प्राचीन चीनी सभ्यता: चीन की प्राचीन सभ्यता का विस्तार लगभग 5000 ईसा पूर्व तक जाता है। इस युग में चीन में विभिन्न राज्यों का विकास हुआ था जो बाद में एक हो गए। चीन में इस युग में शिल्पकला तथा विज्ञान तकनीक का विकास हुआ था।
चीनी इम्पेरियल दायरा: इस युग में चीन में एक संवैधानिक प्रणाली का विकास हुआ जिसमें शासन एक इम्पीरियल दायरे में था। इस युग में चीनी शासनकाल और सभ्यता का विकास हुआ।
माओ ज़ेडोंग का चीन: चीन का इतिहास माओ ज़ेडोंग के शासनकाल से भी जुड़ा हुआ है। इस युग में चीन में एक समाजवादी आन्दोलन हुआ जिसमें माओ ज़ेडोंग ने अहम भूमिका निभाई थी। उनकी नीतियों ने चीनी समाज में कई बदलावों को लाया।
इसके अलावा, चीन में मिंग और चिंग शासनकाल भी महत्वपूर्ण हैं
मिंग शासनकाल: मिंग शासनकाल (1368-1644 ईसा पूर्व) चीन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग है। इस युग में चीन में कला, संस्कृति और विज्ञान तकनीक का विकास हुआ था। मिंग शासकों ने चीनी संस्कृति को बढ़ावा दिया और चीनी साहित्य तथा कला का विकास हुआ।
चिंग शासनकाल: चिंग शासनकाल (1644-1912 ईसा पूर्व) चीन के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण युग है। इस युग में चीन में विदेशी शासन की शुरुआत हुई थी। चिंग शासकों ने चीनी संस्कृति तथा कला को बढ़ावा दिया था। उन्होंने अपने शासनकाल में चीन में नए राज्यों का गठन किया था जो बाद में एक हो गए।
इसके अलावा, चीन में जापानी आक्रमण, कम्युनिस्ट शासनकाल, ताइवान का विभाजन और माओवादी आन्दोलन जैसे महत्वपूर्ण घटनाओं ने चीन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
माओवादी क्रांति: 1949 में माओ जीत के बाद चीन में कम्युनिस्ट शासन स्थापित हुआ। माओवादी विचारधारा अनुसार, सामाजिक न्याय तथा उत्थान के लिए सभी लोगों को एक साथ काम करना चाहिए। लेकिन माओवादी आन्दोलन के दौरान भारत और चीन के बीच युद्ध भी हुआ था।
चीन की आधुनिकता: 1980 और 1990 के दशक में, चीन में आधुनिकीकरण का युग शुरू हुआ। इस युग में चीन अपनी अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास करने लगा था और आधुनिक तकनीक का उपयोग करने लगा था। चीन की अर्थव्यवस्था में इस युग में वृद्धि हुई और चीन विश्व के सबसे बड़े अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया।
आज का चीन: चीन आज विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक है। इसकी आबादी लगभग 14 अरब है और यह अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था है। चीन विश्व के अनेक क्षेत्रों में नेतृत्व करता हुआ दिखाई देता है, जैसे कि वाणिज्य, विज्ञान तथा तकनीक, औद
चीन का विदेशी नीति: चीन विदेशी नीति में एक बड़ा बदलाव इस तरह का हुआ है कि चीन अब अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए विदेश में अधिक निवेश करने लगा है। यह अब तक के उनके धार्मिक तथा सामाजिक नीतियों से भिन्न है, जहां वह अपने विदेशी नीति को नियंत्रित रखने के लिए धार्मिक तथा सामाजिक मानदंडों का उपयोग करता था।
चीन वाणिज्य के क्षेत्र में भी अधिक गहराई से उतरने लगा है। चीन वाणिज्य में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए वे दुनिया भर में भंडार भरने लगे हैं और विभिन्न देशों में निवेश करने लगे हैं।
