Diwali essay in hindi 150 words दिवाली पर निबंध

दिपावली मनाने का कारण

दीपाली हिन्दुओ का मुख्य और सबसे बड़ा त्यौहार है आज हम सब यह जानेंगे की दिवाली पर निबंध कैसे लिखा जाता है? (Diwali essay in hindi 150 words)अमावस की काली अँधियारी रात में टिमटिमाती दीपकों की पंक्तियाँ एवं नभ में छूटती हुई रंग – बिरंगी फुलझड़ियाँ मनुष्यों के हृदय में एक अपूर्व उत्साह तथा उमंग को घोल देती हैं। इस दीपावली को यदि प्रकाश का पर्व कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ।फुलझड़ियों की चमक – दमक तथा पटाखों की तीव्र ध्वनि एक विचित्र दृश्य उपस्थित कर देते हैं । इस दिन व्यापारी यह आशा करते हैं कि उनके व्यापार में इस दिन से नयी अभिवृद्धि होगी। घर में लक्ष्मी का प्रवेश होगा।

 

दिपावली मनाने की प्रथा Diwali essay in hindi 150 words

कार्तिक कृष्णा अमावस्या की तिथि में यह उत्सव भारतवर्ष में बड़े उत्साह एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है । दीपावली आर्य जाति का पवित्र तथा मुख्य त्यौहार है । आर्य जाति अपने आर्थिक वर्ष का प्रारम्भ इसी पवित्र दिन से करती आई है । कहा जाता है , मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्रजी वनवास की अपनी चौदह वर्ष की अवधि को पूरा करके इसी तिथि को अयोध्या में पधारे थे । उनके स्वागतार्थ अयोध्यावासियों ने जो उत्सव मनाया था उसी आनन्दोत्सव की आवृति इस पवित्र दिन की जाती है ।

चाहे इस त्यौहार के मनाने का कुछ भी कारण हो , किन्तु आर्य जनता इस त्यौहार को बड़े उत्साह तथा प्रसन्नतापूर्वक मनाती है । दीपकों के झिलमिलाते प्रकाश में अमावस्या का घोर अन्धकार धुल जाता है । जिधर नजर उठाकर देखिए , उधर दीपावली की धूमधाम ही दृष्टिगोचर होती है । घरों की सजावट देवों के मन को भी लुभाती है ।

 

 

घरों की मरम्मत एवं लक्ष्मी-पूजा diwali essay in hindi for child

दीपावली मनाने के लिए लोग सप्ताहों पहले से ही तैयारी आरम्भ कर देते हैं । दीवारें , किवाड़ एवं चौखट अनेक प्रकार के रंगों से रंग दी जाती हैं। विभिन्न प्रकार के चित्रों से घर चित्रशाला के समान बन जाते हैं । चित्र तथा मूर्तियों को बनाते समय लोग इतने तल्लीन हो जाते हैं कि उन्हें पूर्ण करने के लिए खान – पान तक भूल जाते हैं। यह है दीपावली के प्रति आर्य जाति का सच्चा प्रेम। शहरों में भी पक्के मकानों की पुताई की जाती है । कृषक वर्ग भी अपनी जीर्ण – शीर्ण कुटियों को गोबर से लीप – पोत कर दीपावली के लिए स्वच्छ कर लेते हैं।

ग्रामों के छप्परों पर लहलहाती बेलें नगरों की बनावटी बेलों से कहीं अधिक सुन्दर प्रतीत होती हैं। अन्य दिनों की अपेक्षा आज के दिन बाजार भी बहुत ही अधिक सुन्दर दिखाई पड़ते हैं । छोटी दीपावली की पवित्र तिथि को नरसिंह भगवान् ने अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मार कर प्रहलाद भक्त की रक्षा की थी । दीपावली अमावस्या के दिन बड़ी प्रसन्नता के साथ मनाई जाती है।

प्रातःकाल से ही ईश्वर का गुणगान प्रारम्भ होता है । स्थान – स्थान पर हवन किये जाते हैं तथा व्याख्यानों से आकाश गूंजने लगता है । रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन किया जाता है । रात्रि को मिट्टी के दीपकों के प्रकाश में अन्धकार घुल जाता है । नगरों में बिजली का प्रकाश सूर्य के प्रकाश को भी चुनौती देता है । प्रत्येक घर में प्रसन्नता ही प्रसन्नता दिखाई पड़ती है।

