्रक्रिया से पूरी तरह से जुड़ जाते हैं।
और सहयोग करते हुए एक दूसरे के साथ अधिगम पथ पर आगे बढ़ते है।
इसका मान्यता है कि सामुह उपलब्धियों का मूल्यांकन करने के दौरान दो बातों पर समान रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।
- समूह के सामने ज्ञान हासिल करने का उदेश्य क्या थे?
- ईन उद्येश्यों की पूर्ति में समूह मे शामिल छात्रों द्वारा अपनी तरफ से क्या योगदान दिया।
इसकी यह मान्यता है कि शिक्षण अधिगम प्रकिया में छात्रों को सहकारी ढंग से काम करने का अवसर दिया जाना चाहिए क्यु की उनमे भविष्य में सहयोगी एवं उत्तरदायी सामाजिक जिवन जीने के लिए, उचित गुणों का विकास हो सकता है।
सहकारी अधिगम के गुण qualities of cooperative learning in Hindi
सहकारी शिक्षा प्रणाली से पढ़ने वाले छात्रों का गुण बहुत ज़्यादा लाभदायक होता है cooperative education in hindi क्यु की सहकारी अधिगम का लर्निग प्रणाली इस प्रकार से होते हैं।
- इस प्रणाली में छात्र अच्छी तरह से सीखते हैं। क्युकी यह उनके उपलब्धियो की होड़ में एक दूसरे से बाजी मरने या टीका टिप्पणी का सामना करने की चिंता नहीं करनी पड़ती है।
- यह प्रणाली छात्रों को अपने साथी छात्रों से ज्ञान को हासिल करने मे या सहायता लेने तथा उनके अनुभवों से शिक्षा ग्रहण करने के लिए भली भाँति प्रोत्साहित करती है।
- यह प्रणाली छात्रों के आत्मविश्वास और आत्म प्रतिष्ठा करने हेतु बहुत ही सशक्त एवं सहयोगी वातावरण प्राप्त करने की क्षमता रखती है।
- सहकारी शिक्षा ग्रहण में छात्रो मे जो समूह भावना पायी जाती है। और जो उन्हें आपसी सहयोग मिलता है, उसके परिणामस्वरूप जो अनावश्यक भय बालकों में पाय जाता है। वह यहां पर पूर्ण रूप से खत्म हो जाता है।
- सहकारी शिक्षा ग्रहण के माध्यम से छात्रों तथा शिक्षक के मध्य में एक स्वास्थ्य अंत: क्रिया बनाये रखने में मदद मिलती है।
सहयोगात्मक अधिगम का लाभ
benefits of collaborative learning in Hindi
सहकारी अधिगम एक अच्छे समायोजित सामाजिक जीवन को जीने के लिए आवश्यक सामाजिक गुणों के विकास में भली – भाँति सहायक होता है ।
सहयोग कैसे लिया तथा दिया जाता है इसके जितने अच्छे अभ्यास और आवश्यक प्रशिक्षण सम्बन्धी अवसर इस प्रणाली में प्राप्त होते हैं वे किसी अन्य प्रणाली से युक्त अनुदेशन में नहीं।
इसके उपयोग से नेतृत्व कौशल के विकास में समुचित अवसर उपलब्ध होते हैं ।
इस अधिगम प्रणाली से छात्रों में सहयोगी प्रवृत्ति एवं भावना का विकास होता है जो उन्हें आगामी सामाजिक जीवन में भली – भाँति समायोजन करने में भरपूर सहायता कर सकता है ।
सहकारी अधिगम के प्रकार types of cooperative learning in Hindi
जॉनसन और जॉनसन ( Johnson and Johnson ) ने सहकारी अधिगम के प्रमुख 5 तत्व बताये हैं——
- सकारात्मक अन्तः निर्भरता ( Positive Interdependence ) — इसमें समूह का प्रत्येक सदस्य एक – दूसरे पर निर्भर रहकर निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता हैं ।
- आमने – सामने अन्तःक्रिया ( Face to Face Interaction) – समूह के सदस्यों को प्रशंसा , प्रेरणा आदि द्वारा सफलता के लिए प्रेरित किया जाता है ।
- व्यक्तिगत जबावदेही ( Individual Accountability) — प्रत्येक समूह अपने कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है । व्यक्तिगत उत्तरदायित्व सदस्यों को एक – दूसरे पर आरोप लगाने से बचाता है ।
- सामाजिक कौशल ( Social Skill ) — सहकारी अधिगमं छात्रों को सामाजिक कौशल सीखने का मंच प्रदान करता है।
- सामूहिक प्रक्रिया ( Group Process ) – यह समूह के कार्यों का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया है जो यह बताता है कि कोई समूह अपने कार्यों को करने तथा लक्ष्यों को प्राप्त करने में कार्यरत है । यहाँ समूह को यह अवसर मिलता है कि वह समूह के अवांछनीय व्यवहार को सुधारे ।