चीन भारत संबंध: चीन और भारत के बीच संबंध दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच व्यापक व्यापार और अन्य सहयोग के क्षेत्रों में संबंध हैं। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद भी होते रहते हैं।
विकास करने के लिए अधिक निवेश करने के साथ-साथ भौगोलिक तथा राजनीतिक अस्थिरता के मद्देनजर अपने द्वारा अधिक रक्षा खर्च पर ध्यान देने जा रहा है। चीन ने विश्व के सबसे बड़े आर्थिक शक्तियों में से एक के रूप में अपनी जगह बनाई है, और आगे भी अपनी आर्थिक ताकत को मजबूत करने की उम्मीद है।
इसके अलावा, चीन ने एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उनमें से एक है चीन द्वारा बनाए गए बिल्ड एंड रोड इनिशिएटिव, जिसका उद्देश्य है चीन और अन्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के संबंधों को बढ़ावा देना।
अंततः, चीन एक विश्वशक्ति बनने की ओर अग्रसर है, जो न केवल अपने आर्थिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण से बल्कि अपनी विदेशी नीति तथा विश्वव्यापी निवेशों से भी पता चलता है। चीन की इस नीति और उसके साथ आने वाले तथा आज के संबंधों को समझना bahut jyada jaruri hota hain
चीन का इतिहास history of china in hindi
चीन अपनी संगठनात्मक क्षमता के कारण भी महत्वपूर्ण है। वह एक एकपक्षीय राजनीति अपनाता है और अपने राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए विश्व में बड़ी भूमिका निभाता है। इसके साथ ही चीन के पास विश्व के सबसे बड़ी सेना है जिसे वह लगातार मजबूत बनाने के लिए निवेश करती है।
चीन अपनी विदेश नीति में एक अधिकृत अस्तित्व के रूप में सुदृढ़ता दर्शाता है और इसके लिए वह अपने पड़ोसी देशों के साथ समझौते करती है। चीन के पड़ोसी देशों में भारत, पाकिस्तान, रूस, उत्तर कोरिया, जापान और वियतनाम शामिल हैं।
चीन की अर्थव्यवस्था और उसकी विदेश नीति की समझ महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दुनिया भर में उसके संबंधों को प्रभावित करता है। चीन अपने विदेश नीति के माध्यम से भारत और अमेरिका जैसे बड़े देशों के साथ संबंध बनाने का भी प्रयास कर रहा है।
चीन की राजधानी
चीन की राजधानी बीजिंग है। यह देश का सबसे बड़ा शहर है और एक अहम शहर होने के साथ-साथ उत्तरी चीन में स्थित होने के कारण राजनीतिक और प्रशासनिक महत्व का केंद्र है। यह दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाली शहरों में से एक है और 21वीं सदी के मध्य से आधुनिकीकृत और तेजी से विकास कर रहा है।
चीन में बहुत से अन्य महत्वपूर्ण शहर हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हैं। शंघाई चीन का सबसे व्यस्त और आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण शहर है, जहां उच्च तकनीक विकास का केंद्र है। ग्वांगज़ू, चंगचुन, शेन्ज़ेन, हार्बिन और चेंगडू जैसे अन्य शहर भी महत्वपूर्ण हैं।
चीन के शहरों में कई ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल होते हैं जो देश की संस्कृति और इतिहास के बारे में जानकारी देते हैं। बेयिंग, सिचुआन, स्विचोउ, शानशान, लुगुओंग और शाओशान जैसे दुनिया के सबसे अद्भुत पर्यटन स्थल भी चीन में हैं।
चीन के धार्मिक उदेश्य क्या है?