मिठाई तथा विविध प्रकार के पकवान तैयार जाते हैं । बच्चे अपनी जेबों में खील बताशे भरकर सड़क पर कूदते हुए नजर आते हैं । दीपावली के सुअवसर पर कहीं रेडियो पर उच्च कलाकारों के गीत सुनने को मिलते हैं ; कहीं पर नाटकप्रेमी दीपावली से सम्बन्धित नाटकों का आयोजन करते हैं ; कहीं रास – प्रेमी अपने रास रचाकर वातावरण में और भी सरसता तथा मधुरता का संचार कर देते हैं । सारांश यह है कि सर्वत्र प्रसन्नता ही प्रसन्नता दृष्टिगोचर होती है ।

 

जुआ की कुप्रथा diwali par anuched in hindi ,Diwali essay in hindi 150 words

दीपावली के अवसर पर जहाँ इतने आमोद – प्रमोद के साधन जुटाये जाते हैं वहाँ पर इस पवित्र त्यौहार में एक जुए की बड़ी बुराई भी है जो जनता का सर्वनाश कर डालती है । लाखों की संख्या में लोग जुआ खेलते हैं। परिणामस्वरूप वे भिखारी बनकर दर – दर की ठोकरें खाते फिरते हैं। इस राक्षस जुए ने जाने कितने लखपतियों को क्षणमात्र में खाकपति बना दिया,न जाने कितनी माँ – बहिनों के अलंकार से सुशोभित शरीरों को अलंकार विहीन कर दिया ? कौरवों तथा पाण्डवों का सत्यानाश करने वाला यही जुआ था। दुःख का विषय है कि आज स्वतन्त्र भारत में भी जनता इस कुप्रथा का शिकार बनी हुई है ।

 

बहुत से चोरों की यह धारणा होती है कि दीपावली की रात्रि को चोरी करके उन्हें स्वयं के भाग्य की परख करनी चाहिए।Diwali essay in hindi 150 words इसी विश्वास के आधार पर वे चोरी करने के लिए प्रस्थान करते हैं । दूसरी ओर अनेक अन्धविश्वासी गृहस्थ लक्ष्ली के आगमन की प्रतीक्षा में अपने गृह के दरवाजे खुले रखते हैं । लक्ष्मी का आगमन होता नहीं अपितु चोर गृह में प्रवेश करके सामान तथा धन उठाकर ले जाते हैं ।

पर्व की आड़ में जुआ तथा चोरी दोनों घातक हैं। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। यह पवित्र तिथि इन्द्र के प्रकोप से गोवर्धन द्वारा ब्रज की रक्षा किये जाने के कारण भगवान् श्रीकृष्ण की पावन स्मृति में मनाई जाती है। आगे आने वाले दिन भैया दूज आती है । यह पवित्र दिन भाइयों तथा बहिनों के लिए विशेष महत्त्व का है । बहिनें प्रातःकाल से ही स्नान करके अपने भाइयों को टीका करती हैं और इसके बदले में भाई बहिनों को रुपया अथवा अन्य उपहार प्रदान करते हैं।

वर्षा के प्रकोप के कारण मकान टूट – फूट जाते हैं इसलिए मकानों में गन्दगी होने के कारण अनेक प्रकार के विषैले कीटाणु निवास करने लगते हैं। परन्तु दीपावली के आने से सप्ताहों पूर्व लोग अपने घरों को स्वच्छ करने में जुट जाते हैं , इससे विषैले कीटाणुओं का नाश होता है । इसके अतिरिक्त दीपावली की रात्रि को तेल के दीपक जलने एवं हवन की सलौनी गन्ध से वायु शुद्ध हो जाती है तथा कीटाणुओं का नाश होता है । त्यौहार के अवसरों

पर मनुष्यों में पारस्परिक प्रीति की वृद्धि होती है , वे एक – दूसरे से हृदय खोलकर मिलते हैं। अनेक प्रकार के मनोरंजन होने के कारण जीवन प्रसन्नता से भर जाता है । इस अवसर पर व्यक्ति विवादों को भूल कर सुख के हिंडोलों पर झूलने लगते हैं ।

 

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उपसंहार 

संयोगवश इन त्यौहारों में जो दोष आ गये हैं उनमें सुधार होना परमावश्यक है । आज हम स्वतन्त्र हैं , इस कारण हमारी राष्ट्रीय सरकार भी इस जुए की कुप्रथा का नाश करने के लिये सक्रिय कदम उठा रही है । देश के हितैषियों को सरकार के इस कार्य में सहयोग देना चाहिए । दीपावली के अवसर पर साहित्यिक गोष्ठी एवं प्रदर्शनियों का प्रदर्शन होना चाहिए , जिससे कि जनता की मनोवृत्ति में परिष्कार हो तथा हमारे देशवासियों का सामाजिक , राजनैतिक , आर्थिक जीवन उच्च हो , यही अभिलाषा है । कवि नीरज के शब्दों में- refe ” जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना , धरा पर अँधेरा कहीं रह न जाये ।।

 

 

 

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