सहकारी अधिगम की सीमाएँ limits of cooperative learning in Hindi
सहकारी अधिगम इस प्रकार की व्यूह रचना प्रदान करता है जिसके माध्यम से वर्तमान कक्षा शिक्षण परिस्थितियों तथा शिक्षण अधिगम प्रणाली में उपयुक्त और वांछित सुधार लाया जा सके । इस प्रणाली में छात्रों को स्व – अधिगम की ओर साथ – साथ कदम बढ़ाने के लिए। एक ऐसा उपयुक्त मार्ग और साधन प्राप्त हो सकता है जिनसे न केवल उन्हें अच्छी तरह अधिगम अर्जित करने के लिए वांछित वातावरण उपलब्ध होगा बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार तथा पूर्ण सामाजिक जीवन जीने के लिए भी तैयार किया जा सकता है बशर्ते इस प्रणाली को ठीक ढंग से विद्यालय और महाविद्यालय स्तर पर लागू किया जा सकें। परन्तु यह इतना सहज नहीं क्योंकि इस प्रणाली को हमारे देश की शिक्षा पद्धति में स्थान देने में अनेक कठिनाइयाँ आ रही हैं। जो निम्न प्रकार के होते हैं..
शिक्षकों द्वारा विरोध ( Resistance on the Part of the Teachers )
शिक्षकों ने स्वयं विद्यालय या महाविद्यालय स्तर पर इस प्रणाली से शिक्षा प्राप्त नहीं की है इसलिए वे स्वयं इसके प्रयोग हेतु तैयार नहीं हैं ।
शिक्षकों को इस प्रणाली के बारे में सेवापूर्व या सेवारत अध्यापक प्रशिक्षण के कार्यक्रमों द्वारा ज्ञान नहीं कराया गया । अतः अधिकांश अध्यापक इस प्रणाली से अनभिज्ञ हैं ।
शिक्षक अधिकार व वर्चस्व के खो जाने से डरते हैं क्योंकि इनमें छात्रों को स्व अध्ययन करने की आजादी होती है ।
शिक्षक पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर किसी भी नई बात को लागू करने का विरोध करते है।
शिक्षक यह अनुभव करते हैं कि इस प्रणाली को लागू करने से कक्षा में अराजकता तथा अनुशासन की समस्या हो सकती है और इस प्रणाली में अनावश्यक समय तथा शक्ति के अपव्यय होने की अधिक सम्भावना ।
इस प्रणाली के लागू होने से पाठ्यक्रम एक निश्चित समय में समाप्त कर पाना असम्भव हो जाता है ।
शिक्षक यह अनुभव करते हैं कि इस प्रणाली को लागू करने के लिए जो पाठ्यक्रम सामग्री उन्हें चाहिए वह उपलब्ध नहीं है और इन सामग्रियों को खरीदने के लिए आर्थिक साधन भी उपलब्ध नहीं है एवं आवश्यक पाठ्य पुस्तक भी उपलब्ध नहीं है।
cooperative education in hindi इस प्रणाली के उपयोग हेतु बिल्कुल अलग तरह की मूल्यांकन तकनीकी की आवश्यकता पड़ती है जिसमें एक ओर तो सामूहिक प्रयत्नों का मूल्यांकन कर समूह विशेषों की ग्रेडिंग की जा सके, तो दूसरी ओर इस सामूहिक उपलब्धि में छात्रों का व्यक्तिगत रूप से क्या योगदान रहा, इसका मूल्यांकन करना भी आवश्यक समझा जाता है और शिक्षकों को इस नये मूल्यांकन तरीके का ज्ञान नहीं हो। इसलिए उनकी इस पूर्व धारणा के कारण कि अगर छात्रों का व्यक्तिगत मूल्यांकन नहीं किया जा सकता तो फिर बच्चे इस प्रणाली से पढ़ना क्यों चाहेंगे? वे इस प्रणाली के उपयोग का विरोध करते हैं।
छात्रों के द्वारा बिरोध (protest by students)
छात्रों को स्वयं अपने प्रयास से सीखने की बात एक बोझ सी लगती है इसलिए वे इसका विरोध करते हैं। छात्र व्याख्यान विधि जैसी आरामदायक विधियों को त्यागकर किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते ।
छात्र यह समझते हैं कि शिक्षक को वेतन ही उन्हें पढ़ाने का मिलता है फिर वे स्वयं प्रयत्न क्यों करें ।
छात्रों को इस प्रणाली का कोई पूर्व अनुभव या ज्ञान न होने के कारण वे इस प्रणाली में असहज महसूस करते हैं और यह सोचते हैं कि वे अपने द्वारा सीखे गये ज्ञान को अन्य किसी को क्यों बताएँ ?