चीन में अनेक धर्मों का विस्तार हुआ है और वहां बहुत से लोग बौद्ध धर्म, हिन्दू धर्म, इस्लाम, ख्रिस्त धर्म और अन्य धर्मों के पालनकर्ता हैं। हालांकि, चीन की प्राचीन संस्कृति में शिंगोंग, ताओ और कंफ्यूशियस्म जैसे दो धर्म हैं जो बहुत महत्वपूर्ण हैं।
शिंगोंग चीनी धर्म है जो अनेक तंत्रों, मंत्रों, और योग के साथ उच्च स्तर की ध्यान और उन्नत विकास की ओर ध्यान केंद्रित करता है। शिंगोंग धर्म के अनुयायी अपने शरीर, मन और आत्मा को एक संगीत और स्वतंत्र रूप से तैयार करते हैं।
ताओ धर्म में यह माना जाता है कि अंतिम आदर्श एक उन्नत और आनंदमय जीवन है जो पूर्ण स्वतंत्रता, समझदारी और अनुभव में आधारित है। ताओवादियों को उनके उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए दशकों तक साधना की आवश्यकता होती है।
कंफ्यूशियस्म चीन की सबसे अधिक प्रचलित धर्म है और इसमें शिक्षण, नैतिकता, वैज्ञानिक सोच और सम
जान के महत्व होता है। कंफ्यूशियस्म के अनुयायी शिक्षा, शांति, सम्मान, सम्प्रेषण और दान की महत्वपूर्णता को समझते हैं।
चीन में आध्यात्मिक उद्देश्य के अलावा, आधुनिक चीन में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित है। चीन में आधुनिकता का तापमान बढ़ा हुआ है और वह इंटरनेट, अंतरिक्ष उड़ान, भौतिक विज्ञान, जीवन विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी देशों में से एक है।
चीन की सरकार द्वारा धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। सरकार द्वारा धार्मिक संस्थाओं की निगरानी होती है और धर्मों के संबंध में नियमों का पालन कराया जाता है।
सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों के अलावा, चीन में विद्युत उर्जा, परिवहन, उद्योग, पशुपालन, कृषि और फल-फूल उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी विकास की गति तेज हो रही है। चीन का उद्देश्य आज दुनिया का अग्रणी
चीन में बौद्ध धर्म
चीन में बौद्ध धर्म का इतिहास लगभग 2000 वर्ष पुराना है। चीन में बौद्ध धर्म का आगमन महायान बौद्ध धर्म के साथ था, जो भारतीय महायान बौद्ध धर्म का एक उत्पादन है।
महायान बौद्ध धर्म को सीना (चीन) में पहली बार 1 से 2 वीं शताब्दी के दौरान लोगों द्वारा स्वीकार किया गया था। बौद्ध धर्म का प्रचार उत्तर भारत से हुआ था जब बौद्ध धर्मके भिक्षु अनुयायी अपने धर्म को पूर्वी एशिया में प्रचारित करने के लिए निकले थे।
चीन में बौद्ध धर्म के प्रचार का सबसे पहला अध्याय बौद्ध धर्म के धर्मशास्त्र त्रिपिटक के अनुवाद के साथ शुरू हुआ। चीन में बौद्ध धर्म के अनुयायी भारत से आए भिक्षुओं के साथ-साथ चीनी भिक्षुओं द्वारा भी प्रचारित हुआ।
चीन में बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक शाओलिन मंदिर है, जो कि बौद्ध धर्म के संस्थापक बोधिधर्मा के द्वारा स्थापित किया गया था। शाओलिन मंदिर चीन के अंदर ही स्थित है और इसे सबसे अधिक मशहूर बनाने वाली बात यह है कि यह एक मर्म्मत शैली या कंगू-फू के केंद्र भी है।
चीन में बौद्ध धर्म के विभिन्न संस्थाओं का प्रचार किया जाता है, जैसे ठेरवाद बौद्ध धर्म, महायान बौद्ध धर्म, वज्रायान बौद्ध धर्म आदि। चीन में बौद्ध धर्म के प्रचार का सबसे महत्वपूर्ण स्थल तिब्बत है, जहां बौद्ध धर्म नेपाल, भारत और चीन के साथ तिब्बत के लोगों द्वारा प्रचारित किया जाता है।
चीन में बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ गौतम बुद्ध थे जिन्होंने बोधगया में बौद्ध धर्म की उत्पत्ति के साथ-साथ महायान बौद्ध धर्म का भी विकास किया था। चीन में बौद्ध धर्म अनेक तरह की स्थानीय पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं से भी प्रभावित हुआ है, जिसमें कॉन्फ्यूशियस्म, दाओवाद, ताओस्म, शिंगोनिज्म, और फुज़ीज्म शामिल हैं।
चीन में कितने प्रतिशत बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं
चीन में बौद्ध धर्म एक प्रमुख धर्म है, लेकिन यह जानना मुश्किल है कि वहाँ कितने प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। इसका कारण यह है कि चीन सरकार धर्मीय जातियों को संख्या के अनुसार अलग नहीं करती है।
अधिकांश अनुमानों के अनुसार, चीन में लगभग 10-15% लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हो सकते हैं। हालांकि, यह अंक अधिकतर सामान्य आंकड़ों और सरकारी आँकड़ों पर आधारित नहीं हैं, इसलिए यह अंक अनिश्चित हैं। दूसरी ओर, चीन में अन्य धर्मों के अनुयायी जैसे हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई और ताओस्त धर्म के भी काफी संख्या में लोग होते हैं।
चीन का पुराना नाम क्या है
चीन कब आजाद हुआ था?
लेकिन चीन के इतिहास में आजादी की इस घटना के पहले भी अन्य महत्वपूर्ण दौर हुए हैं।
चीन में बहुत सी राजधानियों ने शासन किया है, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध हैं वीर वानग, टांग, सूई, जिन, मिंग, और चिंग आदि।
चीन में आजादी के पहले के दौर में, जब मंचु द्वीपसमूह एकीकृत नहीं था, तब भी कई राज्यों ने अपने-अपने राजाओं के नेतृत्व में शासन किया था।
20वीं सदी में चीन के विभिन्न भागों में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रभाव से लोगों में स्वतंत्रता की चाहत बढ़ने लगी थी। 1949 में माओ जीएसीजी के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने नई चीन की स्थापना की थी और इससे पहले दो दुश्मनी भरे सदियों के बाद चीन एक एकीकृत राज्य के रूप में आधुनिक चीन के रूप में चीन के एकीकृत राज्य के बनने के बाद, देश ने अपनी अर्थव्यवस्था और राजनीतिक प्रणाली में बड़ी परिवर्तन किये।
माओ जीएसीजी ने सामाजवादी क्रांति की घोषणा की और देश में भूमि सुधार, नई स्वतंत्र और आर्थिक नीतियां आदि लागू की। लेकिन माओ जीएसीजी के समय में देश में कुछ अनुष्ठानों जैसे कुलाकों का बलात्कार, विद्वेषपूर्ण विचारधारा के लिए भयानक संग्रहण आदि देश को बहुत कीमत पर चुकानी पड़ी।चीन को 1970 और 1980 के दशकों में आर्थिक विकास में बड़े ले जाने में सफलता मिली, लेकिन देश में स्वतंत्र और लोकतांत्रिक विचारधारा की कमी रहती थी।
1989 में तियनानमेन चौक के हिंसात्मक घटनाओं के बाद, चीन में लोकतंत्र की मांगों में बढ़ोतरी हुई और देश ने अपने अंतिम दशकों में तेजी से विकास किया है। वर्तमान समय में चीन एक विश्व शक्ति है जो अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तेजी से विकास कर रहा है।
चीन में कितने राज्य हैं?
चीन में 23 प्रांत हैं, जिन्हें कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रबंधित किया जाता है। ये प्रांत निम्नलिखित हैं:
- आंहुई
- बेयिजिंग
- चॉंगकिंग
- फुजियान
- गांसु
- ग्वांग्डोंग
- गुइझोउ
- हैनान
- हेबेई
- हेनान
- होबी
- जीलीन
- जियांगसु
- जियांगसी
- जिलिन
- लियानिंग
- नेंहुई
- शांगदोंग
- शान्सी
- शान्सी उत्तरी
- सिचुआन
- युन्नान
- झेजियांग
इन प्रांतों को भी अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे गांसु को शी जांग से भी जाना जाता है।
चीन के संविधान की प्रमुख विशेषताएं
चीन का संविधान एक सोंचीवद्ध राजनीतिक दस्तावेज है जो उसके लोगों और सरकार के बीच रिश्तों को परिभाषित करता है। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- संविधान का नाम “चीन की लोकतंत्रता गणराज्य का संविधान” है।
- चीन का संविधान उसकी सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए एक ही होता है।
- संविधान चीन के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, न्यायाधीशों, सदस्यों और सरकारी विभागों के अधिकारों को परिभाषित करता है।
- चीन का संविधान लोकतंत्रता, सामाजिक न्याय और समानता, स्वतंत्रता और सुरक्षा, समाजी विकास और उन्नति, विदेशी नीति और संचार के लिए निर्देश देता है।
- चीन का संविधान मूल अधिकारों, मनुष्य के अधिकारों, स्वतंत्रता और उन्नति के अधिकारों और भूमिका और उत्तरदायित्व के अधिकारों को स्थापित करता है।
- चीन के संविधान में विशेष ध्यान दिया गया है कि संविधान से संबंधित आवश्यकताओं के संदर्भ में बदलाव करने की जरूरत ह
चीन के संविधान की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
- धार्मिक स्वतंत्रता: चीन के संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षित है। लोग किसी भी धर्म के अनुयायी हो सकते हैं और अपने धर्म के अनुसार अपनी धार्मिक क्रियाएं कर सकते हैं।