छात्र यह बात से आशंकित रहते हैं कि समूह में अन्य सदस्य अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायेंगे और उन्हें स्वयं की सारा बोझ उठाना पड़ेगा तो फिर सहकारी अधिगम प्रणाली से क्या फायदा।
अधिकारियों द्वारा विरोध ( Resistance on the Part of the Authorities)
उन्हें यह डर रहता है कि सहकारी अधिगम के बहाने अध्यापक अपने शिक्षण दायित्वों का निर्वाह ठीक प्रकार से नहीं करेंगे ।
यदि छात्रों की व्यक्तिगत उपलब्धियों का मूल्यांकन नहीं हुआ तो फिर शिक्षकों की प्रभावशीलता एवं जबावदेही का मूल्यांकन कैसे होगा और यह मूल्यांकन न होने पर उनकी शिक्षकों और विद्यालयों पर से पकड़ कम हो जायेगी।
अधिकारी एवं प्रशासक वर्ग को इस प्रणाली का उचित ज्ञान न होने के कारण वे इस प्रणाली का विरोध करते हैं ।
उन्हें यह डर रहता है कि नई प्रणाली को लागू करने पर विद्यालय एवं शिक्षकों द्वारा अनेक सुविधाओं एवं सामग्रियो की माँग की जायेगी और इसके लिए धन जुटाने में उनको परेशानी हो सकती है।
इसको भी देखे!
अभिभावकों द्वारा विरोध ( Resistance on the Part of the Parents)
अभिभावकों को इस प्रणाली का पूर्ण व उचित ज्ञान नहीं है। अभिभावकों को शंका रहती है कि इस प्रणाली के लागू होने से छात्रों का व्यक्तिगत विकास रुक जायेगा और वे आज की प्रतिस्पर्द्धात्मक परिस्थिति में व्यर्थ ही पीछे रह जायेंगे ।
होशियार व प्रतिभाशाली छात्रों के अभिभावकों को भय रहता है कि उनका बच्चा इस प्रणाली के सहारे सिर्फ ट्यूटर बनकर रह जायेगा और उसके समय की बर्बादी होगी ।
अभिभावक यह भी अनुभव करते हैं कि इस प्रणाली के लागू होने से शिक्षक अपने उत्तरदायित्वों का उचित प्रकार से निर्वाह नहीं करेंगे और जब स्वयं पढ़ना है तो दूरवर्ती या पत्राचार शिक्षा या ऑन लाइन एजूकेशन से ही बच्चों को पढ़ाना ठीक रहेगा । अत : इस प्रणाली को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सर्वप्रथम शिक्षकों को प्रशिक्षित करना होगा अन्यथा इस प्रणाली के लाभों से हमारा विद्यार्थी वर्ग वंचित ही रह जायेगा ।
चिकनपॉक्स क्या है? इसका कारण और इलाज क्या है?
निष्कर्ष Conclusion
Cooperative learning in Hindi सहकारी शिक्षा का उदेश्य यही रहता है कि छात्र शांतिपूर्ण वातावरण में खुद से एक सामुह बनाकर ज्ञान को अर्जित करे। ताकि उस समूह में पढ़ने वाले सभी छात्र आपस में मिलजुलकर ज्ञान को साहिल कर सके। इससे प्रतिस्पर्धा की दौड़ उत्पन नहीं होती है,और छात्रों पर परीक्षा का मनोवैज्ञानिक दबाब भी नहीं बनाता है। इस प्रकार से पढ़ने वाले छात्र अधिक तेज और समाजिक विचार धारा वाले होते है। सहकारी शिक्षा मे शिक्षक का केवल मार्गदर्शक का रोल होता है, यहां पर छात्रों को खुद से ही अपना विषय वस्तु को चुन्ना और पढ़ाना होता है। इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली बहुत ज्यादा जरूरी है देश और समाज को आगे बढ़ाने के लिए। यदि यह सिस्टम लागू होता है तो शिक्षा का रंग रूप ही चेंज हो जाएगा।
Good