- समानता का अधिकार: संविधान में समानता के अधिकार का प्रतिबंध है। सभी नागरिकों को समान अधिकारों की गारंटी है और उन्हें कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- राजनीतिक व्यवस्था: चीन के संविधान में राजनीतिक व्यवस्था का विवरण है। यह देश की राजनीतिक व्यवस्था, निर्णय लेने के तरीके, संसद, सरकार और न्यायपालिका के बारे में बताता है।
- आधारभूत अधिकार: संविधान में आधारभूत अधिकारों का संरक्षण है, जो शिक्षा, आवास, खानपान, स्वास्थ्य आदि शामिल हैं।
- भाषाई स्वतंत्रता: चीन के संविधान में भाषाई स्वतंत्रता का अधिकार है। लोग किसी भी भाषा में बोल सकते हैं और उन
चीन का मुद्रा क्या है
चीन के साथ लगने वाले सीमा
चीन के साथ लगने वाले सीमाए इस प्रकार हैं:
- भारत-चीन सीमा: यह सीमा दोनों देशों के बीच लगी हुई सबसे बड़ी सीमा है जो अक्साई चिन विवाद के चलते विवादित है।
- पाकिस्तान-चीन सीमा: चीन और पाकिस्तान के बीच यह सीमा बाकी सीमाओं से अलग होती है और इसे “कराकोरम हाइवे” के नाम से जाना जाता है।
- चीन-म्यांमार सीमा: चीन और म्यांमार के बीच यह सीमा लगती है।
- चीन-काज़ाखस्तान सीमा: चीन और काज़ाखस्तान के बीच यह सीमा लगती है और इसे “दुगन-उज़ुम्कुदुक” नाम से जाना जाता है।
- चीन-रूस सीमा: चीन और रूस के बीच यह सीमा लगती है और इसे “अमूर नदी” के नाम से जाना जाता है।
इन सीमाओं के अलावा चीन के अन्य शांत सीमाओं में भी हैं, जैसे चीन-भूटान, चीन-नेपाल, चीन-अफगानिस्तान, चीन-ताजिकिस्तान, चीन-उज़्बेकिस्तान और चीन-मंगोलिया सीमा।
चीन के राजवंश
चीन के इतिहास में कई राजवंशों ने शासन किया है। इनमें से कुछ प्रमुख राजवंशों के नाम निम्नलिखित हैं:
- शांग राजवंश (1600 ईसा पूर्व – 1046 ईसा पूर्व)
- चू राजवंश (1046 ईसा पूर्व – 256 ईसा पूर्व)
- चीन हान राजवंश (206 ईसा पूर्व – 220 ईसा पूर्व)
- सुई राजवंश (581 ईसा पूर्व – 618 ईसा पूर्व)
- तंग राजवंश (618 ईसा पूर्व – 907 ईसा पूर्व)
- सोंग राजवंश (960 ईसा पूर्व – 1279 ईसा पूर्व)
- युवान राजवंश (1279 ईसा पूर्व – 1368 ईसा पूर्व)
- मिं राजवंश (1368 ईसा पूर्व – 1644 ईसा पूर्व)
- चिंग राजवंश (1644 ईसा पूर्व – 1912 ईसा पूर्व)
- गुमिंगदाओ राजवंश (1912 ईसा पूर्व – 1949 ईसा पूर्व)
वर्तमान में चीन कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता है, जो 1949 ईसा पूर्व से शासन कर रही है।
चीन के प्रधानमंत्री की सूची
- Zhou Enlai (1949-1976)
- Hua Guofeng (1976-1980)
- Zhao Ziyang (1980-1987)
- Li Peng (1987-1998)
- Zhu Rongji (1998-2003)
- Wen Jiabao (2003-2013)
- Li Keqiang (2013-वर्तमान)
चीन के राष्ट्रपति की सूची
- Zhu De (1954-1959)
- Liu Shaoqi (1959-1968)
- Dong Biwu (acting, 1968-1972)
- Song Qingling (honorary, 1981-1984)
- Li Xiannian (1983-1988)
- Yang Shangkun (1988-1993)
- Jiang Zemin (1993-2003)
- Hu Jintao (2003-2013)
- Xi Jinping (2013-वर्तमान)
चीन के जनसंख्या
चीन में जनसंख्या का अत्यधिक होना एक महत्वपूर्ण समस्या है जिस पर चीन सरकार ने विभिन्न नीतियों को लागू करके काम किया है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण नीतियां निम्नलिखित हैं:
- One-Child Policy: चीन सरकार ने 1979 में एक बच्चे की नीति लागू की थी, जिसके तहत केवल एक बच्चे के जन्म को अनुमति थी। यह नीति स्थानों के आधार पर भिन्न थी। जहाँ शहरों में जनसंख्या कम थी, वहां दो बच्चों को जन्म देने की अनुमति थी। इस नीति के कारण चीन की जनसंख्या बहुत हद तक कम हुई थी।
- Two-Child Policy: 2015 में चीन सरकार ने दो बच्चों की नीति लागू की थी, जिसके तहत हर कपल को दो बच्चों के जन्म को अनुमति थी।
- Three-Child Policy: 2021 में चीन सरकार ने तीन बच्चों की नीति लागू की है। इस नीति के तहत हर कपल को तीन बच्चों के जन्म को अनुमति दी जाएगी।
इन नीतियों के अलावा, चीन सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए अन्य उपाय भी अपनाए हैं जैसे जनसंख्या नियंत्रण की शिक्षा और आव
चीन कितनी बार लड़ाई कर चुका है?
चीन ने अपने इतिहास में कई लड़ाईया की थी, जिसमें से कुछ अहम युद्ध निम्नलिखित हैं:-
- चून – चू (632 ई. पूर्व)
- वार – जीं (354 ई. पूर्व)
- हान – चाओ (206 ई. पूर्व – 220 ई. उत्तरी भारत का आक्रमण)
- तंग – शी (618 ई. – 907 ई.)
- जिन – सू (1115 ई. – 1234 ई.)
- मिंग – योंले (1368 ई. – 1644 ई.)
- चींग – कांसी (1644 ई. – 1912 ई.)
- मजबूर भारत-चीन युद्ध (1962)
- चीन-वियतनाम युद्ध (1979)
- चीन-भारत युद्ध (1962)
इसके अलावा, चीन ने अपने इतिहास में कई अन्य युद्ध लड़े हैं, जो इस सूची में शामिल नहीं हैं।
1962 भारत-चीन युद्ध
भारत यह युद्ध क्यों हार गया?
- सीमा संधि की असफलता: भारत और चीन के बीच १९६० में उत्तर प्रदेश के लद्दाख में बढ़ती तनाव लगातार बढ़ रहा था। दोनों देशों के बीच सीमा संधि को जल्द से जल्द समस्या का समाधान नहीं किया गया था।
- सेना की कमजोरी: उस समय भारत की सेना तैनात थी, जो कि लगभग 1,20,000 सैनिकों से अधिक थीं। हालांकि, भारतीय सेना उपकरणों और अन्य ज़रूरी संसाधनों की कमी से पीड़ित थी जो उसे चीन के सामने कमजोर बना देती थी।
- असंतुलित बौद्धिक स्तर: चीन ने अपनी सेना के साथ साथ एक मजबूत बौद्धिक पृष्ठभूमि भी रखी थी जो भारत से अलग थी। इससे चीन ने एक साथ कई राज्यों के साथ अपने साम्राज्य का विस्तार किया था। इसके बाद, भारत को अपने बौद्धिक स्तर को बढ़ाने की जरूर
चीन में कितने राजनितिक दल है
- चीन जनता पार्टी (CPC) – यह चीन की सत्ताधारी दल है और सभी राज्य स्तरों पर राजनीतिक शक्ति का हिस्सा है।
- चीन जनवादी लोकतांत्रिक महासंघ (CDP) – यह मुख्य विपक्षी दल है और CPC के विरोध में लड़ता है।
- चीन के कई छोटे राजनीतिक दल भी हैं जो कि विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों को उठाने और उनके हितों की रक्षा करने के लिए होते हैं।
इनके अलावा चीन में कई अन्य राजनीतिक संगठन भी हैं, जो अपने क्षेत्रों में शक्तिशाली होते हैं, लेकिन वे राज्य स्तर पर अधिकांश राजनीतिक शक्तियों से कम महत्व रखते हैं।
चीन में कितने टाइम जोन है
चीन में 1 स्टैंडर्ड टाइम जोन होता है।
चीन का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है ?
चीन का सबसे बड़ा राज्य सिचुआन प्रांत है। सिचुआन प्रांत चीन के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है और इसका कुल क्षेत्रफल 485,000 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रांत में चंद्रभागा नदी का उद्गम स्थल होता है जो हिमालय से बहती हुई अन्य नदियों को मिलकर भारत के तटों तक जाती है। इस प्रांत में कुल लोगों की संख्या लगभग 81 मिलियन है।